सदा अम्बालवी की गज़ल है –
वो तो ख़ुश्बू है हर इक सम्त बिखरना है उसे,
दिल को क्यूँ ज़िद है कि आग़ोश में भरना है उसे…
मगर यही खुश्बू अगर आपके पिता बनने के सुख को छीन ले तो क्या कहेंगे…जीहां, ड्रेसिंग टेबल हो या वॉशरूम या फिर ड्राइंग रूम तक, परफ्यूम की बोतल से लेकर बाडी वॉश तक हर तरफ हम खुशबुओं से घिरे हुए हैं उसे लेकर ऐ रिसर्च स्टडी आई है.
खुद को महकाने के लिए हम तमाम महंगे परफ्यूम लगाते हैं. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि आकर्षक डिब्बों में बंद परफ्यूम में जो केमिकल होता है, वो आपके लिए कितना खतरनाक हो सकता है. जी हां परफ्यूम पुरुषों का टेस्टोस्टेरोन हार्मोन पर बुरा असर डाल सकता है. आपको बता दें कि इसी साल जून में इससे जुड़ी एक स्टडी पर चर्चा भी हुई. जिसके मुताबिक परफ्यूम, एयर फ्रेशनेस और डिटर्जेंट में आमतौर पर इस्तेमाल होने वाला फ्थेलेट्स महिलाओं में भी हार्मोनल असुंतलन पैदा कर सकता है.
रिसर्च में क्या मिला
अमेरिका के शिकागो में ENDO 2023 में प्रस्तावित की गई एक स्टडी के मुताबिक, फ्थेलेट्स टेस्टोस्टेरोन हार्मोन का संतुलन बिगाड़ सकता है. इससे मेल रिप्रोडक्टिव हेल्थ पर बुरा असर पड़ता है. इसके अलावा, इनमें कई सिंथेटिक चीजों को मिलाया जाता है. दिल्ली सफदरजंग अस्पताल में सीनियर रेजिडेंट डॉक्टर दीपक कुमार सुमन का कहना है कि फ्थेलेट्स केमिकल अगर शरीर में बढ़ जाता है तो ये इनफर्टिलिटी के खतरे को बढ़ा सकता है. हालांकि, इसको लेकर कई रिसर्च हो रही है. इसलिए किसी निष्कर्ष पर आना जल्दबाजी होगी.
हेल्थ एक्सपर्ट्स के मुताबिक, त्वचा से इन रसायनों के संपर्क होते ही आपको भी जलन महसूस होती होगी. कुछ रसायन इतने खतरनाक होते हैं जिनके कारण आपको त्वचा पर चकत्तेऔर कैंसर जैसी गंभीर बीमारियां हो सकती हैं.
पहचान पाना मुश्किल
फ्थेलेट्स का उपयोग अक्सर कोलोन, डिओडोरेंट और शैंपू समेत तमाम चीजों में खुशबू पैदा करने के लिए किया जाता है. लेकिन ट्रेड सीक्रेट प्रोटेक्शन के चलते अक्सर खुशबू पैदा करने वाले इंग्रीडिएंट्स को लिस्ट नहीं किया जाता है, जिससे लोगों के लिए ये जानना और भी मुश्किल हो जाता है कि किन उत्पादों में फ्थेलेट्स हैं. आपको बता दें कि फ्थेलेट्स के उपयोग को कई देशों ने बैन कर रखा है.
इन बीमारियों का भी खतरा
हेल्थ एक्सपर्ट्स ये भी कहते हैं कि फ्थेलेट्स के कारण डायबिटीज मेलीटस, मोटापा, हाइपरटेंशन और फर्टिलिटी से जुड़ी दिक्कतें आ सकती हैं. लेकिन फ्थेलेट्स के संपर्क और टेस्टोस्टेरोन के स्तर में बदलाव से जुड़े तमाम सबूत मौजूद हैं लेकिन इसके लंबे समय तक स्वास्थ्य प्रभावों को लेकर अभी भी अध्ययन किया जा रहा है.
– एजेंसी
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