एक वो भी दौर था जब लेमनग्रास की खेती के मामले में भारत बहुत पीछे था। हालात ऐसे थे कि विदेशों से लेमनग्रास का आयात किया जाता था। वहीं एक आज का वक्त है, जब भारत लेमनग्रास की खेती में बहुत आगे बढ़ चुका है। अब भारत लेमनग्रास के बड़े निर्यातक देशों में गिना जाने लगा है। इस उपलब्धि को हासिल करने में सरकार की अरोमा मिशन परियोजना का एक बड़ा योगदान रहा है, जिसका नेतृत्व सीएसआईआर-सीमैप लखनऊ कर रहा है। यूपी के अलावा भी देश के अलग-अलग हिस्सों में लेमनग्रास की खेती की जाती है। इसकी खेती से तगड़ा मुनाफा कमाया जा सकता है।
भारत में लेमनग्रास का कितना बड़ा बिजनेस?
मौजूदा वक्त में भारत में हर साल करीब 1000 टन लेमग्रास का उत्पादन होता है। इसमें से 300-400 टन का तो निर्यात ही कर दिया जाता है। अरोमा मिशन मोदी सरकार के आत्मनिर्भर भारत मिशन के साथ तालमेल बिठाते हुए काम करता है। अरोमा मिशन के चलते बहुत सारे ऐसे किसानों ने भी लेमनग्रास की खेती शुरू कर दी है, जो अभी तक सिर्फ परंपरागत खेती ही किया करते थे। इससे किसानों को तगड़ा मुनाफा हो रहा है, जिसके चलते अधिक से अधिक किसान इससे जुड़ रहे हैं। लेमनग्रास को नींबू घास भी कहा जाता है। लेमनग्रास की खेती से आप सिर्फ एक हेक्टेयर (करीब ढाई एकड़) से ही साल भर में लगभग 3.5 लाख रुपये तक का मुनाफा हो सकता है।
कितना खर्च आता है लेमनग्रास की खेती में?
अगर एक हेक्टेयर का अनुमान लेकर चलें तो लेमनग्रास की खेती में शुरुआत में 30 से 40 हजार रुपये की लागत आ जाती है। इसकी पहली फसल करीब 6 महीने में काटने लायक हो जाती है और उसके बाद साल में 4-5 बार आप इसकी फसल काट सकते हैं। एक बार लगाने के बाद आपको 5-7 साल तक दोबारा इसे लगाने की जरूरत नहीं होती। अगर औसत 6 साल मान लें, तो लागत को एक साल की लागत (40,000/6) करीब 7 हजार आती है।
20 हजार की लागत में 3.5 लाख का मुनाफा!
एक हेक्टेयर से 12-13 टन घास निकलती है। अगर पहली बार को छोड़ दें तो दूसरी कटाई से हर साल करीब 5 बार फसल काटी जा सकती है यानी साल भर में लगभग 60-65 टन घास। एक टन से करीब 5 लीटर तेल निकलता है यानी एक हेक्टेयर से साल भर में लगभग 300-325 लीटर तेल मिल जाएगा। प्रति लीटर तेल की कीमत करीब 1200-1500 रुपये प्रति होती है, यानी 4 लाख से 5 लाख रुपये तक की कमाई। वहीं आपका खर्च सालाना 7 हजार रुपये लगा था। अगर इसमें सिंचाई, लेबर से कटाई, साल में 3-4 बार निराई-गुड़ाई का खर्च भी जोड़ लें तो अधिक से अधिक 50 हजार रुपये का खर्च होंगे। यानी सिर्फ 50 हजार रुपये की लागत में 4 लाख रुपये तक की कमाई वाला बिजनस। मतलब सिर्फ मुनाफा 3.5 लाख रुपये का होगा। हालांकि, अगर जमीन आपकी अपनी नहीं है और आपके पास तेल निकालने की मशीन नहीं है तो आपका मुनाफा थोड़ा कम हो जाएगा।
लेमनग्रास की खेती के हैं कई फायदे
इस खेती का सबसे बड़ा फायदा ये है कि ये सूखे इलाकों में भी अच्छी पैदावार दे देती है। इसे बहुत अधिक सिंचाई की जरूरत नहीं होती है। साल में 3-4 बार निराई-गुड़ाई काफी होती है। अगर पैदावार अच्छी और घनी हो जाती है तो निराई-गुड़ाई का खर्च और भी कम हो जाता है।
इसमें रोपाई करने से पहले ही खाद डाली जाती है, उसके बाद खाद डालने की जरूरत भी नहीं पड़ती है। वहीं इस फसल में रोग भी बहुत ही कम लगते हैं, जिस वजह से इसमें कीटनाशक का छिड़काव नहीं करना होता है। इस फसल की सबसे अच्छी बात ये है कि इसे जंगली जानवर भी नहीं खाते, क्योंकि पत्तियों का स्वाद कड़वा होता है। यानी देखा जाए तो बस रोपाई कर के बैठ जाओ और फिर सीधे कटाई करने जाओ, ये फसल कुछ ऐसी ही है। वहीं कटाई भी 5 साल तक हर साल 5-6 बार करते रहो।
कैसे निकाला जाता है इससे तेल?
लेमनग्रास के तेल निकालने के लिए उसे एक बड़े कंटेनर में भरा जाता है, जिसमें नीचे पानी भरा होता है। इसे नीचे से गर्म किया जाता है। जब पानी गर्म होता है तो भाप बनकर ऊपर जाता है और पत्तियों में से तेल भी अपने साथ लेता हुआ जाता है। इस भाप को बाद में ठंडा कर लिया जाता है। तेल हल्का होता है, जो ऊपर जमा हो जाता है और पानी नीचे जमा हो जाता है। इसके बाद आप तेल को बाजार में बेच सकते हैं।
कई फायदे होते हैं लेमनग्रास से
लेमनग्रास से एक नहीं बल्कि कई फायदे होते हैं। इसका सबसे अधिक इस्तेमाल कॉस्मेटिक्स बनाने में होता है। वहीं सुंगधित एरोमा आदि में भी ये तेल खूब इस्तेमाल होता है। कुछ कंपनियां अपने साबुन और डिटरजेंट में इसे इस्तेमाल करती हैं। दवाओं के व्यापारी भी लेमनग्रास की अच्छी कीमत देकर उसे खरीदते हैं। देखा जाए तो आपको इसके खरीदार ढूंढने नहीं पड़ते बल्कि अगर किसी को पता चल जाए कि आप लेमनग्रास की खेती कर रहे हैं तो वह खुद आपके पास तेल लेने पहुंच जाएगा।
-एजेंसियां
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