खत्म होगी Google की थर्ड-पार्टी कुकीज, जानिए क्या होगा असर

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यह कदम डेवलपर्स को वास्तविक दुनिया के प्रयोग करने में मदद करेगा जो बिना थर्ड पार्टी के उनके प्रोडक्ट की क्वालिटी और उनके एक्सपीरियंस का आकलन करते हैं। बता दें कि प्राइवेसी सैंडबॉक्स एंड्रॉयड पर प्राइवेसी को और मजबूत करेगा।

जुलाई से मिलना शुरू होगा अपडेट

पिछले साल Google ने टेस्टिंग को बढ़ाया था ताकि डेवलपर्स इस नई टेक्नोलॉजी को टेस्ट कर सके। इसे जुलाई क्रोम रिलीज से शुरू करके आने वाले हफ्तों में कंपनी सभी क्रोम यूजर्स के लिए प्राइवेसी सैंडबॉक्स (Privacy Sandbox) मेजरमेंट एपीआई उपलब्ध कराएगी।

इसके साथ, डेवलपर्स इन एपीआई का इस्तेमाल कर सकते हैं। यह प्लान यूके की प्रतिस्पर्धा और बाजार प्राधिकरण (CMA) के परामर्श से विकसित की गई है। ओपनएक्स ने कंज्यूमर प्राइवेसी बढ़ाने के लिए Google की सराहना की है।

क्या होता है कुकीज

थर्ड पार्टी कुकीज ब्राउजर में आती है और यूजर्स की एक्टिविटीज पर नजर रखती है। कुकीज का इस्तेमाल वेबसाइट ट्रैकिंग के लिए होता है। कभी कभी सेशन मैनेजमेंट के लिए भी कुकीज का इस्तेमाल होता है। कुकीज की मदद से कंपनिया अपने यूजर्स के साथ ज्यादा से ज्यादा इंटरैक्ट कर सकती हैं। इसके जरिए कंपनिया यूजर्स को बेहतर एक्सपीरियंस दे सकती है। कुकीज यूजर्स के इंट्रेस्ट पर नजर रखती है और फिर उनके हिसाब से सर्च रिजल्ट और एड को दिखाती हैं।

Google Sandbox क्या होता है

गूगल सैंडबॉक्स एक तरह का फ़िल्टर है जो गूगल सर्च में आने वाले कम अथॉरिटी साइट्स को रोकता है। गूगल नई साइट को रैंकिंग में न आने से इसलिए करता है ताकि उसके लिए वेबसाइट की क्वालिटी और स्पैम से लड़ने के लिए टाइम मिल जाये। क्योंकि नयी वेबसाइट पर गूगल को ट्रस्ट नहीं होता है इसलिए गूगल एक निश्चित टाइम पीरियड के लिए वेबसाइट को सर्च इंजन पर शो नहीं करवाता है। इसको गूगल सैंड बॉक्स के नाम से जाना जाता है।

Compiled: up18 News


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