भारतीय पुलिस सेवा के सेवानिवृत्त अधिकारी भगवान लाल सोनी ने भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता ले ली है। मंगलवार 9 अप्रैल को नव संवत्सर के अवसर पर जयपुर स्थित पार्टी के प्रदेश कार्यालय में जॉइनिंग कमेटी के प्रदेश संयोजक अरुण चतुर्वेदी ने भाजपा की सदस्यता दिलाई। 31 दिसंबर 2022 को वे पुलिस सेवा से सेवानिवृत्त हुए थे। तब से वे सामाजिक कार्यों से जुड़े हुए थे। पिछले दिनों उन्होंने राजनैतिक पार्टी जॉइन करके सेवा का मन बनाया। वर्तमान परिदृश्य में सबसे बेहतर कार्य करने वाली पार्टी उन्हें बीजेपी लगी और फिर उन्होंने पार्टी की सदस्यता ग्रहण कर ली।
उन्होंने भाजपा ज्वाइन करते ही पूर्व सीएम अशोक गहलोत पर आरोप लगाया कि उन्होंने संदिग्ध छवि के लोगों को भर्तियों का जिम्मा दिया था। गहलोत सरकार के कार्यकाल में बिचौलिए भी हावी हो गए थे। वहीं दूसरी तरफ युवाओं के भविष्य के साथ कुठराघात किया गया था।
पुलिस महकमे के सबसे फेवरेट अफसरों में गिने जाते हैं सोनी
1988 बैच के आईपीएस अफसर रहे बीएल सोनी ने 35 साल तक पुलिस में सेवाएं दी। वे पुलिस महकमे के सबसे सुलझे हुए अफसरों में गिने जाते हैं। बीएल सोनी कभी किसी विवाद में नहीं रहे। उनके चेहरे पर हमेशा मुस्कुराहट रहती है। चाहे कोई पुलिसकर्मी हो या कोई परिवादी सबसे वे बड़ी आत्मीयता से मिलते और उनकी बात सुनते थे। उनका व्यवहार हमेशा एक सेवक जैसा रहा है। यही वजह है कि वे सबसे फेवरेट अफसरों में गिने जाते हैं।
जयपुर के पहले पुलिस कमिश्नर भी रहे बीएल सोनी
1 जनवरी 2011 में राजस्थान के दो शहरों जयपुर और जोधपुर में कमिश्नर प्रणाली लागू हुई थी। उन दिनों बीएल सोनी जयपुर रेंज के आईजी थे। कमिश्नर प्रणाली लागू होने के दौरान तत्कालीन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सोनी को ही पहले पुलिस कमिश्नर की कमान सौंपी। कमिश्नर प्रणाली लागू होने के बाद विभाग के कार्यों में कई तरह के बदलाव हुए। जिला प्रशासन की कई शक्तियां पुलिस कमिश्नर के पास आ गई थी। पहले पुलिस कमिश्नर के रूप में बीएल सोनी ने अपराध नियंत्रण और कानून व्यवस्था बनाए रखने में बेहतरीन कार्य करके जयपुर कमिश्नरेट की विशेष पहचान बनाई।
भ्रष्ट आईएएस-आईपीएस अफसरों को किया बेनकाब
पुलिस सेवा से सेवानिवृत्त होने से पहले बीएल सोनी भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो के डीजी रहे। अपने दो साल के कार्यकाल में उन्होंने कई भ्रष्ट अफसरों को जेल की हवा खिलाई। आईएएस, आईपीएस, आईआरएस, आरएएस, आरपीएस सहित सैकड़ों अफसरों और कर्मचारियों को रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों ट्रेप करके जेल भेजा। सोनी की पहल से ही एसीबी में हेल्पलाइन नंबर शुरू हुआ। रिश्वत की राशि के अभाव में कई लोग एसीबी में शिकायत को कर देते थे लेकिन कार्रवाई नहीं करा पाते थे।
बीएल सोनी के प्रयासों से सरकार एसीबी को अतिरिक्त फंड जारी किया। जिसके तहत अगर किसी परिवादी से कोई भ्रष्ट अफसर नकदी की मांग करता है और परिवादी के पास नकदी नहीं होने की स्थिति में एसीबी की ओर से रुपए उपलब्ध कराए जाते हैं। यह शुरुआत सोनी के प्रयासों से ही हो सकी।
सेवानिवृत्ति के बाद बनाया युवा जागृति मंच
पुलिस सेवा से मुक्त होने के बाद वे घर बैठकर आराम करने वाले अफसरों में नहीं थे। उन्होंने युवा जाग्रति मंच के नाम से एक संगठन बनाया। इस संगठन के जरिए वे युवा पीढ़ी को प्रोत्साहित करना चाहते थे। उन्होंने कुछ कार्यक्रमों का आयोजन भी किया जिसमें युवाओं ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया। बीएल सोनी का कहना है कि युवा देश का भविष्य है। उन्हें कभी हतोत्साहित नहीं होने देना चाहिए। अगर युवा वर्ग में निराशा आ जाएगी तो समाज के बेहतर भविष्य की कल्पना नहीं की जा सकती।
कांग्रेस पर सियासी हमला करके आए सुर्खियों में
वैसे तो बीएल सोनी ने कभी कोई राजनैतिक बयान नहीं दिया। यह जाहिर भी नहीं होने दिया कि वे कौन सी राजनैतिक पार्टी के नजदीक हैं लेकिन पिछले दिनों एक ऑडियो जारी करके उन्होंने पूर्ववर्ती गहलोत सरकार पर कई तरह के आरोप लगा दिए। उन्होंने कहा कि पूर्ववर्ती सरकार पारदर्शी प्रशासन देने का वादा तो करती थी लेकिन एसीबी के हाथ बांथ रखे थे। कई भ्रष्ट अफसरों और मंत्री स्तर के नेताओं के खिलाफ गहलोत सरकार ने कार्रवाई की अनुमति नहीं दी। बीएल सोनी ने कई उदाहरण देकर बताया कि गहलोत सरकार ने पेपर लीक सहित कई मामलों में कार्रवाई नहीं करने दी। इससे लाखों युवाओं का भविष्य बर्बाद हो गया।
भ्रष्ट नेताओं को बोर्ड के सदस्य बनाने का आरोप
बीएल सोनी की ओर से जारी ऑडियो में कहा गया कि पूर्ववर्ती सरकार के दौरान लगभग सभी प्रतियोगिता परीक्षाओं के पेपर लीक हुए। पेपर लीक के मामलों में बोर्ड के अध्यक्ष, कर्मचारी और सदस्यों की मिलीभगत रही। पुलिस के पास पुख्ता सबूत थे लेकिन सरकार ने जांच को आगे नहीं बढ़ने दिया। राज्य मंत्री स्तर का एक नेता (गोपाल केसावत) 18 लाख रुपए की रिश्वत के साथ पकड़ा गया। उसके मोबाइल में संदिग्ध चैटिंग मिली। पेपर लीक से संबंधित कई सबूत और ओएमआर सहित कई प्रमाण मिले लेकिन गहलोत सरकार ने जांच नहीं होने दी।
-एजेंसी
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