आगरा। सरकार द्वारा मदरसों सर्वे किया जा रहा है। तमाम खामियां उजागर हो रही हैं। कई मदरसे बिना पंजीकरण के संचालित पाए गए। ऐसे में चाइल्ड राइट्स एक्टिविस्ट एवं महफूज संस्था के समन्वयक नरेश पारस ने जिलाधिकारी नवनीत चहल से मुलाकात कर मदरसों को किशोर न्याय अधिनियम के तहत पंजीकरण की मांग की। डीएम ने जिला प्रोबेशन अधिकारी को कार्यवाई के निर्देश जारी किए हैं।
मदरसों में होता है यौन शोषण
नरेश पारस ने जिलाधिकारी से कहा कि मदरसों का सर्वे कराना अच्छी पहल है। इससे निश्चित ही बच्चों के शिक्षा के क्षेत्र में सुधार होगा। आवासीय मदरसों में आए दिन बच्चों के साथ यौन शोषण तथा अन्य बाल उत्पीड़न की घटनाएं सामने आती रहती हैं। यहां रहने वाले बच्चों की किसी भी प्रकार की मॉनीटरिंग नहीं हो पाती है जिससे घटनाएं दब जाती हैं। आगरा के कई मदरसों में बाल यौन शोषण की घटनाएं प्रकाश में आ चुकी हैं। मुकदमें भी दर्ज हुए है। आरोपी मौलवी जेल भेजे गए। कोई भी संस्थान 18 वर्ष से कम आयु के बच्चों को अपने यहां रखता है अथवा संरक्षण देता है तो उसे किशोर न्याय अधिनियम के तहत पंजीकरण कराना अनिवार्य है।
किशोर न्याय अधिनियम में दी गई गाइडलाइन के मुताबिक ही बच्चों को रखा जाता है। उसी के अनुसार हर ऐसी संस्था की निगरानी होती है जो बच्चों को रखती है। इसी लिए सभी बाल संरक्षण गृहों / बाल गृहों को किशोर न्याय अधिनियम 2015 में पंजीकृत किया जा रहा है। लेकिन मदरसों को इसमें शामिल नहीं किया गया है जबकि यहां भी 18 वर्ष से कम आयु के छात्र / छात्राओं को रखा जाता है लेकिन किशोर न्याय अधिनियम के तहत पंजीकृत न होने के कारण उनकी मॉनीटरिंग नहीं हो पाती है तथा उन पर कोई ठोस कार्यवाही नहीं हो पाती है। उनका रिकार्ड भी अव्यवस्थित रहता है।
नियमित की जाए निगरानी
नरेश पारस ने कहा कि मदरसों के सर्वे के दौरान प्रकाश में आए सभी आवासीय मदरसों का किशोर न्याय (बालकों की देखरेख और संरक्षण) अधिनियम, 2015 की धारा 41 के तहत पंजीकरण कराया जाए। जिससे आवासीय मदरसों में रहने वाले बच्चों की सरकार द्वारा निगरानी हो सके और बच्चे सुरक्षित महौल में शिक्षा ग्रहण कर सकें।
-up18news
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