आगरा ।राष्ट्र संत नेपाल केसरी डा.मणिभद्र महाराज ने कहा कि दीपावली पर हम बाहर तो प्रकाश करके खुशियां मनाते हैं, लेकिन आंतरिक प्रकाश की जरूरत है, तभी हमारी जीवन सफल होगा और प्रकाशमान होगा।
न्यू राजामंडी के महावीर भवन में दीपावली व भगवान महावीर के निर्वाणोत्सव का आयोजन किया गया। इसमें प्रवचन करते हुए जैन मुनि ने कहा कि भारत वर्ष की संस्कृति है पर्व और त्यौहार मनाना, जिसे हम सभी हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं। दीपावली पर हम हर ओर उजाला करते हैं। दीप जलाते हैं, भवनों पर लाइटिंग करते हैं, लेकिन हम अपने हृदय के अंधकार को मिटाने का काम नहीं करते। यह पर्व तभी सार्थक है, जब हम अपने मन और हृदय के अंधकार को मिटा के नव उल्लास को पैदा करें।
जैन मुनि ने कहा कि भगवान श्रीराम, रावण का वध करके अयोध्या वापस आए थे, इसलिए भी दीपावली मनायी जाती है। हमें भी अपने मन की कुरीतियों और बुराइयों को दमन करके उन पर विजय पाना चाहिए, यही इस पर्व का महत्व भी है। क्योंकि हमें पर्वों का महत्व पता ही नहीं है, केवल बाहरी स्तर पर ही पर्व मना लेते हैं। यह पर्व की सार्थकता नहीं है।
भगवान महावीर के समोशरण की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि स्फुटिक के सिंहासन पर भगवान महावीर ने प्रवचन दिए थे, जिसमें भगवान इंद्र चंवर झल रहे थे। हजारों देवताओं ने उनके प्रवचन सुने थे।ऐसा अद्भत दृश्य युग-युगों से याद किया जाएगा।
वीर निर्माण संवत 2049 के प्रथम दिवस डॉक्टर मणिभद्र ने श्रावकों को ये बताया के वीर निर्वाण संवत सबसे पुराना है ,यह विक्रम संवत और ईसवी सन से भी प्राचीन है। दीपावली वाले दिन भगवान महावीर स्वामी को निर्वाण प्राप्त हुए उसके अगले दिन से ही नया वर्ष प्रारंभ होता है।इस अवसर पर राष्ट्र संत डॉक्टर मणिभद्र ने बड़ी मांगलिक सभी का पाठ किया ।
इससे पूर्व मंगलवार की धर्मसभा में एस. एस. जैन युवा संगठन एवं जैन स्तुति मंडल के द्वारा णमोत्थुणं पाठ के सामूहिक जाप का आयोजन किया गया।
इस दौरान संघ के अध्यक्ष अशोक जैन सुराना, मंत्री राजेश सकलेचा, कोषाध्यक्ष आदेश बुरड़, नरेश चप्लावत, वैभव जैन, सचिन जैन, सौरभ जैन, राजीव चपलावत, ध्रुव जैन, अमित जैन, सहित अनेक धर्म प्रेमी उपस्थित थे।
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