डेंगू एक सीरियस बीमारी है, जो मादा एडीज मच्छर के काटने से होती है। यह मच्छर गंदगी में नहीं बल्कि साफ जगह पर पनपते हैं। ये रात की अपेक्षा दिन के समय काटते हैं। बोलचाल की भाषा में इसे हड्डी तोड़ बुखार भी कहते हैं।
वैसे डेंगू चार तरह का होता है- टाइप-1, टाइप-2, टाइप-3, टाइप-4।
डेंगू का सही समय पर इलाज न होने पर कई बार यह जानलेवा भी हो सकता है। ऐसे में जरूरी है कि समय रहते इसका सही इलाज किया जाए।
डेंगू के सबसे ज्यादा मामले जुलाई से अक्टूबर के महीने में देखने को मिलते हैं। इससे बचने के लिए कुछ कारगर टिप्स हैं, जिन्हें अपनाकर काफी हद तक डेंगू से बचा जा सकता है।
डेंगू होने पर कैसे लक्षण दिखाई देते हैं?
डेंगू होने पर व्यक्ति पहले जैसा नॉर्मल फील नहीं करता है, शरीर भारी-भारी लगता है, कुछ खाने-पीने का मन नहीं करता। इसके अलावा भी कई लक्षण होते हैं। जैसे-
बुखार
सिरदर्द
आंखों में दर्द
बदन दर्द
जोड़ों में दर्द
उल्टी
स्किन पर लाल चकत्ते होना
मुंह का स्वाद खराब लगना
मुंह में छाले निकलना
पेट में दर्द
क्या डेंगू घर के बाकी सदस्यों में भी फैल सकता है?
नहीं। डेंगू कोई छुआछूत या वायरल इन्फेक्शन नहीं है। ये मच्छर द्वारा घर के मेंबर्स को काटने से फैलता है।
जिस भी व्यक्ति के खून में डेंगू का वायरस होता है, उसे काटने से मच्छर इन्फेक्टेड हो जाता है। फिर यही इन्फेक्टेड मच्छर जिन लोगों को काटता है, उन्हें डेंगू होने का रिस्क रहता है।
डेंगू होने पर डॉक्टर प्लेटलेट्स बढ़ाने की बात करते हैं। ये क्या होता है और शरीर में इसकी जरूरत क्यों होती है?
दरअसल प्लेटलेट थक्का बनाने वाली कोशिकाओं को कहते हैं। ऐसे में अगर आपके प्लेटलेट काउंट का लेवल पहले से ही कम है तो दूसरों की तुलना में आप डेंगू से जल्दी इन्फेक्टेड हो सकते हैं।
डेंगू तब और ज्यादा सीरियस हो जाता है, जब बीमार व्यक्ति के ब्लड में प्लेटलेट काउंट काफी कम होने लगता है।
डेंगू किस सिचुएशन में जानलेवा हो जाता है?
डेंगू होने पर प्लेटलेट्स में कमी होने लगती है। इसे “थ्रोम्बोसाइटोपेनिया” सिचुएशन कहते हैं। वैसे तो डेंगू वायरस प्लेटलेट्स को खत्म नहीं करता है, लेकिन यह प्लेटलेट काउंट और फंक्शन को खराब करने लगता है।
एक हेल्दी व्यक्ति के शरीर में 1,50,000 – 4,50,000 प्लेटलेट्स/यूएल होने चाहिए। अगर किसी व्यक्ति के प्लेटलेट्स की संख्या 20 हजार से नीचे जाती है तो कंडीशन सीरियस हो जाती है और जान जाने का भी खतरा रहता है।
इसमें कई फैक्टर्स जिम्मेदार हैं-
पेशेंट की इम्यूनिटी मजबूत होनी चाहिए।
समय पर टेस्टिंग और सही इलाज न होने से 3-4 दिन में पेशेंट की सिचुएशन सीरियस भी हो सकती है।
ये बच्चों, बुजुर्ग और प्रेग्नेंट महिला के लिए खतरनाक साबित हो सकता है।
डायबिटीज, किडनी, बीपी पेशेंट को ज्यादा ख्याल रखने की जरूरत है।
डेंगू बुखार कितने दिन तक रह सकता है?
आमतौर पर डेंगू के लक्षण 4 से 10 दिन तक रह सकते हैं। कभी-कभी बुखार दो हफ्तों तक भी रह सकता है। ये पेशेंट की इम्यूनिटी और मेडिकल कंडीशन पर डिपेंड करता है।
बुखार आने या डेंगू होने पर लोग शुरूआत में कई दिनों तक PCM यानी पैरासिटामॉल खाते रहते हैं, ये करना कितना सही है?
असल में बुखार होने पर पैरासिटामॉल खा सकते हैं, लेकिन यह डेंगू का परमानेंट इलाज नहीं है। यह सिर्फ बुखार और दर्द जैसे लक्षणों को कम करता है।
लंबे समय तक इसका उपयोग करने से लिवर और किडनी को नुकसान पहुंच सकता है। इसके अलावा लंबे समय तक इसे खाने से कई दिक्कतें हो सकती हैं। जैसे-
थकान
सांस फूलना
एनीमिया
लिवर और किडनी को नुकसान
हाई ब्लड प्रेशर
Compiled: up18 News