समाज में पुरुषों के योगदान को महसूस करने का दिन है इन्टरनेशल मेन्स डे

अन्तर्द्वन्द

ये दिन उनके संघर्षों और उन सामाजिक कंडीशन के बारे में समाज को बताने का है, जो पुरुष एक दबाव में सालों से सहते आ रहे हैं। ये दिन उन्हें उनके काम, त्‍याग, समर्पण और मार्गदर्शन आदि के लिए थैंक्स कहने का है और उन्‍हें ये बताने का भी है कि वे आपके लिए कितनी अहमियत रखते हैं।

60 से ज्यादा देशों में ये दिन मनाया जाता है। इसकी शुरुआत 1999 में त्रिनिदाद और टोबैगो में हुई थी, जहां वेस्ट इंडीज यूनिवर्सिटी के इतिहास के प्रोफेसर डॉ. जेरोम तिलक सिंह ने अपने पिता का जन्‍मदिन सेलि‍ब्रेट किया था। इस दिन को उन्‍होंने पुरुषों के मुद्दों को उठाने के लिए लोगों को प्रेरित किया था।

भारत में 19 नवंबर 2007 में पहली बार इंटरनेशनल मेन्‍स डे मनाया गया था। हर साल ये दिन एक थीम के साथ सेलिब्रेट किया जाता है। इस बार की थीम है, ‘जीरो मेल सुसाइड’ यानि विश्वभर में पुरुषों के सुसाइड रेट को कम करना। इस थीम का मकसद पुरुषों को अपनी लाइफ खत्म करने से रोकना का है और उन्हें एक ऐसा कम्फर्ट या स्पेस देने का है जिसमें वे खुलकर जी सकें।

समाज लम्बे वक्त से पितृसत्ता और नारीवाद के बीच संघर्ष कर रहा है। सालों तक पितृसत्तात्मक समाज में रहने के बाद भी जब खुद को अभिव्यक्त करने की बात आती है तो पुरुष बैकफुट पर ही रहे हैं। समाज ने ऐसा माना और गढ़ा कि पुरूष सख्त व्यक्तित्व वाले ही होते हैं।

ये कंडीशनिंग बचपन से ही शुरू हो जाती है जब माता-पिता आपने बच्चे को कहते हैं, “ये लड़कियों की तरह रोना बंद करो”, “तुम स्ट्रॉन्ग हो, लड़के होकर गुड़िया से नहीं खेल सकते”, “ये पिंक कलर तुम्हारे लिए नहीं है, इसे अपनी बहन को दे दो…”। ऐसी तमाम बातें हर पुरूष ने अपनी जिंदगी में जरूर सुनी होंगी। ऐसी परवरिश में बड़ा हुआ मासूम लड़का भला कैसे समाज से हटकर सोचने की हिम्मत जुटा सकता है।

भावनाओं का ख्याल: मेल पार्टनर की खुशी चाहते हैं तो उनकी भावनाओं को समझिए। करना कुछ नहीं है बस सबसे पहले उनकी बिन बोली बातों को समझने की कोशिश करें। वो क्या चाहते हैं, उनके मन में कौन सी चीज चल रही है, क्या करने से उन्हें खुशी मिलती है, वो कहां घूमना पसंद करते हैं और उन्हें क्या खाना पसंद हैं। ये सारी चीजें जानने की कोशिश करें।

तारीफ में कंजूसी नहीं: अपने पार्टनर की तारीफ जरूर करें। आपको हमेशा कोशिश करनी चाहिए कि उनके किसी न किसी काम की आप तारीफ जरूर करें। अगर आपके पार्टनर को पेंटिंग बनाने का शौक है, और वो कभी कोई पेंटिंग बनाते हैं तो आपको उनके इस काम की तारीफ जरूर करनी चाहिए। उनके किसी अचीवमेंट की भी जमकर तारीफ कर सकते हैं।

सिर्फ सुनिए ही नहीं समझिए भी: पुरुषों को आमतौर पर ज्यादा बातूनी नहीं माना जाता है, लेकिन कई पुरुष ऐसे होते हैं जिन्हें अपनी पर छोटी बड़ी बात शेयर करने का शौक होता है। वो अपने आगे किसी को बोलने नहीं देते, लेकिन अगर आप ऐसा अपने पार्टनर के आगे करते हैं तो आप गलत कर रहे हैं। इससे आपके पार्टनर दुखी हो सकते हैं। इसलिए आपको हमेशा कोशिश करनी चाहिए कि अपनी बात करने से पहले आप उनकी बातें सुनें और सिर्फ सुनने के लिए ही नहीं बल्कि उन्हें समझिए भी।

– एजेंसी


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