सर्वोच्च अदालत ने उत्तराखंड सरकार को बुधवार को फटकार लगाई है। अदालत ने कहा कि जंगल की आग को काबू में करने का राज्य का दृष्टिकोण चिंताजनक है। न्यायमूर्ति बीआर गवई की अध्यक्षता वाली पीठ ने उत्तराखंड के मुख्य सचिव को 17 मई को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने के लिए कहा है। पीठ में न्यायमर्ति एसवीएन भट्टी और न्यायमूर्ति संदीप मेहता भी शामिल हैं। पीठ ने सुनवाई के दौरान कहा कि कई योजनाएं तैयार की जाती हैं लेकिन कदम कोई भी नहीं उठाए जा रहे हैं। साथ ही शीर्ष अदालत ने वन विभाग में भारी रिक्तियों के मुद्दे को भी उठाया और कहा कि पदों को भरने पर भी ध्यान देने की आवश्यकता है।
वन प्रभाग वनाग्नि की घटनाएं नुकसान
पिथौरागढ़ 106 159
तराई पूर्वी 90 104.94
चंपावत 55 54.99
अल्मोड़ा 56 85.5
रामनगर 31 45.37
नैनीताल 29 34.65
हल्द्वानी 27 28.03
सिविल सोयम अल्मोड़ा 26 41.5
बागेश्वर 28 34.47
तराई केंद्रीय 12 11.96
सोइल कंजरवेशन, रानीखेत 12 24.25
तराई पश्चिम 03 2.5
सोइल कंजरवेशन, रामनगर 12 24.25
उत्तराखंड के यह इलाके हैं संवेदनशील
पिथौरागढ़ वन प्रभाग में पिथौरागढ़, गंगोलीहाट, बेड़ीनाग, डीडीहाट, अस्कोट, धारचूला, मुनस्यारी रेंज हैं। इसमें डीडीहाट रेंज आग की दृष्टि से सबसे अधिक संवेदनशील है। चंपावत वन प्रभाग के अंतर्गत जिले के पाटी ब्लॉक में इस बार आग की घटनाएं अधिक हुई हैं। इस प्रभाग में भिंगराड़ा चीड़ बाहुल्य क्षेत्र होने के कारण अधिक संवेदनशील बना हुआ है। अल्मोड़ा में जागेश्वर, सोमेश्वर, रानीखेत, मोहान, अल्मोड़ा, द्वाराहाट रेंज सबसे अधिक संवेदनशील हैं।
घरों की छतों और बरामदों में राख ही राख
हाल ही में पिथौरागढ़ नगर से सटे टकाड़ी के जंगल में भीषण आग धधकी। रात भर आग लगने से धुआं और राख हवा में फैल गया। जीआईसी और सरस्वती विहार कालोनी के घरों के बरामदे और छतों में सोमवार की सुबह राख ही राख फैली नजर आई।
प्रदेश में नवंबर से अब तक आग की 930 घटनाएं
प्रदेश में नवंबर-2023 के बाद से छह मई तक जंगल की आग की 930 घटनाएं हो चुकी हैं। इसमें गढ़वाल में 365, कुमाऊं में 491 और वन्यजीव क्षेत्र में 74 घटनाएं हुई हैं। इन घटनाओं में 1196.48 हेक्टेयर क्षेत्रफल में वनों को नुकसान हुआ है।
-एजेंसी