भारत और कनाडा के बीच बढ़ते कूटनीतिक विवाद के बाद दोनों देशों के बीच व्यापारिक संबंधों को झटका लग रहा है। दोनों देशों के व्यापार को नुकसान उठाना पड़ रहा है। सबसे ज्यादा नुकसान कनाडा को हो रहा है। ऐसा इसलिए क्योंकि कनाडा की इकॉनमी बहुत हद तक भारत और भारतीयों पर निर्भर करती है। न केवल भारत के साथ कनाडा का आयात-निर्यात प्रभावित होगा बल्कि कनाडा में बसे वो भारतीय जो वहां की इकॉनमी में बड़ा रोल निभाते हैं, उनकी नाराजगी झेलनी पड़ सकती है। भारतीय जो कनाडा की इकॉनमी में हर साल 3 लाख करोड़ का योगदान देते हैं, उनकी नाराजगी वहां की अर्थव्यवस्था पर भारी पड़ सकती है।
भारत से पंगा पड़ेगा महंगा
एक रिपोर्ट के मुताबिक, कनाडा में बसे और कनाडा जाकर पढ़ने वाले भारतीय हर साल वहां की इकॉनमी में 3 लाख करोड़ का योगदान देते हैं। अगर दोनों देशों के बीच संबंध बिगड़े तो कनाडा को इसका नुकसान उठाना पड़ सकता है। कनाडा में बसे 20 लाख भारतीयों वहां की अर्थव्यवस्था में बड़ा रोल निभाते हैं। उनका हर सेक्टर में दबदबा है। सिर्फ कनाडा जाकर पढ़ने वाले करीब साढ़े तीन भारतीय छात्र वहां की इकोनॉमी में 4.9 अरब डॉलर का योगदान देते हैं।
कनाडा में भारतीयों का दबदबा
कनाडा में लगभग हर सेक्टर में भारतीयों का दबदबा है। चाहे खेती हो या आईटी, ट्रैवल हो या बिजनेस। प्रॉपर्टी, रिसर्च, स्मॉल बिजनेस में सबसे ज्यादा योगदान भारतीयों का और भारत ते निवेश का है। सीआईआई की रिपोर्ट के मुताबिक भारत की बड़ी कंपनियों ने कनाडा में साल 2023 तक 41 हजार करोड़ का निवेश किया है। इन कंपनियों की वजह से बड़ी संख्या में रोजगार क्रिएट होते हैं।
बड़ी संख्या में भारत से लोग कनाडा ट्रैवल करते हैं। साल 2022 में करीब 1.10 लाख भारतीयों ने कनाडा की यात्रा की। बड़े कारोबार के अलावा कनाडा के स्मॉल बिजनेस जैसे की ग्रॉसरी और होटल, रेस्टोरेंट में भारतीयों का 70 हजार करोड़ रुपये लगा हुआ है।
कनाडा की इकॉनमी के बड़े खिलाड़ी भारतीय छात्र
कनाडा में पढ़ने वाले अंतर्राष्ट्रीय छात्रों में सबसे बड़ी संख्या भारतीय छात्रों की है। वहां पढ़ने वाले विदेशी छात्रों में भारतीय छात्रों की संख्या 40 फीसदी है। कनाडा जाने वाले भारतीय छात्र अपने साथ बड़ा निवेश कनाडा लेकर जाते हैं। अगर भारत ने एक सख्त फैसला लिया तो कनाडा की सांसें रूक जाएगी। दरअसल कनाडा की इकॉनमी में अंतर्राष्ट्रीय छात्रों का बड़ा रोल है। ये छात्र वहां मोटी फीस भरकर पढ़ाई करते हैं और वहां की इकॉनमी को मजबूत करने में मदद करते है। कनाडाई छात्रों के मुकाबले बाहरी छात्रों से 4 से 5 गुना अधिक फीस वसूली जाती है।
कनाडा में बजता है पंजाबियों का डंका
कनाडा के एग्रीकल्चर सेक्टर में भारतीयों का दबदबा है। खासकर कनाडा में बसे पंजाबियों का। कनाडा की कुल आबादी का 2.6% यानी 9 लाख 42 हजार 170 पंजाबी हैं। सर्विस सेक्टर से लेकर बिजनेस और एग्रीकल्चर-डेयरी फार्मिंग सेक्टर में पंजाबियों का बड़ा रोल है। पंजाबियों के बिना कनाडा अपनी इकॉनमी के बारे में सोच भी नहीं सकता है। इतना ही नहीं कनाडा में सबसे ज्यादा प्रॉपर्टी में निवेश भारतीयों का है। भारतीय हर साल वहां वैंकूवर, ग्रेटर टोरंटो, ब्रैम्पटन, मिसिसागा और ब्रिटिश कोलंबिया, ओंटारियो में लगभग 50 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा का निवेश करते हैं। इसके अलावा स्मॉल बिजनेस , ट्रैवल , पब्लिक सर्विसेज और आईटी और रिसर्च सेक्टर में भारतीयों का दबदबा है।
नहीं गल पाएगी कनाडा की दाल
भारत और कनाडा के बीच व्यापारिक संबंध अब तक अच्छे रहे हैं। भारत कनाडा से दाल खरीदकर उसे मोटी कमाई करवाता है। भारत कनाडा के अलावा म्यांमार और कुछ और अफ्रीदी देशों से दाल खरीदता है। अगर दोनों देशों के बीच बिगड़ते संबंधों का असर व्यापार पर पड़ा तो कनाडा को बड़ा नुकसान हो सकता है। भारत अपनी जरूरत को दूसरे देशों से पूरा कर लेगा, लेकिन कनाडा को बड़ा झटका लग सकता है।
Compiled: up18 News
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