स्वागत है आपका हैती की राजधानी पोर्ट ओ प्रिंस में जहां हत्या, अपहरण और रेप जैसी घटनाएं कभी भी हो जाती हैं.
आप पोर्ट ओ प्रिंस आएंगे तो शहर में आपको कोई सीमा रेखा नहीं दिखेगी लेकिन आपको अपनी सीमाओं का ख़्याल हर कदम पर रखना पड़ेगा. वो इसलिए कि आपका जीते रहना बहुत हद तक इसी बात पर निर्भर करता है.
ये शहर के ‘क्रिमिनल गैंग’ यानी अपराधी समूहों की मर्ज़ी पर निर्भर करता है जिन्होंने अपने-अपने इलाके़ ख़ूनी लक़ीरों से बांट रखे हैं. अगर आप एक इलाक़े से दूसरे इलाक़े में गए तो वापस अपने इलाके़ में आ जाएंगे, इसकी कोई गारंटी नहीं.
जो लोग इस शहर में रहते हैं उनके ज़हन में ऐसी सीमाओं का खाक़ा साफ होता है. यूं समझिए शहर का हर शख्स ‘मेंटल मैप’ लिए घूमता है जो शहर को तीन हिस्सों में बांटता है. हरा, पीला और लाल.
ये रंग वैसे तो ट्रैफिक सिग्नल के होते हैं, लेकिन पोर्ट ओ प्रिंस में ये आपकी सुरक्षा और खतरे का रंग है. हरे निशान वाले इलाके, मतलब यहां आप सुरक्षित हैं. पीले रंग वाले इलाके यानी ये आज तो सुरक्षित है, लेकिन कल का कोई ठिकाना नहीं और लाल रंग वाले इलाके के मायने हैं कि यहां जाने का मतलब है अपनी जान गंवाना.
शहर में सबसे बड़े खतरे की बात ये है कि हरे निशान वाले इलाके बेहद तेज़ी से ख़त्म हो रहे हैं.
अपने अपने इलाक़ों का विस्तार करने और इस पर अपनी पकड़ मजबूत बनाने के लिए अपराधियों के गैंग आतंक फैलाते हैं.
हैती में काम कर रहे मानवाधिकार संगठनों के मुताबिक अब हालत ये है कि पोर्ट ओ प्रिंस के 60 फ़ीसदी हिस्से पर लोकल क्रिमिनल गैंग का कब्ज़ा है. ये अपने इलाके में सड़क से लेकर तमाम अहम ठिकानों की मार्किंग कर देते हैं.
इस तरह ये इलाका पूरी तरह उनके कंट्रोल में होता है. यूएन की एक रिपोर्ट के मुताबिक इस साल के शुरुआती छह महीनों में ही ये क्रिमिनल गैंग एक हजार लोगों की हत्या कर चुके हैं.
पोर्ट ओ प्रिंस एक तरफ हरी-भरी पहाड़ियों और दूसरी तरफ़ नीले समुद्र के बीच बसा हुआ है. शहर में जितनी उमस होती है उतनी ही दिक्कतें भी कदम कदम पर देखने को मिलती हैं. कई जगह आपको घुटने भर ऊंचा कूड़े का अंबार दिख जाएगा. ऐसे दृश्य बर्बादी की कगार पर खड़े एक देश की कहानी ख़ुद ब ख़ुद कहने लगते हैं.
हैती का कोई राष्ट्र प्रमुख नहीं है. जो आखिरी राष्ट्राध्यक्ष थे उनकी दफ़्तर में ही हत्या कर दी गई. यहां की संसद भी सक्रिय नहीं है. इसके ईर्द-गिर्द के इलाकों पर क्रिमिनल गैंग का कब्जा है. अमेरिका समर्थित एरियल हेनरी देश के प्रधानमंत्री ज़रूर हैं लेकिन एक तो वो चुने हुए नहीं है और दूसरे लोगों के बीच लोकप्रिय नहीं हैं.
शासन व्यवस्था ठप
यूं समझिए कि हैती की पूरी शासन व्यस्था ठप है. ये जानकर आप हैरान हो जाएंगे कि अपने देश में जब आप सुबह के छह बजे से नौ बजे के बीच दफ़्तर के लिए तैयार हो रहे होते हैं, पोर्ट ओ प्रिंस में वही समय अपहरण का ‘रश आवर’ माना जाता है.
इस दौरान छीना-झपटी सबसे ज्यादा होती है. इसी तरह दोपहर बाद तीन से छह बजे के बीच, जब लोगों के दफ़्तर से लौटने का वक्त होता है, लोग सबसे ज्यादा निशाना बनाए जाते हैं.
