प्रसिद्ध फिल्म निर्माता, संगीतकार और आध्यात्मिक साधक ऋषिकेश पांडेय, जो पहले ‘ऋषिकिंग’ के नाम से जाने जाते थे, ने अब अपनी आध्यात्मिक यात्रा को और गहराई से अपनाते हुए ‘देवऋषि’ Devrishi नाम ग्रहण किया है। अपनी माता के आशीर्वाद से उन्होंने इस रूपांतरण को स्वीकार किया है, जो उनके जीवन में एक महत्वपूर्ण मोड़ को दर्शाता है। अब उनका मिशन पूर्ण रूप से सनातन संस्कृति, वैदिक ज्ञान और नाद योग के पुनरुद्धार पर केंद्रित रहेगा।
ऋषिकेश पांडेय, जिन्हें ‘ऋषिकिंग’ के नाम से फिल्म और संगीत उद्योग में जाना जाता था, ने कई फिल्मों और संगीत प्रोजेक्ट्स पर कार्य किया है। लेकिन अब उन्होंने पूरी तरह से आध्यात्मिक मार्ग को अपनाने का निर्णय लिया है। देवऋषि के रूप में, वे हिंदू दर्शनशास्त्री, लेखक और आध्यात्मिक शोधकर्ता के रूप में कार्य करेंगे।
अपने निर्णय पर बोलते हुए उन्होंने कहा:
“मेरा उद्देश्य हमेशा से आध्यात्मिक जागरूकता को बढ़ावा देना और सनातन संस्कृति का प्रचार करना रहा है। ‘देवऋषि’ Devrishi नाम मेरी इस यात्रा का एक विस्तार है। मेरी माता के आशीर्वाद से, मैं और अधिक समर्पित होकर वैदिक ज्ञान और नाद योग को विश्वभर में फैलाने के लिए प्रतिबद्ध हूँ।”
नाद योग Nada Yoga के पुनरुद्धार की दिशा में अग्रसर
देवऋषि नाद योग के पुनरुद्धार के लिए समर्पित हैं, जो ध्वनि और कंपन की शक्ति के माध्यम से उच्चतर चेतना को प्राप्त करने की एक प्राचीन साधना है। उन्होंने नाद योग रिसर्च काउंसिल की स्थापना की है, जो नाद योग के वैज्ञानिक, मनोवैज्ञानिक और आध्यात्मिक प्रभावों पर शोध कर रही है।
लेखन के क्षेत्र में योगदान
देवऋषि एक उत्कृष्ट लेखक भी हैं, जिनकी कई प्रसिद्ध पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। उनकी रचनाएँ भारतीय दर्शन की गहरी समझ को दर्शाती हैं और वैदिक ज्ञान के रहस्यों को उजागर करती हैं।
“रामराजा”– ओरछा के राजा राम के दिव्य राज्याभिषेक_ और उसके आध्यात्मिक महत्व की गहन व्याख्या।
“अ लाइफ-चेंजिंग अप्रोच” – पद्मश्री पुरस्कार विजेता सत्येंद्र सिंह लोहिया की प्रेरणादायक जीवन यात्रा पर आधारित जीवनी।
आगामी पुस्तकें: “विक्रमादित्य”, “द कृष्णा इफेक्ट” और “नाद कॉसमोलॉजी”, जो आध्यात्मिकता, ब्रह्मांडीय ऊर्जा और नाद योग के गूढ़ विज्ञान की गहराई में जाएंगी।
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