पंजाब के मुख्यमंत्री चुनाव के ख़िलाफ़ सुनवाई को लेकर पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट और गठबंधन सरकार आमने-सामने आ गए हैं. देर रात प्रेस कॉन्फ़्रेंस कर पाकिस्तान के सत्ताधारी गठबंधन ने सर्वोच्च न्यायालय की सुनवाई का बहिष्कार करने का एलान किया है.
डॉन न्यूज़ की ख़बर के अनुसार पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब के मुख्यमंत्री के विवादास्पद चुनाव से जुड़े एक अहम मामले की सुनवाई के लिए पूर्ण पीठ गठित करने से सोमवार को इंकार कर दिया और कहा कि इस मुद्दे पर फ़ैसला लेने से पहले उसे और दलीलें सुननी होंगी.
गठबंधन सरकार ने शीर्ष अदालत से एक पूर्ण पीठ गठित करने का आग्रह किया था.
दरअसल, प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़ के बेटे हमज़ा ने बीते शनिवार को पंजाब प्रांत के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी. इससे एक दिन पहले उन्होंने विधानसभा में मुख्यमंत्री पद के लिए हुए चुनाव में नाटकीय घटनाक्रम के बीच मात्र तीन मतों के अंतर से जीत हासिल की थी. सदन के उपाध्यक्ष दोस्त मोहम्मद मजारी ने उनके प्रतिद्वंद्वी उम्मीदवार चौधरी परवेज इलाही के 10 महत्वपूर्ण मतों को ख़ारिज कर दिया था, जिसकी वजह से विवाद बढ़ा.
समाचार एजेंसी पीटीआई की ख़बर के अनुसार मज़ारी ने अपने फैसले में कहा कि पीएमएल-क्यू के प्रमुख चौधरी हुसैन ने इलाही समेत पार्टी के 10 विधायकों को हमज़ा को वोट देने का निर्देश दिया था लेकिन उन्होंने निर्देश का उल्लंघन किया और अनुच्छेद 63-ए की उच्चतम न्यायालय द्वारा की गई व्याख्या की वजह से उनके मतों की गणनी नहीं की गई.
इलाही ने इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी और अदालत ने शनिवार को अपने संक्षिप्त आदेश में हमज़ा को ‘ट्रस्टी’ मुख्यमंत्री बने रहने को कहा.
शीर्ष अदालत के आदेश पर गठबंधन सरकार ने असहमति जताई. उसने सोमवार को इसकी आलोचना करते हुए पूर्ण पीठ के गठन की मांग की. गठबंधन सरकार के नेताओं का आरोप है कि सुप्रीम कोर्ट की गठित बेंच में ‘पीएमएल-एन विरोधी’ जजों की नियुक्ति हुई है.
-एजेंसी
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