हवा हवाई योजना: जब देश उल्लू बनने की प्रयोगशाला बन जाए…

अन्तर्द्वन्द

स्किल इंडिया 15 जुलाई, 2015 को लॉन्च हुआ था. इस कार्यक्रम में लोगों को प्रोफेशनली टेंड करना था. कहा गया था कि ‘इसका लक्ष्य 2022 तक 50 करोड़ लोगों को ट्रेंड करना और रोजगार देना’. शुरुआती लक्ष्य 2020 तक एक करोड़ युवाओं को कुशल बनाने का था.

लेकिन 2019 में दावा किया गया कि इस कार्यक्रम के तहत हर साल एक करोड़ लोग ट्रेनिंग लेकर कुशल कामगार बन रहे हैं. यानी यह योजना अपने लक्ष्य से भी आगे निकल गई थी, लेकिन पहुंची कहां? शायद इतना आगे निकल गई कि हवा हवाई योजना वायुमंडल पार करके निर्वात में निकल गई.

लॉन्च होने के बाद सरकार की तरफ से इस योजना के लिए 12000 करोड़ का बजट रखा गया. इस योजना के तहत पूरे देश में 2500 से भी ज्यादा सेन्टर खोले गए. कई लोगों ने अपनी नौकरी छोड़कर सेन्टर खोलने में पैसा लगाया.

मई, 2019 में एनडीटीवी के सुशील महापात्रा ने रिपोर्ट किया कि ‘स्किल इंडिया सेन्टर की हालत बहुत खराब है. दिल्ली में कई सारे सेंटर बंद हो गए हैं. सरकार द्वारा पॉलिसी में बार-बार बदलाव की वजह से फ्रैंचाइज़ी सेंटर बंद हो गए हैं या फिर काम नहीं मिल रहे है.’

प्रधानमंत्री बनने से पहले नरेंद्र मोदी और भाजपा ने हर साल दो करोड़ युवाओं को रोजगार देने का वादा किया था. प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना को मोदी की महत्वाकांक्षी योजना बताया गया और कहा गया कि इसके तहत 40 सेक्टर में कोर्सेज का संचालन किया जा रहा है.

नवंबर, 2018 में अमर उजाला ने ‘विश्व आर्थिक मंच’ और ‘ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन’ की रिपोर्ट के आधार पर खबर छापी थी कि ’70 फीसदी युवाओं को सरकार की कौशल विकास योजनाओं के बारे में जानकारी ही नहीं है.’

जुलाई, 2019 में आजतक की एक रिपोर्ट में कहा गया कि अभी तक 50 लाख युवाओं को कुशल बनाया जा चुका है. वे 50 लाख युवा कहां गए?

उसी दौरान केंद्रीय मंत्री संतोष गंगवार जी दावा कर रहे थे कि रोजगार की कमी नहीं है, युवाओं में योग्यता नहीं है. आखिरकार लोकसभा चुनाव 2019 के बाद भांडा फूटा और पता चला भारत 45 साल की चरम बेरोजगारी का सामना कर रहा है। फिर लॉकडाउन आया और उसके बाद से हर महीने क्या तबाही गुजरी है, यह सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (CMIE) के आंकड़े बताते ही रहे हैं। हर महीने करोड़ों में नौकरियां गई हैं।

तो क्या स्किल इंडिया के तहत जो हजारों करोड़ रुपये खर्च किए गए, क्या वह कोई घोटाला था? क्या किसी को मालूम है कि स्किल इंडिया में कितना पैसा खर्च हुआ और इससे देश को क्या फायदा हुआ?

अगर युवा ट्रेंड नहीं हुए तो वह योजना किसलिए थी? क्या बीजेपी ​ने भारतीय योग्यताओं की हकीकत जाने बिना लंबा लंबा फेंका था? अगर अब पता चल गया है तो बीजेपी शिक्षा और कुशलता सुधारने के कौन से उपाय कर रही है?

किसी योजना में वह काम न हो, जिसके लिए वह योजना चल रही है, यही तो घोटाला है! क्या स्किल इंडिया कार्यक्रम एक योजनाबद्ध घोटाला था?

-कृष्ण कांत