नई दिल्ली। देश की राजधानी दिल्ली का हाल वायु प्रदूषण से बेहाल है। दिल्ली गैस चैंबर में तब्दील हो चुकी है। इस समय पलूशन की वजह से दिल्ली में लोगों का दम घुट रहा है। विशेषज्ञों के तरफ से चेताया गया है कि इस समय दिल्ली की हवा में 49 सिगरेट के बराबर जहर घुला हुआ है। इसको देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई की और जिम्मेदार लोगों को फटकार भी लगाई है।
कोर्ट ने याचिकाकर्ता के वकील द्वारा किए गए आग्रह के बाद यह आदेश दिया है कि अब दिल्ली एनसीआर में 10वीं और 12वीं की कक्षाएं ऑनलाइन होंगी। अब तक बच्चे फिजिकल माध्यम से स्कूल जा रहे थे।
कई इलाकों में AQI 1000 पार, अब बंद कक्षाएं
दिल्ली एनसीआर की हालत इतनी खराब हो चुकी है कि कई इलाकों में एक्यूआई लेवल 1000 (AQI 1000) के पार पहुंच गया है। इसे देखते हुए राजधानी में ग्रैप-4 (GRAP-4) लागू करने का आदेश दिया गया था और अब 10वीं और 12वीं के स्कूली बच्चों की कक्षाएं भी ऑनलाइन करने का आदेश आ गया है। हालांकि आज इस ग्रैप-4 (GRAP-4) के कार्यान्वयन से जुड़ी एक मीटिंग रद्द भी हुई है। इसे दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने आयोजित किया था, लेकिन विभिन्न विभागों से जुड़े अधिकारियों के ना आने के कारण मीटिंग रद्द कर दी गई थी। हालांकि मंत्री राय ने उन अधिकारियों को फिर से शामिल होने का आदेश भेजा था।
एनसीआर के सभी राज्य सख्ती से GRAP-4 लागू करें
सुप्रीम कोर्ट ने एनसीआर के सभी राज्यों को ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (GRAP) के चरण 4 को सख्ती से लागू करने का निर्देश दिया है। इसके साथ ही, कोर्ट ने एनसीआर के सभी राज्यों को तुरंत टीमें गठित करने का आदेश दिया है जो GRAP चरण 4 के तहत आवश्यक कार्यों की निगरानी करेंगी।
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और एनसीआर के सभी राज्यों से कहा है कि वे GRAP-4 में बताए गए कदमों पर तुरंत फैसला लें और इसे अगली सुनवाई से पहले अदालत के सामने प्रस्तुत करें। इसके अलावा, दिल्ली और एनसीआर के राज्यों को एक शिकायत निवारण तंत्र बनाने का निर्देश दिया गया है, ताकि GRAP-4 के नियमों के उल्लंघन की रिपोर्ट दी जा सके।
‘AQI 450 से नीचे आने के बाद भी बिना पूछे न हटाएं GRAP-4’
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा है कि GRAP-4 तब तक जारी रहेगा, जब तक कोर्ट आगे कोई आदेश न दे, भले ही वायु गुणवत्ता सूचकांक 450 से नीचे आ जाए। राज्य और केंद्र सरकारों को अनुपालन रिपोर्ट दाखिल करने का भी निर्देश दिया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि यह सरकारों का संवैधानिक दायित्व है कि नागरिक प्रदूषण-मुक्त वातावरण में रहें। सुप्रीम कोर्ट ने GRAP-3 और GRAP-4 के सभी प्रावधानों के अलावा सरकार को निर्देश दिया है कि स्थिति सामान्य करने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाए जाएं।
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