हम जिस होटल में रहते हैं वहां 50 से ज़्यादा ऐसे लोग ठहरे हैं जो काम के बाद ख़तरे की वजह से घर नहीं जाना चाहते हैं. कुछ लोग जाने की हिम्मत भी जुटाते दिखे तो अंधेरा होने के बाद. होटल के मैनेजर बताते हैं कि वो कभी यहां से बाहर नहीं निकलते.
पोर्ट ओ प्रिंस में अपहरण सबसे फलता-फूलता धंधा है. यहां के गैंग के लिए कमाई का ये सबसे बड़ा जरिया है.
एक रिपोर्ट के मुताबिक इस साल जनवरी से अक्टूबर के 10 महीने में अपहरण के 1107 मामले दर्ज हुए हैं. ऐसे मामलों में फिरौती देने के लिए अपहृतों के रिश्तेदार खासे परेशान होते हैं क्योंकि अपहरणकर्ता कई बार फोन पर पीड़ित से रेप करते हुए उसकी आवाज़ सुनाते हैं.
क्या कहते हैं पुलिस अधिकारी
शहर में घूमने के लिए हम एक बख्तरबंद कार से निकले. आमतौर पर ऐसी कारों का इस्तेमाल यूक्रेन के युद्धग्रस्त इलाक़ों में किया जाता है. लेकिन पोर्ट ओ प्रिंस में अपराधियों से बचाव के लिए ये बेहद जरूरी है. हालांकि इस तरह की सुरक्षा हर कोई वहन नहीं कर सकता क्योंकि यहां बहुत गरीबी है. हैती पूरे पश्चिमी गोलार्ध में सबसे गरीब देश है जहां राजनीतिक अस्थिरता के साथ प्राकृतिक आपदाएं आम हैं.
शहर में फैले किडनैपर्स मूलतः दो प्रतिद्वंद्वी गुटों से जुड़े हैं. एक ‘जी-9’ और दूसरा ‘जीपीईपी’. यहां गश्त पर तैनात पुलिसकर्मियों के मुताबिक उन्होंने शुरुआत में ही अपहरण करने वालों के गैंग पर काबू पाने की कोशिश की, कई बार अपहृत लोगों को छुड़ाते हुए उनसे मुठभेड़ भी हुई, एक किडनैपर को मार गिराया. लेकिन अक्सर वो भागने में कामयाब हो जाते.
नाम जाहिर नहीं करने की शर्त पर 27 साल से पुलिस में काम कर रहे एक अफसर बताते हैं, “पुलिस टीम और अपराधियों के बीच काफी मुठभेड़ें हुईं. इसमें कई लोग मारे भी गए. लेकिन आज जैसे बुरे हालात पहले नहीं थे.”
हमने उनसे पूछा कि यहां के गैंग्स को काबू क्यों नहीं किया जा सका तो उनका जवाब था, “हमने किया था.”
देश छोड़ने का इरादा
जब सुबह हम शहर में निकले, उसी दिन 42 साल के एक बिज़नेसमैन फ्रैंसिस सिनक्लेयर को गोली मार दी गई. फ्रैंसिस उस वक्त एक ट्रैफिक जाम में फंसे थे.
तभी उन्होंने देखा कि हथियारों से लैस कुछ लोगों ने उनकी कार के सामने दो गाड़ियों को घेर लिया. फ्रैंसिस ने अपने ड्राइवर से कार घुमाने के लिए कहा, लेकिन तब तक हथियारबंद लोगों ने उन्हें भागते हुए देख लिया.
फ्रैंसिस ने बताया, “न जाने कैसे मुझे अपनी कार में ही गोली मार दी गई. वो गोली मेरे सिर पर भी लग सकती थी.”
फ्रैंसिस बांह में लगी गोली का इलाज एक ट्रॉमा हॉस्पिटल में करा रहे थे. गोली लगी हुई जगह पर पट्टी बांध दी गई थी लेकिन चेहरे पर खौफ की लकीरें साफ थीं.
हमने उनसे पूछा कि क्या उनके ज़हन में देश छोड़ने का ख्याल आता है तो उन्होंने कहा, “ऐसे ख्याल हज़ारों बार आते हैं मन में. मैं इतना डरा हूं कि अपनी मां को फोन कर ये भी नहीं बता सकता कि मेरे साथ हुआ क्या है, क्योंकि वो बूढ़ी हो चुकी हैं. यहां ऐसा ही है, बेहतर है आप यहां सबकुछ छोड़कर चले जाएं.”
इस तरह की बातें हमने कई लोगों से सुनीं लेकिन हैती के ज़्यादातर लोगों के लिए कहीं और जाने का कोई विकल्प नहीं.
एमएसएफ हॉस्पिटल जहां हम घायल बिजनेसमैन से बातचीत कर रहे थे, वहां का पूरा वॉर्ड गोली के शिकार लोगों से भरा पड़ा था.
