आगरा। पुलिस कमिश्नरेट में अपराधियों के खिलाफ प्रभावी कार्रवाई से लेकर कानून व्यवस्था पर निर्णय की शक्तियां पुलिस को मिल गई हैं। पुलिस आयुक्त व उनके अधीनस्थ अधिकारियों के अलग- अलग अधिकार तय हुए हैं। पुलिस आयुक्त खुद गैंगस्टर, गुंडा एक्ट और गोवध निवारण अधिनियम के मामलों की सुनवाई करेंगे। इन्हीं मामलों को अपर पुलिस आयुक्त भी सुना करेंगे।
पुलिस कमिश्नरेट व्यवस्था में पुलिस उपायुक्त सीआरपीसी की धारा 145 (संपत्ति से जुड़े विवाद और संपत्ति कुर्क करने की कार्रवाई के मामले में सुनवाई करेंगे। धारा 133 (लोक न्यूसेंस) और 145 से संबंधित धारा के मामलों की सुनवाई अपर पुलिस उपायुक्त करेंगे। सीआरपीसी की धारा 151 (शांति भंग), 107/116 (शांति भंग करने की स्थिति में पाबंद करने की कार्रवाई), आईपीसी की धारा 110 जी की कार्रवाई सहायक पुलिस आयुक्त कर सकेंगे।
पुलिस आयुक्त डॉ. प्रीतिंदर सिंह ने बताया कि कमिश्नरेट को लेकर सारी व्यवस्थाएं की जा रही हैं। किस अधिकारी को क्या अधिकार दिया जाना है, इस पर मंथन चल रहा है।
पहले यह थी व्यवस्था
पुलिस शांति भंग की आशंका पर चालान करती है। आरोपी को गिरफ्तार कर मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश किया जाता था। जमानत देने या जेल भेजने का अधिकार मजिस्ट्रेट के पास होता था। इसी तरह पुलिस पाबंद करने के लिए रिपोर्ट मजिस्ट्रेट के पास भेजती थी। रिपोर्ट के आधार पर मजिस्ट्रेट पाबंद करने पर निर्णय लेते थे। गुंडा एक्ट और गैंगस्टर एक्ट की कार्रवाई में पुलिस रिपोर्ट बनाकर जिलाधिकारी के पास भेजती थी। मगर, अब नई व्यवस्था में पुलिस आयुक्त और उनके अधीनस्थ अधिकारी अलग-अलग मामलों में अपने स्तर से निर्णय लेंगे।
जल्द खुलेंगे नए थाने
आगरा कमिश्नरेट में तीन नए थाने ट्रांस यमुना, बमरौली कटारा और किरावली जल्द खुल जाएंगे। ट्रांस यमुना थाना कालिंदी विहार में बन सकता है। हाल ही में यहां बैरक का निर्माण किया गया था। इसी जगह पर थाना बनाया जा सकता है। हालांकि फाउंड्री नगर चौकी को थाना बनाने पर भी विचार चल रहा है। इसी तरह बमरौली कटारा और किरावली चौकी को भी थाना बनाया जाएगा।
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