फेस्टिवल सीजन के दौरान अगर आप स्पेशल ट्रेन में सफर कर रहे हैं तो आपको अपनी जेब और ढीली करनी पड़ेगी। क्योंकि आम ट्रेनों की अपेक्षा स्पेशल ट्रेनों में लगभग 20 से 30 प्रतिशत किराया अधिक है। आगरा रेल मंडल की पीआरओ प्रशस्ति श्रीवास्तव का कहना है कि यह रेलवे बोर्ड की पॉलिसी है कि स्पेशल ट्रेनों का किराया आम ट्रेनों की अपेक्षा अधिक होता है।
बढ़ जाती है वेटिंग, नहीं मिलती सीट
आपकों बताते चले कि अगले माह दीपावली व छठ पूजा का पर्व है। इन पर्व पर भारी संख्या में लोग अपने घर जाते हैं और गंतव्य तक पहुँचने के लिए ट्रेनों से ही सफर करते है। ऐसे में रिज़र्वेशन में वेटिंग की लिस्ट भी लंबी हो जाती है, साथ ही अनारक्षित कोचों में भी यात्रियों के बीच मारामारी देखने को मिलती है। इस स्थिति से निपटने और यात्रियों को सुगम यात्रा कराने के उद्देश्य को लेकर रेलवे स्पेशल ट्रेनों का संचालन करता है। क्योंकि यह ट्रेन स्पेशल होती है। इसलिए रेलवे इन ट्रेनों का किराया आम ट्रेनों की अपेक्षा बढ़ा देता है।
बढ़ती महंगाई के बीच स्पेशल ट्रेन के किराए में बढ़ोतरी को लेकर आम यात्रियों का कहना है कि एक तरफ तो रेलवे यात्रियों को बेहतर सुविधा सुगम यात्रा उपलब्ध कराने की बात कहता है। वहीँ फेस्टिवल सीजन में लोगों की बढ़ती भीड़ की संख्या को देखकर स्पेशल ट्रेन चलती है लेकिन उसमें महंगाई का तड़का लगा देता है जिससे रेल यात्री को सफर करने के लिए जेब ज्यादा ढीली करनी पड़ती है। रेलवे को अपनी इस पॉलिसी में बदलाव करना चाहिए।
रेलवे बोर्ड की है ये पॉलिसी
आगरा रेल मंडल की पीआरओ प्रशस्ति श्रीवास्तव ने बताया कि यह रेलवे बोर्ड की पॉलिसी है कि स्पेशल ट्रेनों का किराया आम ट्रेनों की अपेक्षा अधिक होता है। स्पेशल ट्रेन के लिए स्पेशल ट्रेन की व्यवस्था की जाती है और उसमें स्टाफ भी डेप्लॉय किया जाता है यानी रेलवे का खर्चा बढ़ जाता है। इसीलिए स्पेशल ट्रेनों का किराया अन्य ट्रेनों की किराए की अपेक्षा अधिक होता है।
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