इनमें एक महिला थीं क्लॉडेट, जिनके बाएं पांव में गोली का गहरा ज़ख्म है. वो बताती है कि उनकी कभी शादी नहीं हो सकती क्योंकि वो गोली लगने के बाद अपंग हो चुकी हैं.
उनके बगल में 15 साल की एक लड़की लेलिनेन बेड पर लेटी हुई थी. उस वक्त वो खुद को बहलाने के लिए क्रॉसरोड पहेली सुलझा रहीं थीं. लेलिनेन को पेट में गोली लगी हुई थी.
पूछने पर उन्होंने बताया, “मैं अपनी मां के साथ कुछ खाने के लिए बाहर गई थी. जब हम खाना ऑर्डर कर रहे थे तो मुझे झटका सा लगा और मैं गिर पड़ी और दर्द के मारे चीखने लगी. मुझे नहीं लगा था मैं जिंदा बच पाउंगी. गोलियों की ऐसी आवाज़ मैं अपने घर से दूर सुना करती थी, लेकिन उस दिन वो हमारे करीब आ गए थे.”
राष्ट्रपति की हत्या और अस्थिरता का दौर
आम लोग ही क्या, हैती के आखिरी राष्ट्रपति भी अपने घर में भी सुरक्षित नहीं थे. जुलाई 2021 में राष्ट्रपति जोवेनेल मोइज़ को एक बंदूकधारी ने घर में ही गोली मार दी थी.
पुलिस ने इसके लिए कोलंबिया के चरमपंथी समूहों को जिम्मेदार ठहराया था. इस मामले में 20 लोगों को हिरासत में भी लिया गया. लेकिन एक साल बाद तक किसी पर भी राष्ट्रपति की हत्या या इसकी साजिश में शामिल होने का मुकदमा नहीं चल रहा है. मानवाधिकार संगठनों के मुताबिक अब तक इस मामले में चार जज़ आए और चले गए. अब पांचवें की बारी है.
राष्ट्रपति की हत्या के बाद हैती में सत्ता की पकड़ ढीली होती गई. अलग अलग गैंग इसे अपने कब्ज़े में लेने की लड़ाई लड़ रहे हैं.
इसमें उन्हें राजनीतिक आकाओं का भी पूरा संरक्षण मिल रहा है. ऐसे नेताओं में सत्ता और विपक्ष दोनों पक्षों के लोग शामिल है. राजनीतिक संरक्षण देने के साथ ये क्रिमिनल गैंग को हथियार देते हैं और आर्थिक मदद भी करते हैं.
इसके बदले गैंग के अपराधी दशहत फैलाकर इनके लिए समर्थन जुटाते हैं या फिर जरूरत पड़ने पर विरोधियों को धमकाते हैं. ऐसे क्रिमिनल गैंग से कई बड़े बिजनेसमैन भी जुड़े हैं.
हैती यूनिवर्सिटी में इंटरनेशनल रिलेशन पढ़ाने वाले प्रोफेसर जेम्स बोयार्ड बताते हैं “क्रिमिनल गैंग और राजनेताओं के बीच साठ-गांठ कोई नई बात नहीं है. ये हमेशा से रहा है खासतौर पर उन इलाकों में जहां वोटरों की तादाद ज्यादा है. लेकिन 2011 के चुनावों के बाद ये एक तरह से संस्थागत हो गया. नेता ऐसे अपराधी गिरोहों का इस्तेमाल भाड़े पर राजनीतिक हिंसा के लिए करने लगे”
हैती में मानवाधिकार अभियानों से जुड़े लोग बताते हैं कि पूरे देश में 200 से ज्यादा हथियारबंद आपराधिक गिरोह हैं. इनमें से आधे से ज्यादा राजधानी पोर्ट ओ प्रिंस में है. अगर किसी गैंग का अपराधी पकड़ा जाता है तो फौरन इनके राजनीतिक आकाओं का फोन आता है और इन्हें हथियार समेत छोड़ दिया जाता है. वो बताते हैं “यहां तमाम तरह के अपराध होते हैं, लेकिन सज़ा किसी को नहीं होती”
हैती के नेशनल मानवाधिकार रक्षा नेटवर्क में काम करने वाली मैरी रोज़ी ऑगस्टा बताती हैं, “जज़ ऐसे मामलों की सुनवाई ही नहीं करना चाहते. इसके बदले क्रिमिनल गैंग इन्हें पैसे देते हैं. कुछ मामलों में पुलिस भी इन गैंग के लिए मददगार साबित होती है. कई बार इन्हें बख्तरबंद गाड़ियां और आंसू गैस भी मुहैया कराती है.”
