आगरा: दयालबाग शिक्षण संस्थान में आंवले से बनाए गए उत्पादों की प्रतियोगिता का हुआ आयोजन

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आगरा। दयालबाग शिक्षण संस्थान में शुक्रवार को आंवले से बनाए गए उत्पादों की प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। इस प्रतियोगिता में गृह विज्ञान के बैचलर ऑफ वोकेशनल कोर्स फूड प्रोसेसिंग एंड प्रिजर्वेशन कोर्स के छात्र छात्राओं ने करीब 20 से 25 तरह के अलग-अलग उत्पाद बनाए और इनकी प्रदर्शनी लगाई। प्रतियोगिता में मौजूद जज के अलावा बच्चों ने भी इन उत्पादों का स्वाद चखा।

दयालबाग शिक्षण संस्थान हमेशा से ही कुछ अलग करने के लिए जाना जाता है। यहाँ छात्र-छात्राएं पढ़ाई के साथ-साथ तमाम ऐसी चीजें सीखते हैं जो भविष्य में उनके लिए कारगर साबित होती हैं। शुक्रवार को संस्थान में गृह विज्ञान के b.voc कोर्स के छात्र छात्राओं ने संस्थान में उगाए गए आंवले से कई सारे उत्पादों की प्रदर्शनी लगाई। इस प्रदर्शनी में 4 दर्जन से अधिक छात्रों की 40 टीमों ने भाग लिया। बी-वॉक फूड प्रोसेसिंग की कोऑर्डिनेटर डॉ सीमा कश्यप के अनुसार आंवले की गुणवत्ता और उसके स्वास्थ्य के प्रति लाभदायक गुणों को देखते हुए, आंवले के प्रयोग को बढ़ावा देने के उद्देश्य से इस प्रतियोगिता का आयोजन किया गया है।

इसमें अलग-अलग टीमों द्वारा विभिन्न उत्पादों के साथ उनकी रेसिपी कास्टिंग व प्राइस पर भी विशेष ध्यान दिया गया है। जिसमें आंवला का पेड़ा, आंवला कैड, आंवले का मुरब्बा, आंवले का तेल, आंवला लड्डू, आंवला जूस, आंवला केक, आँवला चवनप्राश आदि उत्पादों की रेसिपी तैयार की गई है। उन्होंने बताया कि आंवले का उत्पादन भी संस्थान में ही किया गया है, बाहर से नहीं मंगाया गया है।

इस प्रतियोगिता के निर्णायक मंडल में डायरेक्टर होम साइंस इंस्टिट्यूट डॉ अचला गखर, एचओडी होम साइंस डॉ अर्चना सिंह, प्रोफेसर गुल माथुर, प्रोफेसर अलका प्रकाश ने सभी बच्चों से उनकी रेसिपी की जानकारी ली। इस दौरान उनके साथ डॉक्टर मधुलिका गौतम, करुणा, डॉक्टर चारुल गोयल, हेमा पवार, डॉक्टर शुभ्रा सारस्वत मौजूद रहीं।

प्रदर्शनी में आगरा हेयर ऑयल बनाने वाली छात्रा पारुल ने बताया कि बाजार से मिलने वाले ऑयल से यह ऑयल बिल्कुल अलग है। बाजार में मिलने वाले आँवला ऑयल में केमिकल और सरसों का तेल मिलाया जाता है लेकिन इस आँवला ऑयल में कोकोनट ऑयल मिलाया गया है। यह पूर्ण रूप से सुरक्षित व प्राकृतिक है। साथ ही इसमें विटामिन ई भी है यह बालों को मजबूत करता है और उनका झड़ना भी रोकता है।

आंवला पास्ता की स्टाल पर खड़ी छात्रा श्रुति ने बताया कि आंवला पास्ता को बनाने में मैदे का प्रयोग नहीं किया गया है। इसे सूजी और आंवले से बनाया गया है। उन्होंने बताया कि अभी तक बाजार में इस तरह का पास्ता उपलब्ध नहीं है। इसको खाने से आंवले के पोषक तत्व भी मिलेंगे।


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