शादी के बाद भी सपनों को उड़ान देती महिलाएं: डिजिटल युग में संभव हुआ संतुलन

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पायल गुप्ता।
पायल दिल्ली से हैं और जयपुर नेशनल यूनिवर्सिटी में पत्रकारिता शोध छात्र हैं।

शादी के बाद व्यक्तिगत पेशेवर जीवन को संभालना अक्सर महिलाओं के लिए चुनौतीपूर्ण होता है, लेकिन डिजिटल तकनीक ने इस संघर्ष को कम करते हुए नए अवसर खोले हैं। आज हम ऐसी ही कुछ प्रेरणादायक महिलाओं की कहानियाँ साझा करेंगे, जिन्होंने परिवार और करियर के बीच सामंजस्य बनाकर अपने सपनों को जीवित रखा।

स्पेन में हिंदी का प्रकाश फैलाती पूजा अनिल

उदयपुर में पैदा हुई पूजा अनिल पच्चीस साल पहले स्पेन में बस गई। पूजा ने बताया कि उनकी हिंदी विषय में खासी रुचि थी, जिस वजह से वह भारत से स्पेन आते अपने साथ हिंदी की किताबें लेकर आई थीं। साल 2007 में उन्होंने यहां रहते हिंदी पढ़ानी शुरू की और 2008 से उन्होंने ब्लॉगिंग की शुरुआत भी कर ली थी। स्पेन में भारतीयों की संख्या अच्छी खासी है और कोरोना काल के बाद से यहां हिंदी पढ़ाने वाले लोगों की संख्या भी बढ़ी है। पूजा अनिल ने आगे बताया कि कोरोना काल के बाद से वह भी जूम और स्काइप पर हफ्ते के चार दिन ‘हिंदी गुरुकुल स्पेन’ चलाती हैं, जिससे स्पेन, फ्रांस, जर्मनी, मोरोक्को, यूके, यूएस मूल के बच्चे भी जुड़े हैं।

इंस्टाग्राम पर शॉर्ट फिल्मों की धूम मचाती गरिमा खुरासिया

जबलपुर में पैदा हुई गरिमा खुरासिया की मां शिक्षक हैं और उनके पिता पंजाब नेशनल बैंक से रिटायर हो गए हैं। राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय से इंजीनियरिंग करने के बाद साल 2012 में गरिमा का विवाह हुआ और उन्हें इंजीनियरिंग फील्ड में लगभग चौदह साल का अनुभव है। साल 2022 में गरिमा दो साल के लिए इंग्लैंड गईं और थेम्स वाटर नाम की कम्पनी में कार्य किया, इस दौरान ही वह भारत में ‘रेडियो प्लेबैक इंडिया’ पॉडकास्ट के सम्पर्क में आई और उन्होंने फिल्म समीक्षक के तौर पर उसमें हिस्सा लिया। पिछले साल भारत लौटने के बाद उन्होंने इंस्टाग्राम पर ‘सिनेकारवां’ नाम से चैनल शुरू किया है, जिसमें अब तक आठ शॉर्ट फिल्म बनकर आ गई हैं। इनमें एक शॉर्ट फिल्म का हिस्सा भारतीय क्रिकेटर श्रेयस अय्यर की बहन श्रेष्ठा अय्यर भी रही हैं। गरिमा कहती हैं कि अभी हम एक शॉर्ट फिल्म पर काम कर रहे हैं और इन दिनों रील्स, शॉर्ट फिल्मों का बाजार बहुत बड़ा है। अगर सब सही रहा तो इससे हमारी अच्छी कमाई भी शुरू हो जाएगी।

पॉडकास्टिंग की दुनिया में छाप छोड़ती रिचा शर्मा

मुरादाबाद की रहने वाली रिचा शर्मा के पिता स्टेट बैंक ऑफ इंडिया में मैनेजर थे। मुरादाबाद से स्कूली शिक्षा प्राप्त करने के बाद रिचा ने अंग्रेजी में एमए किया, फिर साल 1999 में उनका विवाह सम्भल से हुआ। शादी के बाद उन्होंने कुछ समय एक विद्यालय में अंग्रेज़ी पढ़ाई। रिचा कहती हैं कि बेटे और बेटी को जन्म देने बाद परिवार को समय देने के लिए उन्होंने पढ़ाना छोड़ दिया। बच्चों के बड़े होने पर उन्होंने फिर से अपने कैरियर के बारे में सोचा और वह साल 2022 में ‘मेन्टज़ा’ एप से जुड़ीं। मेन्टज़ा में वह 9 पॉडकास्ट चैनलों से जुड़ी थीं और सोशल मीडिया रिप्रेजेंटेटिव के पद पर रहीं। इसके साथ वह ‘रेडियो प्लेबैक इंडिया’ के साथ भी काम करती रही हैं। इन दिनों रिचा ‘किस्साठेल’ रेडियो ड्रामा चैनल से जुड़ी हैं। रिचा कहती हैं कि वह आने वाले समय में अपने पति के साथ उनके व्यापार में हाथ बंटाते हुए पॉडकास्ट की दुनिया में भी आगे बढ़ना चाहती हैं।

