दिल्ली। श्रीमद् राजचन्द्र मिशन के तत्वावधान में दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में रविवार को ध्यान प्रयोग का आयोजन किया गया। श्री गुरु के मार्गदर्शन में ‘ध्यान धारा’ के नाम से आयोजित इस कार्यक्रम में सामूहिक ध्यान किया गया जो करीब 2 घंटे तक चला। ध्यान प्रयोग के दौरान श्री गुरु ने कहा, आप जितनी जल्दी ध्यान शुरू करेंगे, अपने जीवन में संतुलन और संतुष्टि पाना तथा जीवन का उद्देश्य पाना उतना ही आसान होगा। ध्यानयोग का उद्देश्य ही अपनी मूलभूत स्थिति के बारे में और अपने स्वरूप के बारे में सोच विचार कर योग्य स्मृति को वापस लौटाना है।
श्री गुरु ने साधकों को आंतरिक शांति और आत्म-खोज का मार्ग अपनाने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि सच्ची शांति स्वयं के भीतर शुरू होती है। उन्होंने कहा कि ध्यान एक ऐसी विद्या है जिसकी आवश्यकता हमें लौकिक जीवन में भी पड़ती है और आध्यात्मिक अलौकिक क्षेत्र में भी उसका उपयोग किया जाता है। इस अवसर पर सैकड़ों की संख्या में साधक उपस्थित थे।
‘ध्यान धारा’ के दौरान श्री गुरु ने कहा, ध्यान से ही मानव जीवन का रूपांतरण संभव है, बिना ध्यान के जीवन कुछ नहीं है। हमें जो भी करना होता है उसका पहले हम अपने मन मस्तिष्क का ध्यान रखते हैं और उसे करते हैं। ध्यान को जितना सशक्त बनाया जा सके उतना ही वह किसी भी क्षेत्र में उपयोगी सिद्ध हो सकता है।
शिविर के दौरान श्री गुरु ने कहा, जीवन का लक्ष्य पूर्णता प्राप्त करना है। यह पूर्णता ईश्वरीय स्तर की ही हो सकती है। आत्मा को परमात्मा बनाने के लिए उस लक्ष्य पर ध्यान का एकाग्र करना आवश्यक है।