रफाह से लोगों का निष्कासन शुरू, अल-जज़ीरा ऑफिस पर इसराइल पुलिस की रेड

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इसराइली सेना ने दक्षिणी गाजा के रफाह शहर से लोगों को निकालने की प्रक्रिया शुरू कर दी है. रफाह शहर में 10 लाख से ज़्यादा फलस्तीनियों ने शरण ले रखी है.

इसराइली सीमा के नज़दीक पूर्वी इलाकों में रह रहे लोगों से खान यूनिस और अल-मवासी जाने के लिए कहा गया है. इसराइली सेना का दावा है कि वहां टेंट, खाने, पानी और दवाइयों की सुविधा उपलब्ध करवाई जाएगी.

इसराइल के पीएम नेतन्याहू ने हमास को हराने के लिए रफ़ाह पर हमले को ज़रूरी बताया है. कई मानवाधिकार संगठन इसराइल से रफ़ाह पर हमला नहीं करने की अपील कर चुके हैं.

मानवाधिकार संगठनों ने आशंका जताई है कि अगर इसराइल रफ़ाह पर हमला करता है तो हज़ारों फलस्तीनियों की जान जा सकती है.

अल-जज़ीरा टीवी नेटवर्क के ऑफिस में इसराइल पुलिस की रेड

यरुशलम में अल-जज़ीरा टीवी नेटवर्क के एंबेसडर होटल में स्थित ऑफिस में इसराइली पुलिस ने छापेमारी की है. इसराइल के संचार मंत्री ने कहा है कि छापेमारी के दौरान ब्रॉडकास्ट उपकरण ज़ब्त किए गए हैं.

संचार मंत्री ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक वीडियो पोस्ट किया है जिसमें पुलिस के अधिकारी अल-जज़ीरा टीवी नेटवर्क के ऑफिस में दाखिल होते हुए नज़र आ रहे हैं.

रविवार को इसराइल सरकार की कैबिनेट ने देश की राष्ट्रीय सुरक्षा को ख़तरा बताते हुए अल-जज़ीरा टीवी नेटवर्क पर प्रतिबंध लगाने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी.

अल-जज़ीरा टीवी नेटवर्क ने इसराइली सरकार के ‘राष्ट्रीय सुरक्षा’ के खतरे के दावे को ‘झूठा’ बताया है. अल-जज़ीरा टीवी नेटवर्क की टीम क़ानूनी जवाब भी तैयार कर रही है. इसराइली सरकार के इस कदम की मानवाधिकार संस्थाओं और कई प्रेस समूहों ने आलोचना की है.

एसोसिएशन फॉर द सिविल राइट्स इन इसराइल ने कहा है कि वो सुप्रीम कोर्ट में बैन हटाने को लेकर याचिका डालेंगे.

फॉरन प्रेस एसोसिएशन ने इसराइली सरकार से बैन को प्रेस की आजादी के लिए खतरा बताया है और इसराइली सरकार से फैसले को पलटने की अपील की है.

-एजेंसी