आगरा: नेपाल केसरी व मानव मिलन संस्थापक जैन मुनि डा.मणिभद्र महाराज ने कहा है कि व्यक्ति सपने बहुत देखता है, लेकिन उनमें से कुछ ही सपने पूरे रहते हैं, बाकी अधूरे रह जाते हैं। यदि व्यक्ति मन से संकल्प ले तो वे अवश्य पूरे होते हैं। राजामंडी के जैन स्थानक महावीर भवन में वर्षावास के तहत भक्तामर स्रोत का अनुष्ठान किया जा रहा है।
शनिवार को प्रवचन करते हुए जैन मुनि ने कहा कि संकल्प लेने से जीवन पवित्र होता है। साधना भी जीवन को पवित्र करती है, लेकिन इस सबमें श्रद्धा अति आवश्यक है। लेकिन व्यक्ति चमत्कार के फेर में पड़ा हुआ है। भक्ति में चमत्कार तो हो सकते हैं, लेकिन बहुत कम। उसके लिए सतत साधना होनी चाहिए, लेकिन व्यक्ति बिना साधना के ही फल चाहता है।
जैन मुनि ने एक श्रावक कामदेव का प्रसंग सुनाते हुए कहा कि कामदेव की भक्ति की देवताओं ने परीक्षा ली। कामदेव को लालच दिया कि वे भगवान महावीर की वाणी को झूठा बता दे, उसे जीवन में बहुत लाभ मिलेगा। उसका काया कल्प हो जाएगा। पर उसने कह दिया कि वह भगवान महावीर की भक्ति का स्वाद चख चुका है, इसलिए वह झूठ नहीं बोल सकता। इस प्रकार कामदेव श्रावक को हराने के लिए देवता भी हार गए। दूसरे दिन जब कामदेव श्रावक भगवान महावीर के दर्शन को पहुंचा तो भगवान महावीर ने कामदेव से स्वयं कहा कि तुम्हारी भक्ति अटूट है। जो तुम्हें भक्ति के पथ से डिगा रहे थे, वे देवता थे और तुम्हारी परीक्षा ले रहे थे। उन्होंने कहा कि भक्त के लिए अटूट विश्वास व समर्पण जरूरी है।
जैन मुनि ने कहा कि स्तुति करने से ज्ञान और दर्शन की शक्ति आती है। जो साधक बन कर साधना करता है, उसमें भक्ति की जो मिठास होती है, वह मिश्री की तरह होती है। उन्होंने कहा कि श्रद्धा के पात्र छह प्रकार के होते हैं। रत्न के पात्र तीर्थंकर की साधना को कहा जाता है। वे एसी साधना करते है कि उन्हें मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है। स्वर्ण के पात्र गणधरों की भक्ति को कहते हैं, जिसमें वे तीर्थंकरों की भक्ति की प्रेरणा लेते हैं। साधु और साध्वी की भक्ति को चांदी के पात्र की, श्रावक-श्राविकाओं की भक्ति को तांबे के पात्र की संज्ञा दी गई है। धर्म के प्रति अटूट श्रद्धा करने वाले लौहे व धर्म को मन में धारण करने वाले मिट्टी के बर्तन की भांति कहलाते हैं। यह सभी भक्ति अपना स्वयं तो कल्याण करते ही हैं, समाज को भी उद्धार उनके द्वारा किया जाता है.
डा. मणिभद्र मुनि,बाल संस्कारक पुनीत मुनि जी एवं स्वाध्याय प्रेमी विराग मुनि के पावन सान्निध्य में 37 दिवसीय श्री भक्तामर स्तोत्र की संपुट महासाधना में शनिवार को द्वितीय गाथा एवम नवकार मंत्र जाप के लाभार्थी निर्मला मुकेश दुग्गड़ परिवार थे।
धर्म प्रभावना के अंतर्गत नीतू जी जैन, दयालबाग की 19 उपवास , बालकिशन जैन, लोहामंडी की 23 ,मधु जी बुरड़ की 11 आयंबिल की तपस्या चल रही है।शनिवार के कार्यक्रम में प्रेम चंद जैन,नरेश चपलावत, विवेक कुमार जैन, पूर्व पार्षद अजय जैन, महावीर प्रसाद जैन, संदेश जैन, राजीव जैन, सुरेश जैन,सहित अनेक गणमान्य लोग उपस्थित थे।
-up18news
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