सर्वाइकल कैंसर के बढ़ते जोखिमों को कम करने में मददगार हो सकती है एचपीवी वैक्सीन, बजट में भी टीकाकरण बढ़ाने पर द‍िया जोर

Health

सर्वाइकल कैंसर, महिलाओं में वैश्विक स्तर पर तेजी से बढ़ता कैंसर है, जिसके कारण हर साल लाखों महिलाओं की मौत हो जाती है। भारत में, सर्वाइकल कैंसर 18.3% (123,907 मामले) की दर के साथ तीसरा सबसे आम कैंसर है। रिपोर्ट के अनुसार 9.1% की मृत्यु दर के साथ ये महिलाओं में मृत्यु का दूसरा प्रमुख कारण भी है।

अध्ययनकर्ताओं ने बताया कि एचपीवी वैक्सीन की मदद से इस कैंसर के जोखिम को कम किया जा सकता है। आइए सर्वाइकल कैंसर के जोखिम और इससे बचाव के लिए वैक्सीनेशन के बारे में जानते हैं।

सर्वाइकल कैंसर, सर्विक्स में होने वाला गंभीर प्रकार का कैंसर माना जाता है। सर्विक्स गर्भाशय का सबसे निचला भाग होता है, जो योनि से जुड़ता है। सर्वाइकल कैंसर के अधिकतर मामले ह्यूमन पेपिलोमावायरस (एचपीवी) के संक्रमण के कारण होते हैं। एचपीवी एक आम वायरस है, जो संभोग के दौरान एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैल सकता है। यौन रूप से सक्रिय कम से कम आधे लोगों को अपने जीवन में कभी न कभी एचपीवी संक्रमण हो सकता है हालांकि हमारे शरीर की प्रतिरोधक क्षमता इस संक्रमण को कम कर देती है।

जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है, उनमें संक्रमण बढ़ने और इसके गंभीर रूप लेने का खतरा अधिक हो सकता है।

एचपीवी वैक्सीन हो सकती है कारगर

अध्ययनकर्ताओं ने बताया, एचपीवी वैक्सीनेशन सर्वाइकल कैंसर के बढ़ते जोखिमों को कम करने में मददगार हो सकती है। शोध में पाया गया है कि एचपीवी वैक्सीन 90% से अधिक एचपीवी संक्रमण और कैंसर को कम करने में मददगार हो सकती है। साल 2006 में पहली बार एचपीवी टीकाकरण की सिफारिश की गई थी।  सीडीसी (रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र) 12 वर्ष की आयु में नियमित एचपीवी टीकाकरण का सुझाव देता है। ये टीका सिर्फ सर्वाइकल कैंसर ही नहीं, कई और गंभीर प्रकार की स्वास्थ्य समस्याओं से बचाने में भी कारगर हो सकता है।

एचपीवी वैक्सीन से होने वाले फायदे

स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, 9 वर्ष और उससे अधिक उम्र के लोगों को ये टीका दिया जा सकता है। रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र (सीडीसी) 11 या 12 साल की उम्र में नियमित एचपीवी टीकाकरण का सुझाव देता है।

टीकाकरण के लिए आदर्श उम्र किसी व्यक्ति के यौन सक्रिय होने से पहले है। अध्ययनकर्ताओं ने बताया कि ये वैक्सीन न सिर्फ सर्वाइकल कैंसर से बचाने में मददगार हो सकती है साथ ही इससे लिंग और गुदा कैंसर से भी बचाव किया जा सकता है। एचपीवी वैक्सीन एचपीवी वायरस के कारण होने वाले मुंह, गले, सिर और गर्दन के कैंसर से भी बचाने में मददगर हो सकती है।

वैक्सीनेशन की डोज और सावधानियां

मायोक्लीनिक की रिपोर्ट के अनुसार 15 वर्ष से कम उम्र के लोगों को 6 से 12 महीने के अंतर पर दो डोज का टीका लगाया जा सकता है। जो लोग 15 से 26 वर्ष की उम्र में टीका लगवाना शुरू करते हैं, उन्हें टीके की तीन खुराकें लेनी चाहिए।

स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, कुछ लोगों को ये टीके नहीं लेने चाहिए। एचपीवी टीका गर्भावस्था के दौरान नहीं दिया जाता है। यदि किसी व्यक्ति को पहले एचपीवी शॉट के बाद एलर्जी की प्रतिक्रिया हुई हो या जिसे गंभीर एलर्जी की समस्या है उन्हें डॉक्टर की सलाह पर ही टीकाकरण कराना चाहिए।

– एजेंसी


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