एक ज़माना था कि इस प्रकार के ढेरों काम और शिल्प प्रतिदिन का आम हिस्सा थे विशेषतः महिलाओं के जीवन के। फिर धीरे-धीरे ऐसा लगने लगा कि संभवतः ये सब इसलिए करना पड़ता होगा कि उस ज़माने में भोज्य पदार्थ, शिल्प आदि बाजार में सुलभ रूप से उपलब्ध नहीं थे। किन्तु जब इस मुद्दे को वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखा गया और इस पर तंत्रिका और मानसिक रोग विज्ञान सम्मत शोध किए गए तो समझ में आया कि ये किस कदर महत्वपूर्ण गतिविधियां थीं और आज भी हैं। इनका महत्व केवल घरों के भीतर एक सुस्वादु या सुन्दर आइटम को प्रस्तुत करना ही नहीं था। आइए देखते हैं कि किसी भी प्रकार की सृजनात्मक कला के कहां-कहां और कैसे फायदे हैं।
स्वयं के लिए लाभकारी
आज के आधुनिक समाज में ऊब या बोरियत एक सामान्य सी मानसिक अवस्था हो गई है। इंसान घर-परिवार और नौकरी के बीच अपने को फंसा-सा महसूस करता है। धीरे-धीरे यह मानसिक स्थिति ही आगे बढ़कर अनिंद्रा, तनाव या अवसाद का रूप ले लेती है और आप जान भी नहीं पाते कि कब और क्यों आप दवाइयों की शरण में पहुंच जाते हैं। इन परिस्थितियों का मुक़ाबला करने का एक बहुत ही बढ़िया तरीका है कि कोई एक या दो सृजनात्मक शौक पकड़ लिए जाएं क्योंकि न्यूरोविज्ञान कहता है कि आपके मस्तिष्क को ऐसी गतिविधियां ऊर्जा और समझ से भर देती हैं। मन के गहन रूप से रिलैक्स होने के सफर की यह शुरुआत है और यह गहन रिलैक्सेशन ही देता है आनंद की अनुभूति।
हाथ के किसी भी काम में जब आप तन्मय हो जाते हैं तो बाहरी वातावरण से उपजी हुई विसंगतियों को कुछ समय के लिए भूल से जाते हैं। अभी हमारे जीवन में कोविड के प्रकोप का जो डरावना समय गुज़रा है उसके बीच कितने ही लोगों का मानसिक सन्तुलन इसलिए बना रहा कि उन्होंने मजबूरीवश सोशल नेटवर्किंग पर वीडियो देख-देख कर खाना बनाना सीखा और फिर कुछ इसमें इतने एक्सपर्ट हो गए कि आज कुकिंग से जुड़ा व्यवसाय कर रहे हैं या कम से कम दोस्तों में तो नाम कमा ही रहे हैं। इस गतिविधि से बढ़ा उनका आत्मसम्मान उनके मन-मस्तिष्क को शांति प्रदान कर रहा है। सृजनात्मक कार्य एकाग्रता में भी वृद्धि करता है जो अन्य रोज़मर्रा के कामों में भी परिलक्षित होने लगती है।
यदि आप किसी दुुर्घटना से गुज़रे हों तो संगीत, कुकिंग, कशीदाकारी या किसी और शिल्पकला को करते हुए कुछ समय के लिए ही सही उस घटना को भूल से जाते हैं।
यह क्षणिक तनाव रहित अवस्था भी दिमाग़ के लिए एक टॉनिक का ही काम करती है। सिर्फ इतना ही नहीं वैज्ञानिक शोध तो यह भी कहता है कि इन सब कामों को करते वक़्त ब्लड प्रेशर में कमी और इम्यूनिटी में बढ़ोतरी देखी जाती है।
परिवार के लिए फ़ायदेमंद
परिवार समाज की इकाई है और उसको बनाने वाले पुरुष व स्त्रियों का व्यक्तिव ही उसकी धुरी होता है तथा परिवार की हैप्पी अथवा अनहैप्पी दशा के लिए उत्तरदायी होता है। यदि परिवार के सदस्य शांति, ठहराव और आनंद की अवस्था में होंगे तो माहौल भी ख़ुशनुमा बना रहेगा। इस वातावरण की गूंज घर के सभी सदस्यों को आनंदमय रखती है और सम्बल देती है।
सब जानते हैं कि परिवार के सदस्यों को जब तक घर के भीतर एक गर्माहट महसूस नहीं होगी तब तक परिवार में सुख-शांति के लिए किया गया प्रत्येक प्रयास असफल ही होगा। रिश्तों की गर्माहट को उपजाने का एक महत्वपूर्ण यन्त्र बन जाता है यह शिल्प कार्य क्योंकि उसे आप साथ-साथ कर सकते हैं। अब आप अपने परिवार को नौकरी पर तो साथ ले जा नहीं सकते तो घर पर ही साथ-साथ कुछ करने का मज़ा ले लेने में क्या हर्ज़ है।
समाज के लिए सुखकारी
जब व्यक्ति और परिवार सुखी, संतुष्ट और आनंद की अनुभूति के साथ जिएगा तो इन इकाइयों के समूह अर्थात समाज में भी आनंद भर जाएगा। सृजनात्मक कार्यकलाप और आनन्द के विषय में तो अनगिनत शोध किए ही गए हैं और लगभग सभी के निष्कर्ष सकारात्मक ही रहे हैं। समाज के परिप्रेक्ष्य में तो यह भी देखा गया है कि आज के समय में प्रतिपादित ‘वैलनेस’ का सिद्धान्त, जिसमें मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य दोनों आ जाते हैं, को जब समाज के स्तर पर उपयोग किया जाना हो तो उसका एक बहुत महत्वपूर्ण तरीका सामूहिक सृजनात्मक कार्य ही है।
तो फिर आइए, क्यों न कोई छोटा-बड़ा शौक पाल लिया जाए। दिन का कुछ हिस्सा उस में रम कर बिताया जाए।
-एजेंसी
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