अनैतिक आचरण के आरोप में लोकसभा से निष्कासित TMC सांसद महुआ मोइत्रा ने आज अपना सरकारी बंगला खाली करना पड़ा। गुरुवार को दिल्ली हाई कोर्ट ने उनकी गुहार ठुकराते गुए संपदा निदेशालय के उस नोटिस पर रोक लगाने से इंकार कर दिया, जिसके ज़रिए उन्हें सरकारी आवास खाली करने के लिए कहा गया है। शुक्रवार को संपदा निदेशालय का टीम मोइत्रा के बंगला को खाली करवाने के लिए पहुंची।
संपदा निदेशालय ने दिया था नोटिस
संपदा निदेशालय ने मोइत्रा को घर खाली करने का नोटिस देते हुए कहा था कि अगर महुआ मोइत्रा खुद से सरकारी बंगला खाली नहीं करती हैं, तो उन्हें कानून के हिसाब से उन्हें वहां से निकाला जा सकता है। इसके लिए बल का उपयोग भी किया जा सकता है। इसके बाद सरकार ने अपने नोटिस में कहा कि टीएमसी सांसद को बंगला खाली करने के लिए पर्याप्त समय दिया गया था। अदालत ने भी इस मामले में कहा कि मोइत्रा को यह साबित करने में विफल रहीं कि वो अनधिकृत कब्जाधारी नहीं हैं।
हाई कोर्ट से भी नहीं मिली राहत
दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा कि अदालत के सामने कोई विशेष नियम नहीं लाया गया है जो संसद सदस्यों के सांसद न रहने के बाद उन्हें सरकारी आवास से बेदखल करने से रोकता हो। नोटिस के खिलाफ मोइत्रा की मुख्य याचिका पर हाई कोर्ट 24 जनवरी को सुनवाई करेगा। मोइत्रा ने सरकारी बंगले को खाली करने के नोटिस के खिलाफ गुरुवार को दिल्ली हाई कोर्ट का रुख किया और संपदा निदेशालय के नोटिस को चुनौती दी।
सदन की सदस्यता रद्द होने के आधार पर मोइत्रा को आवंटित बंगला खाली करने को कहा गया है, जो उन्हें बतौर सांसद आवंटित किया गया था। पिछले साल 8 दिसंबर को लोकसभा से निष्कासित किए जाने के बाद उनके सरकारी बंगले का आवंटन रद्द कर दिया गया। उन्हें 7 जनवरी तक घर खाली करने के लिए कहा गया था।
-एजेंसी