भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने चीन के साथ संबंधों को लेकर कहा है कि भारत रिश्ते चाहता है लेकिन ये रिश्ते आपसी सम्मान और हितों पर आधारित हों.
एस जयशंकर ने वॉशिंगटन में एक प्रेस ब्रीफ़िंग के दौरान ये बातें कहीं. एस जयशंकर अमेरिका की दस दिनों की यात्रा पर हैं.
विदेशमंत्री जयशंकर से भारत में चीनी राजदूत सन विडोंग के उस बयान को लेकर सवाल पूछा गया था जिसमें विडोंग ने दावा किया था कि वास्तविक नियंत्रण रेखा के पास स्थिति सामान्यीकरण की तरफ़ बढ़ रही है और लगभग स्थिर है. गलवान घाटी की घटना को लेकर आपातकाल प्रतिक्रिया का चरण ख़त्म होने वाला है और सीमा की स्थिति सामान्य और नियंत्रित हो रही है.
इस पर जयशंकर ने कहा, ”मुझे लगता है कि अगर एक विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता कुछ कहते हैं तो मैं आपसे आग्रह करूंगा कि संबंधित देश के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता से टिप्पणी मांगें.”
उन्होंने कहा कि “मैंने अपने निजी विचार से जो कहा है, वो हमारे संबंधों की स्थिति के सटीक नीति निर्धारण का प्रतिनिधित्व करता है. हमारी चीन के साथ संबंधों की कोशिश जारी है लेकिन वो संबंध पारस्परिक संवेदनशीलता, आपसी सम्मान और आपसी हितों पर आधारित हों.”
उन्होंने रूस-यूक्रेन संघर्ष को लेकर कहा, ”भारत इसमें योगदान दे सकता है. आज हमारी एक स्थिर भूमिका है, एक पुल की तरह काम करने की भूमिका है. हमें वाकई आर्थिक संदर्भ में देखना होगा कि वैश्विक अर्थव्यवस्था को ख़तरे से बचाने के लिए हम क्या योगदान दे सकते हैं.”
”देश हमसे बात करना चाहते हैं क्योंकि ये मानना है कि हम मुख्य स्टेकहोल्डर्स के साथ संपर्क में हैं, हम उन्हें प्रभावित कर सकते हैं और हम तैयार हैं वो बातें कहने के लिए जो दूसरे नहीं कह सकते. हम दूसरे देशों तक इस तरह पहुंच बनाते हैं जो हर किसी के लिए संभव नहीं है.”
हथियारों की खरीद को लेकर दिया अमेरिका को दिया जवाब
एस जयशंकर ने रक्षा हथियारों की खरीद को लेकर जवाब दिया, ”एक समय था जब हमारे पास कम विकल्प थे. आज, भारत की कूटनीति में कई सालों से की गई मेहनत का नतीजा है कि हम उन कुछ देशों में से हैं जिनके पास बड़ी रेंज में डिफेंस के विकल्प मौजूद हैं.
भारत के साथ रक्षा हथियारों के सह-निर्माण के मामले में रूस, अमेरिका से आगे है. जयशंकर से हथियारों की खरीद में रूस के मुक़ाबले अमेरिकी में अधिक विकल्प उपलब्ध हैं इसे लेकर सवाल पूछा गया था.
उन्होंने कहा, ”हमारे अलग-अलग देशों के साथ अलग-अलग संबंध हैं. हम मानते हैं कि इन सभी रिश्तों का अपना महत्व, लॉजिक और मूल्य है. हमारी यही कोशिश रहती है कि वैश्विक विकल्पों को देखें और हमारी सुरक्षा और डिफेंस के लिए सबसे बेहतर फ़ैसला लें.”
-एजेंसी