आगरा: वर्षावास के दौरान हो रहे भक्तामर सूत्र अनुष्ठान में नेपाल केसरी, जैन मुनि डा.मणिभद्र महाराज, श्रावक को जीवन के रहस्यों से अवगत करा रहे हैं। जीवन मूल्यों की पहचान कराई जा रही है। ताकि ये लोग अपने जिंदगी को उज्ज्वल बना सकें। उन्होंने कहा कि जीवन का हर पल कीमती है, उसकी पहचान करते हुए अनवरत सेवा और धर्म के कार्य में लगे रहो।
राजामंडी के जैन स्थानक हो रहे अनुष्ठान में महाराज श्री ने एक प्रेरक प्रसंग सुनाया। कहा कि एक मछुआरा मछली पकड़ने दिन होने से पहले ही अंधेरे में समुद्र तट पर पहुंच गया। वहां चारों ओर अंधेरा ही अंधेरा था। तभी वहां उसे एक भरा हुआ बोरा दिखाई दिया। अंधेरे में यह अहसास नहीं हो रहा था कि क्या है। उसने कंकड़-पत्थरों को समुद्र में फेंकना शुरू कर दिया। उसके छपाक की आवाज से अपना मन बहला रहा था और समय भी काट रहा था। एक-एक करके उसने सारे पत्थर सागर में फेंक दिए और उसका लुत्फ उठाया। जैसे ही सूरज की पहली किरण ने उजाला किया, तब तक मछुआरे के हाथ में एक ही पत्थर शेष रह गया था। जब उसने अपने हाथ में लगे हुए पत्थर को देखा तो उसके पैरों के नीचे से जमीन खिसक गई। वह तो हीरा था। यानि उसने बोरे में भरे सभी हीरे समुद्र में फेंक दिए।
मुनिवर ने कहा कि मछुआरा फिर भी परेशान नहीं हुआ। उसने उस शेष बचे हुए हीरे को चूमा और कहा कि आज का दिन अच्छा है कम से कम एक हीरा तो मिला। कोई और होता तो वह दहाड़ मार कर रो रहा होता। मछुआरा को सम्यक ज्ञान हो चुका था। वह अपने हर पल की कीमत समझता था और कभी खाली नहीं बैठता था, इसलिए वह लगातार तरक्की कर रहा था।
महाराज श्री ने आचार्य मांगतुंग जी की चर्चा करते हुए कहा कि प्रभु के दर्शन करने जाओ तो उनके जी भर के दर्शन कर लो, फिर तो किसी भी प्रभु के दर्शन की इच्छा नहीं रह जाती। इस दर्शन से ही मन तृप्त हो जाता है। यह एसे ही ही जैसे किसी व्यक्ति का भोजन से पेट भर जाता है और फिर उसे कुछ खाने की इच्छा नहीं होती। यह सब सम्यक ज्ञान, सम्यक दर्शन का ही फल होता है।
जैन मुनि ने कहा कि जीवन में जितना कम सामान होगा, जीवन उतना ही आसान होगा। जितना-जितना संग्रह करेंगे, उतना ही दुख बढ़ेगा। समस्या भी आएंगी। इसलिए अपने घर के सामान को जितना कम हो सके कम करके जरूरतमंदों को देते जाओ, यही सच्चा धर्म है।
नेपाल केसरी, मानव मिलन संस्थापक डॉक्टर मणिभद्र मुनि, बाल संस्कारक पुनीत मुनि जी एवं स्वाध्याय प्रेमी विराग मुनि के पावन सान्निध्य में 37 दिवसीय श्री भक्तामर स्तोत्र की संपुट महासाधना में शनिवार को ग्यारवीं गाथा एवम नवकार मंत्र जाप का लाभ शकुंतला सुराना,सुलेखा सुराना ,प्रभा गदिया परिवार ने लिया। धर्म प्रभावना के अंतर्गत नीतू जैन, दयालबाग की 26 उपवास , बालकिशन जैन, लोहामंडी की 30 ,मधु जी बुरड़ की 18 आयंबिल की तपस्या निरंतर जारी है।
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