अयोध्या, उत्तर प्रदेश – रामजन्मभूमि आंदोलन की पृष्ठभूमि पर आधारित आगामी फ़िल्म “कारसेवक” को लेकर निर्देशक अखिलेश कुमार उपाध्याय इन दिनों पूरी गंभीरता और शोध के साथ तैयारी में जुटे हैं। इसी क्रम में वे हाल ही में अयोध्या पहुँचे, जहाँ उन्होंने ऐतिहासिक स्थलों का दौरा किया और फ़िल्म की कहानी को प्रामाणिक स्वरूप देने के उद्देश्य से महत्वपूर्ण लोकेशन सर्च किया।
अखिलेश कुमार उपाध्याय ने वहाँ राम मंदिर आंदोलन के प्रमुख चेहरे और मुख्य कारसेवक श्री संतोष दुबे जी से मुलाक़ात की। इस मुलाक़ात में उन्होंने आंदोलन के दौरान की घटनाओं, जनसमर्थन और ज़मीनी हकीकतों को समझने की गहराई से कोशिश की।
“हजारों हथौड़े, एक संकल्प”
इस ऐतिहासिक आंदोलन की स्मृति में, निर्देशक ने बताया कि: “जिस तस्वीर में एक हथौड़ा दिखाई देता है, वैसा ही करीब 1000 हथौड़ों का उपयोग कर बाबरी ढाँचे को गिराया गया था। यह सिर्फ़ एक औज़ार नहीं, बल्कि वर्षों की आस्था, प्रतीक्षा और बलिदान का प्रतीक था।”
इस भावनात्मक और ऐतिहासिक तथ्य को फ़िल्म में यथासंभव सजीव रूप में प्रस्तुत किया जाएगा, जिससे नई पीढ़ी उस युग को केवल जान ही नहीं सकेगी, बल्कि अनुभव भी कर सकेगी।
फ़िल्म ‘कारसेवक’ का उद्देश्य
निर्माणाधीन फ़िल्म “कारसेवक”, जो निर्माता आदित्य नगर के मार्गदर्शन में बन रही है, का उद्देश्य केवल एक कथा कहना नहीं, बल्कि सच्चाई को सिनेमाई माध्यम से जीवंत करना है। फ़िल्म का हर दृश्य आंदोलन की भावना, संघर्ष और साहस को दर्शाएगा।
“इतिहास की ज़मीन पर खड़ा एक सिनेमा, जो केवल कहानी नहीं कहता – बल्कि वह युग जगा देता है।”