गुजरात की अदालत ने 2002 के दंगों के मामलों से संबंधित सबूत गढ़ने के मामले में सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ और पूर्व डीजीपी आरबी श्रीकुमार को जमानत देने से इंकार कर दिया है। करीब एक महीने पहले गुजरात पुलिस की क्राइम ब्रांच ने सीतलवाड़ और श्रीकुमार को गिरफ्तार किया था। तब से लेकर अभी तक दोनों न्यायिक हिरासत में ही है।
अदालत को पहले शुक्रवार को आदेश सुनाना था, लेकिन उसने इसे शनिवार तक के लिए स्थगित कर दिया था। अदालत ने इस सप्ताह में तीसरी बार ऐसा किया है। दोनों आरोपियों ने मामले की जांच करने के लिए गठित किए गए विशेष जांच दल (SIT) की ओर से लगाए गए आरोपों का खंडन किया है। सीतलवाड़, श्रीकुमार और भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के पूर्व अधिकारी संजीव भट्ट को अहमदाबाद अपराध शाखा ने पिछले महीने गिरफ्तार किया था।
तत्कालीन सरकार को अस्थिर करना चाहते थे
क्राइम ब्रांच ने तीनों को भारतीय दंड संहिता की धारा 468 (धोखाधड़ी के उद्देश्य से जालसाजी) और 194 (दोषी साबित करने के इरादे से झूठे सबूत देना या गढ़ना) के तहत गिरफ्तार किया था। एसआईटी ने अदालत को बताया था कि सीतलवाड़ और श्रीकुमार दिवंगत कांग्रेस नेता अहमद पटेल के इशारे पर रची गई बड़ी साजिश का हिस्सा थे, जिसका मकसद गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भारतीय जनता पार्टी (BJP) सरकार को अस्थिर करना था।
एसआईटी ने लगाया है यह आरोप
एसआईटी ने आरोप लगाया था कि गोधरा के बाद 2002 में भड़के दंगों के बाद पटेल के कहने पर सीतलवाड़ को 30 लाख रुपए मिले थे, जिनका इस्तेमाल इस मकसद के लिए किया गया। श्रीकुमार असंतुष्ट सरकारी अधिकारी थे, जिन्होंने निर्वाचित प्रतिनिधियों, नौकरशाही और पूरे गुजरात राज्य के पुलिस प्रशासन को बदनाम करने के लिए प्रक्रिया का दुरुपयोग किया।’
-एजेंसी
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