नई दिल्ली। भारतीय विज्ञान संस्थान (Indian Institute of Science) के वैज्ञानिकों ने कैंसर कोशिकाओं का संभावित रूप से पता लगाने और उन्हें मारने के लिए एक नया अप्रोच विकसित किया है. इसके तहत साउंडवेव की मदद से कैंसर कोशिकाओं का अर्ली डिटक्शन किया जा सकता है और सोने व तांबे के सल्फाइड से बने हाइब्रिड नैनोकणों के साथ हीट का इस्तेमाल करते हुए कैंसर कोशिकाओं को मारा जा सकता है. खासकर उन कैंसर सेल को, जो सॉलिड ट्यूमर मास को फॉर्म करने में मदद करते हैं.
द हिंदू में छपी रिपोर्ट के मुताबिक, आईआईएससी के वैज्ञानिकों का कहना है कि कैंसर के खिलाफ लड़ाई में इसका अर्ली डिटक्शन यानी कि जितना जल्द पता चल सके और जितना जल्द इसका इलाज शुरू हो सके यह बहुत ही जरूरी है. ऐसे में कॉपर सल्फाइड नैनोकणों का इस्तेमाल पहले से ही इसके डायगनोसिस में किया जा रहा है, जबकि सोने के नैनोकणों का कैमिकली संशोधित कर यहां इस्तेमाल किया जा रहा है जो कैंसर कोशिकाओं को टारगेट करने के लिए और अधिक प्रभावशाली माना जा रहा है, इसमें एंटी कैंसर इफेक्ट देखा जा रहा है. यही वजह है कि इस नए शोध में इन दोनों को हाइब्रिड नैनोकणों में संयोजित करने का निर्णय लिया गया.
ऐसे करेंगे काम
दरअसल इन कणों में फोटोथर्मल, ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस और फोटोकॉस्टिक गुण होते हैं. जब इन हाइब्रिड नैनोकणों पर लाइट डाली जाती है तो यह लाइट को अवशोषित कर लेते हैं और हीट जेनरेट करते हैं, जो कैंसर कोशिकाओं को मारने का काम कर सकती है. ये नैनोकण सिंगलेट ऑक्सीजन परमाणु भी उत्पन्न करते हैं जो कोशिकाओं के लिए जहर की तरह होता है. इस तरह हम चाहते हैं कि ये दोनों तरीका कैंसर कोशिकाओं को मारने का काम कर सकें.
– एजेंसी