भारतीय विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने मंगलवार को इंडिया यूरोप बिजनेस एंड सस्टेनेबिलिटी कॉन्कलेव के दौरान कहा कि भारत और यूरोपीय देशों के बीच मुक्त व्यापार समझौता गेम चेंजर साबित होगा। विदेश मंत्री ने कहा कि स्थिरता लाने में बिजनेस की प्राथमिक भूमिका होती है। भारत और यूरोप बहुपक्षीय, भू-राजनैतिक और सुरक्षा चिंताओं में विश्वास रखते हैं। विदेश मंत्री ने कहा कि यूरोप, भारत का सबसे बड़ा और अहम व्यापार साझेदार है। भारत की व्यापार समझौतों को लेकर नई सोच, गुणवत्ता, व्यापारिक बाधाओं से परे है। हमें उम्मीद है कि निकट भविष्य में भारत ही एकमात्र तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था रहेगी।
डॉ. जयशंकर ने कहा कि जब ग्रीन ट्रांजिशन की बात आती है तो अक्षय ऊर्जा भारत और यूरोप के रिश्तों के लिए अहम है। हरित अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने का भविष्य में फायदा मिलेगा। अक्षय ऊर्जा संयंत्र स्थापित करने के मामले में भारत का तीसरा स्थान है। बता दें कि इंडिया यूरोप बिजनेस एंड सस्टेनेबिलिटी कॉन्कलेव की मंगलवार से शुरुआत हुई है और यह एक मार्च 2023 तक चलेगा।
उल्लेखनीय है कि साल 2021 में भारत और यूरोपीय यूनियन के बीच 88 बिलियन डॉलर पाउंड का द्विपक्षीय व्यापार हुआ। यह भारत के कुल व्यापार का 10 फीसदी के करीब है। अमेरिका (11.6 फीसदी) और चीन (11.4 फीसदी) के बाद भारत द्वारा सबसे ज्यादा उत्पादों का निर्यात यूरोपीय यूनियन के देशों को ही किया जाता है। भारत और यूरोपीय देशों के बीच होने वाले व्यापार में बीते एक दशक में 30 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है।
यूरोपीय देशों से साल 2020 में करीब 87 बिलियन पाउंड का निवेश आया जो कि 2017 के 63 बिलियन पाउंड से ज्यादा है। इस तरह यूरोपीय यूनियन भारत में सबसे बड़े निवेशकों में से एक है। हालांकि यूरोपीय यूनियन के देशों ने चीन में 201 और ब्राजील में 263 बिलियन पाउंड का निवेश किया हुआ है जो कि भारत के मुकाबले बहुत ज्यादा है। यूरोपीय यूनियन की करीब छह हजार कंपनियां भारत में काम कर रही हैं और इनसे 1.7 मिलियन लोगों को नौकरी मिली हुई है। साथ ही अप्रत्यक्ष रूप से करीब 50 लाख लोगों को रोजगार मिलता है।
Compiled: up18 News