दक्षिण अफ़्रीका सरकार ने कहा है कि देश के चर्चित रईस गुप्ता परिवार के दो भाइयों को संयुक्त अरब अमीरात में गिरफ़्तार कर लिया गया है.
अतुल और राजेश गुप्ता पर आरोप है कि उन्होंने दक्षिण अफ्रीका के पूर्व राष्ट्रपति जैकब ज़ुमा का क़रीबी होने और नाजायज़ रसूख़ का फ़ायदा उठाकर व्यापार में खूब मुनाफ़ा कमाया और देश के सबसे बड़े घोटाले का कारण बने.
दक्षिण अफ़्रीकी अधिकारियों का कहना है कि दोनों भाइयों के प्रत्यर्पण के लिए यूएई से बातचीत चल रही है.
साल 2018 में जब न्यायिक आयोग ने घोटाले में दोनों भाईयों की भूमिका की जांच शुरू की थी तो उन्होंने देश छोड़ दिया था.
गुप्ता परिवार साल 1993 में भारत से दक्षिण अफ्रीका आया. उन पर भारत में मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप लगे थे. भारतीय टैक्स अधिकारियों ने साल 2018 में दिल्ली में उनकी कंपनी के कार्यालय सहित कई शहरों में उनसे संबंधित संपत्तियों पर छापा मारा था.
भारतीय मूल के गुप्ता भाइयों के खिलाफ लगे भ्रष्टाचार के कई गंभीर आरोप में से सबसे गंभीर आरोप है जैकब ज़ुमा के साथ उनके संबंध.
साल 2009 से दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति रहे ज़ुमा को नौ साल बाद साल 2018 में भ्रष्टाचार के आरोपों की वजह से अपनी कुर्सी गंवानी पड़ी थी.
गुप्ता भाईयों पर आरोप है कि उन्होंने राष्ट्रपति ज़ुमा से अपने करीबी लिंक का इस्तेमाल दक्षिण अफ्रीका की राजनीति में लगभग हर स्तर पर हस्तक्षेप किया. चाहे वो बड़े बिजनेस ठेके पाना हो या फिर हाई-प्रोफ़ाइल सरकारी अधिकारियों की नियुक्ति को प्रभावित करना हो. हालांकि पूर्व राष्ट्रपति और गुप्ता बंधु इन आरोपों को ख़ारिज करते हैं.
कैसे दो भाइयों ने देश की संस्थाओं पर किया ‘कब्ज़ा’
दोनों भाइयों के देश से भाग जाने के बाद दक्षिण अफ्रीका ने 2021 में यूएई के साथ प्रत्यर्पण संधि पर बातचीत की.
दक्षिणी अफ्रीकी राष्ट्रपति सिरिल रामाफोसा की सरकार ने कहा है कि उन्हें उम्मीद है कि समझौते से गुप्ता बंधुओं को देश वापस लाया जा सकेगा और उन पर लगे आरोपों का मुक़दमा शुरू होगा.
गुप्ता परिवार के साथ ज़ुमा के रिश्ते इतने घनिष्ठ थे कि उनके लिए एक संयुक्त शब्द भी गढ़ा गया- ज़ुप्टास.
ज़ुमा की कई पत्नियों में से एक पत्नी और उनके बेटे और बेटी गुप्ता बंधुओं के स्वामित्व वाली कंपनियों उच्च पदों पर कार्यरत थे.
गुप्ता भाइयों की कई कंपनियों को सरकारी विभागों से लुभावने कॉन्ट्रेक्ट मिले. सरकारी अधिकारियों का कहना है कि उन्हें सीधे तौर पर कहा गया था कि फैसला गुप्ता बंधुओं के पक्ष में ही होना चाहिए.
इस तरह के ऊपर से आने वाले आदेशों को जिन लोगों ने माना उन्हें पैसे और प्रोमोशन दिए गए वहीं जिन लोगों ने इस बात को मानने से इंकार किया उन्हें इसकी सज़ा दी गई.
आरोप है कि कई सार्वजनिक संस्था को पूरी तरह इस परिवार की ओर से ‘कब्ज़ा’ कर लिया गया.
