लैब यानी प्रयोगशाला में जिस मांस को तैयार किये जाने का चलन समूची दुनिया में बढ़ा है, उसको मुसलमान खा सकते हैं या नहीं? इस सवाल को सिंगापुर में सुलझा लिया गया है. इस बारे में एक फतवा भी जारी हुआ है जो इस बात का हिमायती है कि इसको खाने में कोई दिक्कत नहीं है. हां, कुछ शर्तें हैं. आइये जानते हैं वे क्या हैं.
इस्लाम में यकीन करने वालों के लिए क्या हलाल है और क्या हराम, इसको लेकर पूरी लंबी चौड़ी जिरह है. सिंगापुर की चर्चा इन दिनों यहां के मुसलमानों के हवाले से हो रही है. एक रिपोर्ट के मुताबिक सिंगापुर के मुफ्ती नजीरुद्दीन मोहम्मद नासिर ने कहा है कि यहां के मुसलमान लैब में तैयार हुए मीट को खाने के लिए स्वतंत्र हैं लेकिन एक शर्त है.
शर्त ये है कि लैब में तैयार हुआ वह मीट उसी जानवर की सेल्स यानी कोशिकाओं से बना हो जिसको खाने की इस्लाम में मनाही नहीं है. साथ ही लैब में बने मीट का जो फाइनल प्रोडक्ट है, अगर उसमें कुछ भी हराम न हो तो उसे बिना किसी रोकटोक के खाया जा सकता है.
सिंगापुर कैसे इस नतीजे पर पहुंचा?
डॉक्टर नजीरुद्दीन ने बताया कि इस सिलसिले में सिंगापुर में एक कमिटी बनी, जिसका काम यही पता लगाना था कि सिंगापुर के मुसलमान इस खास तरह के मांस को खा सकते हैं या नहीं. नजीरुद्दीन की मानें तो कमिटी जिसके वह खुद अध्यक्ष हैं, उसने उन प्रयोगशालों का दौरा किया जहां ये मांस तैयार किए जा रहे थे. सबकुछ की पड़ताल कर के कमिटी इस नतीजे पर पहुंची की इस मीट को खाने में कोई दिक्कत नहीं होनी चाहिए.
डॉ. नजीरुद्दीन मोहम्मद नासिर ने तो यह भी कहा कि इस मसले पर जो फैसला हुआ है और लैब में बने मीट के पक्ष में जो फतवा आया है, वह इस बात की एक मिसाल है कि किस तरह तकनीक और सामाजिक बदलाओं के साथ फतवा को भी मॉडर्न होना है. ये सब बातें मुफ्ती नासिर ने 2 फरवरी को कहा. इस दिन वह “आज के समाज में फतवे” विषय पर आयोजित एक कार्यक्रम में भाषण दे रहे थे. जहां उन्होंने लैब में बने मीट को लेकर ये बातें की.
सिंगापुर बना दुनिया का पहला देश
साल 2020 में सिंगापुर में लैंब में तैयार हुए मांस को बेचने की मंजूरी मिल गई थी. तब से सिंगापुर के मुस्लिम समुदाय के बीच यह सवाल चर्चा का विषय था. तब की जब दुनिया के दूसरे देश अभी लैब में तैयार हुए मांस के बेचने पर ही माथापच्ची कर रहे हैं, सिंगापुर में इसको लेकर जो स्पष्टता आई है, इसका कई हलकों में स्वागत किया जा रहा है.
मुस्लिम मामलों के मंत्री ने जताई खुशी
सिंगापुर में मुस्लिम मामलों के प्रभारी मंत्री मासागोस ज़ुल्किफली हैं. उन्होंनें कहा है कि लैब में तैयार हुए मांस को मुसलमान खा सकते हैं या नहीं? इस पर सिंगापुर की इस्लामिक धार्मिक परिषद ने साल 2022 ही से अध्ययन करना शुरू कर दिया था.
मंत्री ने इस बात पर खुशी जताई कि सिंगापुर दुनिया का न सिर्फ पहला लैब में तैयार हुए मांस का उत्पादन करने वाला देश बन गया है बल्कि यह भी दुनिया में किसी देश में पहली बार हो रहा है जहां उसने ये सुनिश्चित कर दिया है कि ये मुसलमानों के लिए हलाल है.
क्या होता है फतवा?
इस्लाम में फतवे की अपनी एक खास जगह है. फतवे असल मायने में एक धार्मिक फैसले होते हैं जो कि मुस्लिम समुदाय का किसी खास बात पर मार्गदर्शन करने के लिए जारी होते हैं. इसे इस्लाम के कानूनों की रौशनी में झांककर जारी किया जाता है. जो धर्म के जानकार हैं, मुस्लिम विद्वान हैं, वह इसे किसी खास, अनसुलझे सवाल पर मुस्लिम धर्म की व्याख्या के तौर पर सामने ले आते हैं.
– एजेंसी
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