भारत ने कहा है कि इसराइल-गाजा के हालात पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद UNSC की बैठक में पाकिस्तान की ओर से ‘कश्मीर का ज़िक्र किया जाना अवमानना’ है. भारत ने कहा है कि वो इन्हें ‘नज़रअंदाज़ करेगा’ क्योंकि ये ‘जवाब देने के लायक़ नहीं है.’
मध्य पूर्व के हालात पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बैठक में पाकिस्तान के प्रतिनिधि मुनीर अकरम ने कश्मीर का ज़िक्र किया था.
यूएन में भारत के डिप्टी स्थायी प्रतिनिधि आर रविंद्र ने पाकिस्तान की टिप्पणी के बाद ये प्रतिक्रिया दी है.
आर रविंद्र ने कहा, “अपनी बात ख़त्म करने से पहले मैं कहूंगा कि एक प्रतिनिधि ने आदतन एक टिप्पणी उन केंद्र शासित इलाक़ों के बारे में की जो मेरे देश का अटूट और अभिन्न अंग हैं.”
रविंद्र ने कहा, “मैं इन टिप्पणियों को उसी अवमानना के साथ देखूंगा जिसके ये लायक़ हैं और समय का ध्यान रखते हुए प्रतिक्रिया देकर इन्हें इज़्ज़त नहीं बख़्शूंगा.”
इसराइल-ग़ज़ा संघर्ष पर भारत का पक्ष रखते हुए रविंद्र ने कहा, “7 अक्तूबर को इसराइल पर हुए आतंकी हमलों की हम निंदा करते हैं. इसराइल जब इस समय संकट का सामना कर रहा था तब हम इसराइल के साथ खड़े थे. हमने गाजा के अस्पताल पर हुए हमले में सैकड़ों लोगों के मारे जाने की घटना पर भी ग़हरी चिंता ज़ाहिर की थी. हमारे प्रधानमंत्री ने स्पष्ट कहा है कि इस घटना में जो भी शामिल है, उनकी ज़िम्मेदारी तय होनी चाहिए.”
उन्होंने कहा, “जो मानवीय संकट पैदा हो रहा है, उसका समाधान होना चाहिए, हम तनाव कम करने और ग़ज़ा में राहत सामग्री भेजने के अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के प्रयासों की सराहना करते हैं. भारत ने 38 टन राहत सामग्री भेजी है जिसमें दवाइयां भी हैं.”
“भारत ने हमेशा ही इसराइल-फ़लस्तीनी संकट के बातचीत के ज़रिए द्विराष्ट्र समाधान का समर्थन किया है. जिसके नतीजे में एक स्वतंत्र, संप्रभु और कामयाब फ़लस्तीन राष्ट्र का निर्माण हो जिसकी सीमाएं सुरक्षित हों और जो इसराइल के साथ शांति से रहे.”
अमेरिका ने क्या कहा?
इससे पहले अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने परिषद की बैठक में कहा कि आतंकवाद के सभी कृत्य ग़ैर-क़ानूनी और अनुचित हैं.
‘हमें हर राष्ट्र के अपनी सुरक्षा करने और ऐसे हमलों को रोकने के अधिकार की पुष्टि करनी होगी.’
ब्लिंकन ने कहा, ‘इस परिषद का कोई भी सदस्य, इस संस्था से जुड़ा कोई भी राष्ट्र, अपने लोगों के ऐसे नरसंहार को बर्दाश्त नहीं करेगा.’
ब्लिंकन ने कहा, ‘जैसा कि इस परिषद और संयुक्त राष्ट्र महासभा ने बार-बार कहा है, आतंकवाद की सभी घटनाएं ग़ैर-क़ानूनी और अनुचित हैं.’
उन्होंने कहा, “ये ग़ैरक़ानूनी और अनुचित हैं चाहें फिर उन्हें आईएसआईएस, बोको हराम, अल शबाब, लश्कर-ए-तैयबा या फिर हमास अंजाम दे.”
Compiled: up18 News