इनमें वित्त मंत्रालय, प्राकृतिक संसाधन और सार्वजनिक उद्यम मंत्रालय, टैक्स कलेक्शन और कम्यूनिकेशन के लिए ज़िम्मेदार एजेंसियां, राज्य प्रसारक सीएबीससी, राष्ट्रीय एयरलाइन दक्षिण अफ्रीकी एयरवेज़, देश के स्वामित्व वाली रेल-माल ढुलाई ऑपरेटर और ऊर्जा के क्षेत्र में दिग्गज कंपनी एसकॉम जैसी संस्थाएं शामिल हैं.
चार साल तक चली न्यायिक जांच रिपोर्ट देश के शीर्ष जज की ओर प्रकाशित की गई, इस जांच में निष्कर्ष निकाला गया कि अमीर गुप्ता बंधु दक्षिण अफ्रीका की सरकार के फैसलों में और ज़ुमा की सत्तारूढ़ पार्टी अफ्रीकी राष्ट्रीय कांग्रेस (एएनसी) पार्टी के फैसलों में गहराई से शामिल थे.
जांच की रिपोर्ट में भाइयों पर रेल, बंदरगाहों और पाइपलाइन जैसे बुनियादी ढांचे के लिए होने वाली खरीद-फरोख्त से जुड़ी अनियमितताओं से जुड़े होने का आरोप लगाया गया है.
जांचकर्ताओं का कहना है कि ज़ुमा वो सब-कुछ करने को तैयार थे जो गुप्ता बंधु उनसे कहते थे.
बीते साल पूर्व राष्ट्रपति ज़ुमा के 15 महीने जेल की सज़ा सुनाई गई क्योंकि उन्होंने जांचकर्ताओं के सामने गवाही देने से इंकार कर दिया था. हालांकि दो महीने की सज़ा काटने के बाद ज़ुमा पैरोल पर बाहर आ गए.
गुप्ता परिवार की तरक्की की कहानी
अजय, अतुल और राजेश गुप्ता 1993 में दक्षिण अफ़्रीका पहुँचे. उसी समय दक्षिण अफ्रीका में नस्लवाद खत्म हुआ था.
गुप्ता भाइयों का संबंध उत्तर प्रदेश के सहारनपुर शहर से है जहां उनके पिता शिव कुमार गुप्ता मसालों के व्यापारी थे.
उन्होंने अपने बेटों को व्यापार के लिए विदेश जाने के लिए प्रोत्साहित किया. सबसे बड़े भाई अजय रूस गए, अतुल को दक्षिण अफ्रीका भेजा गया और सबसे छोटे बेटे राजेश ने (जो टोनी के नाम से भी जाने जाते हैं) चीन में व्यवसाय किया.
बाद में परिवार ने दक्षिण अफ़्रीक़ा में अपने क़दम जमाये और सहारा कंप्यूटर्स के नाम से कारोबार को आगे बढ़ाया.
उनकी कंपनी बड़ी होती गई और उनके कर्मचारियों की संख्या 10,000 से ज़्यादा हो गई. उन्होंने साथ ही खनन, विमान यात्रा, ऊर्जा, टेक्नोलॉजी और मीडिया के क्षेत्र में भी हाथ आज़माना शुरू किया.
अतुल गुप्ता का कहना है कि वो जैकब ज़ुमा से उनके राष्ट्रपति बनने से पहले मिले जब वो सहारा के एक वार्षिक कार्यक्रम में मेहमान बनकर आए थे.
दक्षिण अफ्रीका का सबसे बड़ा घोटाला
दक्षिण अफ़्रीका के इतिहास में सबसे बड़े घोटाले से गुप्ता भाइयों के व्यापारिक साम्राज्य का तेज़ी से पतन हुआ.
इस सनसनीख़ेज़ घोटाले के कारण साल 2018 फरवरी में गुप्ता परिवार के शक्तिशाली मित्र और राष्ट्रपति जैकब जुमा को भी अपमानजनक तरीके से सत्ता से बाहर होना पड़ा.
वहीं, दक्षिण अफ़्रीका में बड़ी संख्या में भारतीय कंपनियों ने देश में निवेश किया हुआ है लेकिन गुप्ता भाइयों से जुड़े घोटाले ने भारतीय व्यापारियों की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाया है.
-एजेंसियां