भारत सरकार खुदकुशी की वारदातों को रोकने के लिए एक गाइडलाइन लेकर आई है. उम्मीद है कि सरकार की नई पॉलिसी UMMEED कारगर हो और किशोर, युवा छात्र-छात्राओं की खुदकुशी में कुछ कमी आए.
5 पॉइंट्स में समझें पूरी गाइडलाइन.
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के मुताबिक, देश में लगभग हर घंटे एक छात्र मौत को गले लगा रहा है. हाल-फिलहाल यह आंकड़ा और बढ़ता हुआ दिखाई दे रहा है. कोचिंग हब कहे जाने वाले कोटा में इस साल अब तक 27 किशोरों ने अपने लिए मौत को चुना. भारत सरकार खुदकुशी की वारदातों को रोकने के लिए एक गाइडलाइन लेकर आई है. उम्मीद है कि सरकार की नई पॉलिसी UMMEED कारगर हो और किशोर, युवा छात्र-छात्राओं की खुदकुशी में कुछ कमी आए.
केन्द्रीय शिक्षा मंत्रालय ने स्टूडेंट्स की बढ़ती मौतों के बीच इसे रोकने के लिए जो गाइडलाइन जारी की है, उसमें पैरेंट्स की भी भूमिका है और स्कूल, कॉलेज, कोचिंग के एक-एक जिम्मेदार सदस्य की भी. इसे नाम दिया गया है UMMEED मतलब Understand, Motivate, Manage, Empower, Develop. इसके सहारे स्टूडेंट्स की खुदकुशी रोकने की कोशिश है.
सरकार का मानना है कि गाइडलाइन पर काम करके शर्तिया किशोर, युवा स्टूडेंट्स की खुदकुशी की संख्या में कमी लाई जा सकेगी.
5 पॉइंट में समझें है क्या है उम्मीद गाइडलाइन
1- संकेत मिलते ही वेलनेस टीम होगी अलर्ट
गाइडलाइन में कहा गया है कि स्टूडेंट्स की तुलना न की जाए. अंकों के आधार पर या रंग, कपड़े, जूते के आधार पर, बिल्कुल नहीं. उनमें हीन भावना किसी भी सूरत में न पनपने दें. हर शैक्षिक संस्थान वेलनेस टीम गठित करें. किसी छात्र में संकेत मिलते ही वेलनेस टीम अलर्ट होकर काम पर जुटे.
2- पीड़ित की बदनामी नहीं
गाइडलाइन के मुताबिक, ध्यान यह भी रखना है कि पीड़ित की बदनामी नहीं होने देनी है. सारा एक्शन चुपचाप लेना है. खुदकुशी रोकने को हर परिसर में डिटेल एक्शन प्लान बने और समय से उस पर अमल भी हो. सरकार ने कहा है कि सारा एक्शन स्टूडेंट को समझने, उसे प्रेरित करने, दिक्कतों को सुलझाने या मैनेज करने, उसे और ताकत देने तथा विकसित करने के आसपास रहना चाहिए.
3- पेरेंट्स से ली जाएगी मदद
हर कदम नई गाइडलाइन UMMEED के मुताबिक चलेगा. मौकों का आंकड़ा घटाने में पैरेंट्स का सहयोग लिया जाएगा. शैक्षिक संस्थानों से अपेक्षा की गई है कि वे अपने यहां खाली कमरों में ताला लगाकर रखें. गलियारों में रोशनी के इंतजाम करें. मैदानों में घास को व्यवस्थित किया जाए. परिसर में साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखने की अपेक्षा भी की गई है.
4- तनाव ऐसे होगा कम
निर्देश या ड्राफ्ट यह भी कहता है कि केवल स्कूल प्रिंसिपल या टीचर नहीं, बल्कि शैक्षिक परिसर का हर सदस्य इसमें सहयोगी बने. जरूरत पड़ने पर तुरंत परिवार के सदस्यों को आवाज दें. क्योंकि ऐसे बच्चे संकेत देते हैं. उनकी गतिविधियां देखी जाएं तो आसानी से पता लग सकता है कि वे डिप्रेशन या खुदकुशी की ओर कदम बढ़ा सकते हैं. शैक्षिक परिसरों में ऐसी गतिविधियों को बढ़ावा देने कि सिफारिश की गई है, जब स्टूडेंट्स सामूहिक भाव से काम करें. पढ़ाई करें. ऐसी एक्टिविटीज जरूर हों जिसमें तनाव कम, मस्ती ज्यादा हो.
5- कब पेरेंट्स को होना चाहिए अलर्ट?
कल्याण सिंह कैंसर संस्थान के अधीक्षक एवं वरिष्ठ मनोरोग विशेषज्ञ डॉ. देवाशीष शुक्ल बताते हैं कि ड्राफ्ट में यह जानकारी बिल्कुल सही दी गई है कि ऐसे किशोर, युवा संकेत देते हैं. तभी अगर सतर्क हो जाया जाए तो ऐसे हादसे रोके जा सकते हैं.
-एजेंसी
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