मानवाधिकार कार्यकर्ता गैडॉन जीन बताते हैं, “हर अपराधी गिरोह में मैं ऐसे दो पुलिसवालों को जानता हूं, जो इनके सदस्य की तरह काम करते हैं. कुछ रिटायर्ड तो कुछ अभी नौकरी में ही है. अगर ये अपराधी किडनैपिंग के लिए पुलिस लाइसेंस वाली प्लेट लगी कार का इस्तेमाल करते हैं, तो ये कहना मुश्किल है कि क्या इसमें पूरा पुलिस महक़मा शामिल है.”
मानवाधिकार समूहों से जुड़े लोग बताते हैं कि दरअसल कुछ मौजूदा और रिटायर्ड पुलिस वालों का अपना गैंग है जो पोर्ट ओर स्पेन के डाउन टाउन की मुख्य गली पर नियंत्रण रखता है.
इसलिए पुलिस और अपराधियों का गठजोड़ यहां कोई रहस्य नहीं है. इन्हें महीने के 300 डॉलर की पगार मिलती है. कुछ तो क्रिमिनल गैंग के कब्जे वाले इलाके में रहते हैं, इसलिए कई पुलिस वालों के लिए सवाल जिंदा रहने का हो सकता है, अपनी मर्जी से अपराधी गिरोहों में शामिल होने का नहीं.
निशाने पर महिलाएं
शहर में बिताए कुछ दिनों के दौरान ही मैं गैंगरेप की तीन पीड़ित महिलाओं से मिली. इनमें से एक लड़की 16 साल की थी. इस लड़की और इसकी कुछ रिश्तेदारों का बलात्कार हमलावरों के एक ही समूह ने किया था.
रेप के बाद उन्हें इनके ही घर में जिंदा जला देने की धमकी दी गई. इनमें से महिला घटना के वक्त छह महीने की गर्भवती थी. उसके साथ जब बलात्कार हो रहा था, उसी वक्त उसके पति की हत्या कर दी गई. महीनों बाद भी उनकी लाश का पता नहीं चल पाया.
बलात्कार को हथियार बनाने का चलन यहां काफी बढ़ा है. एक गैंग अपने प्रतिद्वंद्वी गैंग के इलाकों में रहने वाली महिलाओं को निशाना बनाते हैं. हैती के सबसे गरीब ज़िले सिटी सोले में इसी साल के जुलाई महीने में 300 लोगों की हत्याएं की गईं. इनमें से ज्यादातर को जला कर मारा गया था. करीब 50 महिलाओं के साथ गैंगरेप हुआ था.
गैंगरेप की घटनाओं को हैती के नेशनल ह्यूमन राइट्स डिफेंस नेटवर्क ने दर्ज किया था. इसके मुताबिक़ गैंगरेप के बाद जिंदा बची कई महिलाएं विक्षिप्त जैसी हो गईं. ऐसी 20 महिलाओं का रेप उनके बच्चों के सामने किया गया था. छह महिलाओं के गैंगरेप के दौरान उनके पतियों की हत्या की गई. ऐसी महिलाओं को अपने जिंदा रहने पर अफसोस है.
सबसे ताक़तवर गैंग
सिटी सोले ज़िले का ज्यादातर हिस्सा पोर्ट ओ प्रिंस के सबसे ताक़तवर गैंग जी-9 और इसके सहयोगी गैंग के कब्जे में है. स्थानीय सूत्रों के मुताबिक इस गैंग का कनेक्शन मौजूदा सत्ताधारी जमात और उन राष्ट्रपति से है, जिनकी पिछले साल हत्या कर दी गई. इनका मुख्य धंधा है जबरन वसूली
जी-9 गैंग ने इसी साल सितंबर के महीने में ईंधन टर्मिनल की नाकेबंदी कर दी, जिसके बाद दो महीने तक शहर में अफरातफरी की स्थिति रही.
इस गैंग का सरगना जिमी चेरिज़ियर है, जो ‘बारबेक्यू’ नाम से कुख्यात है. ये शख्स कई बार प्रेस कॉन्फ्रेंस भी करता है. हमने भी इसके करीबियों के जरिए इसका इंटरव्यू लेने की कोशिश की, लेकिन उधर से कोई जवाब नहीं आया.
इन दिनों वो बात इसलिए भी नहीं करना चाहता होगा क्योंकि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने हैती की शांति व्यवस्था भंग करने को लेकर उस पर पाबंदी लगा रखी है.
इसके अलावा अमेरिका और कनाडा ने भी हैती के दो राजनेताओं पर प्रतिबंध लगा रखे हैं. इनमें से एक मौजूदा संसद का अध्यक्ष जोसेफ लैम्बर्ट है जिस पर क्रिमिनल गैंग से सांठ-गांठ करने का आरोप है.
स्थानीय सूत्रों के मुताबिक ऐसे प्रतिबंधों का कुछ असर पड़ा है, क्योंकि आपराधिक गिरोहों से जुड़े नेता अब थोड़ी दूरी बनाकर रख रहे हैं.
– ओर्ला ग्यूरिन, बीबीसी