पीएम नरेंद्र मोदी ने पापुआ न्यू गिनी में सोमवार को फोरम फॉर इंडिया पैसिफिक आइलैंड कॉआपरेशन यानी FIPIC के शिखर सम्मेलन में भाग लिया. यह छोटे देशों का ऐसा बड़ा ग्रुप है जो भारत के लिए कूटनीति और रणनीतिक तौर पर बड़ा महत्व रखता है.खास बात ये है कि कई छोटे देशेां से मिलकर बने इस समूह की परिकल्पना भारत ने ही की थी.
सोमवार को हुए शिखर सम्मेलन में शामिल 14 देशेां के बीच भारतीय पीएम नरेंद्र मोदी ने एक बार फिर यहां वसुधैव कुटुबंकम् का नारा दिया. पीएम मोदी ने कहा कि वन फैमिली वन फ्यूचर ही हमारा मूल मंत्र है. इससे पहले रविवार को पीएम मोदी जापान से पापुआ न्यू गिनी के पोर्ट मोरेस्बी पहुंचे थे. यहां पीएम जेम्स मारापे ने भव्य तरीके से उनका स्वागत किया था और पीएम के पैर भी छुए थे. यह FIPIC का तीसरा शिखर सम्मेलन था. आइए जानते हैं कि आखिर भारत के लिए इस समूह के मायने क्या हैं और कैसे ये चीन की हर चालाकी का जवाब है?
क्या है FIPIC
FIPIC एक ऐसा अंतरराष्ट्रीय समूह है, जिसकी नींव भारत की पहल पर रखी गई. 2014 में पीएम नरेंद्र मोदी की फिजी यात्रा के साथ इस समूह की नींव पड़ी थी. यह प्रयास तब किया गया था जब चीन इस क्षेत्र में लगातार अपना दखल बढ़ा रहा था.फोरम फॉर इंडिया पैसिफिक आइलैंड कॉआपरेशन नाम के इस समूह में भारत प्रशांत क्षेत्र के द्वीपों पर बसे छोटे-छोटे 14 देश हैं. खास तौर पर फिजी, पापुआ न्यू गिनी, टोंगा, तुवालु, किरिबाती, समोआ, वानुअतु, नीयू, फेडरेटेड स्टेट्स ऑफ माइक्रोनेशिया, रिपब्लिक ऑफ मार्शल आइलैंड्स, कुक आइलैंड्स, पलाऊ, नाउरू और सोलोमन द्वीप आदि शामिल हैं. भारत इस समूह का 15 वां और सबसे बड़ा देश है.
भारत के लिए क्या है महत्व
FIPIC भारत के लिए भारत प्रशांत क्षेत्र के साथ जुड़ने का एक महत्वपूर्ण मौका है. यह देश द्वीपों पर बसे हैं, बेहद छोटे होने के बावजूद ये देश भारत के लिए बड़ा महत्व रखते हैं. दरअसल अब तक भारत का फोकस सिर्फ हिंद महासागर पर था, उधर चीन हिंद-प्रशांत क्षेत्र के इन द्वीप समूहों पर लगातार नजरें गड़ाए था. ऐसे में भारत ने इन देशेां के साथ सहयोगात्मक सहयोग बढ़ाकर चीन के बढ़ते प्रभाव को न सिर्फ रोका बल्कि प्रशांत महासागर क्षेत्र में अपने दखल को भी बढ़ाया.
चीन को झटका दे चुके हैं ये देश
प्रशांत क्षेत्र के द्वीपीय देशों पर चीन की लंबे समय से नजर है. 2006 से लगातार चीन व्यापार, आर्थिक और कूटनीतिक तौर पर इस क्षेत्र में अपनी गतिविधियां बढ़ाईं थीं. खास बात ये है कि इन देशों को अपने पक्ष में करने के लिए चीन ने इन्हें खूब कर्ज भी बांटा था. हालांकि पिछले साल ही इन देशों ने चीन को झटका दे दिया था.
दरअसल ठीक एक साल पहले चीन के तत्कालीन विदेश मंत्री वांग यी ने इन द्वीपीय देशों को मैराथन दौरा कर एक प्रस्ताव तैयार किया था. इसमें साइबर सुरक्षा और चीन की मदद से इन देशों में पुलिस ट्रेनिंग अकादमी खोले जाने समेत अन्य प्रस्ताव शामिल थे. हालांकि तमाम द्वीपीय देशों ने इस समझौते पर हस्ताक्षर करने से इन्कार कर दिया था, इसके बाद चीन ने इस समझौते को होल्ड पर डाल दिया था.
आर्थिक हितों में भी मददगार
भारत ने प्रशांत क्षेत्र में इन द्वीप देशों तक पहुंच बढ़ाकर चीन के बढ़ते दखल को रोका बल्कि अपने लिए आर्थिक हितों के दरवाजे भी खोले हैं. इस क्षेत्र में अकेले भारत ही ऐसा देश है जो हर क्षेत्र में चीन का मुकाबला कर सकता है. दरअसल प्रशांत महासागर दुनिया का सबसे बड़ा सागर है. जो दुनियाभर में पानी की सतह का 46 प्रतिशत और भूमि क्षेत्र का 33 प्रतिशत कवर करता है. इसके अलावा दुनिया भर में जो मछली का व्यापार होता है वह 71 प्रतिशत प्रशांत महासागर क्षेत्र से ही होता है. इसके अलावा प्रशांत महासागर विशाल खनिज और अन्य हाड्रोकार्बन संसाधन भी हैं जो ऊर्जा के क्षेत्र में भी भारत के लिए बड़े महत्व वाला बन सकते हैं.
ये तीसरा शिखर सम्मेलन
पीएम नरेंद्र मोदी ने 2014 में फिजी दौरे पर FIPIC की स्थापना का विचार रखा था. इसका उद्देश्य प्रशांत द्वीप के देशों के साथ इंडिया के संबंधों को मैत्रीपूर्ण रखना है. यह FIPIC का यह तीसरा शिखर सम्मेलन है. समूह का पहला सम्मेलन इसकी स्थापना के वक्त फिजी में हुआ था. इसके बाद दूसरा सम्मेलन 2015 में अगस्त माह में राजस्थान की राजधानी जयपुर में हुआ था.
Compiled: up18 News