कविता जंक्शन की संस्थापिका सुप्रिया पुरोहित

महाराष्ट्र के अकोट में जन्मी सुप्रिया पुरोहित की प्रारंभिक शिक्षा अकोला से हुई। उनके पिता मेडिकल फील्ड में रहे। साल 2004 में विवाह के बाद सुप्रिया ने कोचिंग सेंटर चलाने के साथ पब्लिशिंग, एचआर जैसे कोर्स किए। वह कहती हैं, “मुझे डायरी लिखने का शौक पहले से ही था। पर साल 2019 में बच्चे बड़े होने बाद उन्होंने अपने बोलने, लिखने के शौक को गंभीरता से लिया। ‘रेडियो प्लेबैक इंडिया’ पॉडकास्ट में उन्होंने ‘कविता जंक्शन’ प्रोग्राम शुरू किया था। कविता जंक्शन को अब उन्होंने रजिस्टर करवा लिया है और उसकी वेबसाइट बना कर उन्होंने अभी ‘वाग्मी’ नाम से पत्रिका भी निकाली है। इस वेबसाइट में पॉडकास्ट, ऑडियो बुक्स के साथ काफी कुछ देखा जा सकता है।” सुप्रिया कहती हैं कि कविता जंक्शन की कार्यकारिणी में 98% महिलाएं हैं और इसकी वेबसाइट मैंने खुद बनाई है। अगर कोई भी महिला अपने सपने को पूरा करने की ठान ले तो वह उसे अंजाम तक पहुंचा सकती है।

समाज को जागरूक करती “अरपा रेडियो” की संज्ञा टण्डन

प्रोफेसर पिता के घर में जन्मीं संज्ञा टण्डन की प्रारंभिक और उच्च शिक्षा रायपुर, छत्तीसगढ़ से हुई। बचपन से ही रेडियो से लगाव रखने वाली संज्ञा ने आकाशवाणी रायपुर में चाइल्ड आर्टिस्ट के तौर पर काम किया, तब उन्हें उसके लिए पंद्रह रुपए का चैक मिलता था। साल 1988 में शादी के बाद संज्ञा बिलासपुर आकाशवाणी के लिए काम करने लगीं, जिससे वह अब तक जुड़ी हुई हैं। संज्ञा कहती हैं कि उन्होंने साल 2020 में ‘अरपा’ रेडियो की शुरुआत की। यह कम्युनिटी रेडियो है। अरपा नाम उन्होंने बिलासपुर की अरपा नदी के नाम पर रखा। इसमें वह महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों से जुड़े जागरूकता विषयों पर प्रोग्राम सुनाती हैं। अरपा, बिलासपुर के आसपास के गांवों में रहने वाले लोगों को अपनी बात कहने का मंच प्रदान करता है। समाज की आवाज़ से ही उनके लिए मनोरंजन और जागरूकता लाने का प्रयास किया जाता है। संज्ञा ने बताया कि साल 2010 से वह ‘आरपीआई’ पॉडकास्ट का हिस्सा भी है। आरपीआई के लिए उन्होंने बहुत से कार्यक्रम किए जो काफी सफल रहे हैं।

शतदल रेडियो और शिक्षा के बीच संतुलन बनाती प्रज्ञा मिश्रा

बिहार के पूर्णिया जिले में प्रज्ञा मिश्रा का जन्म हुआ था। पिता का ट्रांसफर होते रहता था, इसलिए स्कूली शिक्षा उन्होंने देश के अलग-अलग हिस्सों से प्राप्त की। दिल्ली से कैमेस्ट्री ऑनर्स करते हुए ही उनका चयन टीसीएस में हो गया था। प्रज्ञा कहती हैं, “मैंने टीसीएस में रहते ही एमसीए किया। टीसीएस में वह एसोसिएट कंसल्टेंट पद पर हैं।” साल 2010 में गणित के प्रोफेसर से शादी हुई। साल 2018 में उन्होंने ‘शतदल रेडियो’ की शुरुआत की, जहां वह सामाजिक विषयों पर बात करने के साथ कविताएं पढ़ती हैं। यह स्पॉटीफाई और यूट्यूब पर है। प्रज्ञा कहती हैं, “मुझे किताबें पढ़ने का शौक है और शतदल रेडियो पर मैं किताबों की समीक्षा भी करती हूं। पॉडकास्ट से उनकी छिटपुट आय होते रहती है।” प्रज्ञा आगे कहती हैं कि अपने दोनों बच्चों को पढ़ाने के साथ वह अपने पति की क्लास ‘बेंचमार्क ट्यूटोरियल’ पर भी लगातार एक्टिव रहती हैं। वह वहां हिंदी और बायोलॉजी पढ़ाती हैं। प्रज्ञा कहती हैं, “इससे मेरा विषयों से टच बने रहता है। जॉब के साथ शिक्षा के क्षेत्र में काम करते और सीखते हुए मैं अपने जीवन में बहुत खुश हूं।”

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