अयोध्या में 22 जनवरी को हुई प्राण प्रतिष्ठा के बाद से डॉ. इमाम उमर अहमद इलियासी चर्चा में हैं। अब उनके खिलाफ फतवा जारी हुआ है। इमाम उमर इलियासी ने यह भी आरोप लगाया है कि उन्हें 22 जनवरी से ही धमकी भरे कॉल आ रहे हैं। इलियासी ऑल इंडिया इमाम ऑर्गनाइजेशन के चेयरमैन हैं। फतवे में कहा गया है कि वे हिंदुओं की नजर में अच्छा बनने के लिए अयोध्या गए थे। उनके इमाम होने पर भी सवालिया निशान लगाए गए। वैसे यह पहला मौका नहीं है जब इमाम इलियासी ने कट्टरपंथी सोच से हटकर अलग राह अपनाई है।
इलियासी ऑल इंडिया इमाम ऑर्गेनाइजेशन (AIIO) के प्रमुख हैं। उनका दावा है कि इस संगठन में 5 लाख से ज्यादा सदस्य हैं। इमाम कहते हैं कि उनका यह संगठन 21 करोड़ भारतीय मुसलमानों की आवाज है। यह भी दावा किया गया है कि यह दुनिया में इमामों का सबसे बड़ा संगठन है और इसे राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता मिली हुई है।
इलियासी इस्लामी कानून के जानकार हैं। उनकी गिनती उन इस्लामी बुद्धिजीवियों में होती है जो उग्रवाद और आतंकवाद पर खुलकर बोलते हैं। उन्हें पंजाब की देश भगत यूनिवर्सिटी ने डॉक्टरेट की मानद उपाधि दी है। उनके संगठन AIIO की साइट पर दावा किया गया है कि उन्हें दुनिया भर के शांति पुरस्कारों से नवाजा गया है।
हिंदू-मुसलमानों का डीएनए एक है
इलियासी ने सितंबर 2022 को राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत से मुलाकात के बाद कुछ ऐसे बयान दिए थे कि उस समय भी चर्चा में आ गए थे। उन्होंने भागवत को राष्ट्रपिता तक कह दिया था, हालांकि भागवत ने उन्हें टोकते हुए कहा था कि राष्ट्रपिता एक ही हैं। इसी मुलाकात के बाद इलियासी ने कहा था कि हम सबके लिए देश पहले है। हमारा डीएनए एक है बस पूजा-पाठ के तौर तरीके अलग-अलग हैं।
CAA-NRC को समझें, अंधा विरोध न करें
दिसंबर 2019 में केंद्र के नागरिकता संशोधन कानून (सीएए और एनआरसी) का मुस्लिम समुदाय देश में कई जगह विरोध कर रहा था। उस समय भी इलियासी ने कहा था, विरोध करने वाले पहले सीएए और एनआरसी को समझ लें। उसके बाद कुछ गलत लगे तो शांतिपूर्ण प्रदर्शन करें।’
-एजेंसी
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