नई दिल्ली। भव्य अंदाज और लंबी-चौड़ी स्टारकास्ट भी दर्शकों को लुभा नहीं पाया। रणवीर सिंह, जैकलीन फर्नांडीज, पूजा हेगड़े स्टारर फिल्म सर्कस रिलीज हो चुकी है। क्रिसमस और साल के आखिर में उनकी बिग बजट फिल्म ‘सर्कस’ रिलीज भी हो गई है। लेकिन रोहित शेट्टी स्टाइल फिल्म ‘सर्कस’ एंटरटेन करने के मामले में चूकती नजर आती है। रोहित शेट्टी जो मैजिक ‘सिंघम’, ‘चेन्नै एक्सप्रेस’ या ‘सिम्बा’ से पैदा कर पाए थे, वैसा वह ‘सर्कस’ के साथ नहीं कर पाते हैं और यह कॉमेडी फिल्म कई जगह पर एकदम सपाट हो जाती है. कहानी कमजोर है।
कुल मिलाकर ‘सर्कस’ में हाई पावर करंट वाला हीरो होने के बावजूद यह दिमाग का फ्यूज ही उड़ा डालती है।
फिल्म का निर्देशन रोहित शेट्टी ने किया है, जो गोलमाल, सूर्यवंशी, सिंघम जैसी बेहतरीन फिल्में बना चुके हैं। ये एक मल्टीस्टारर फिल्म है जिसमें रणवीर सिंह पहली बार डबल रोल में नजर आए हैं।
क्या है फिल्म की कहानी?
फिल्म की कहानी ऊटी के जमनादास अनाथ आश्रम से शुरू होती है. फिल्म की कहानी दो जुड़वां भाइयों की है, जिन्हें एक डॉक्टर दो अलग-अलग परिवारों को सौंप देता है। डॉक्टर साबित करना चाहता है कि मायने खून के नहीं बल्कि परवरिश के होते हैं। एक भाई सर्कस वालों के पास जाता है तो दूसरा आम परिवार में। सर्कस में गए भाई को करंट नहीं लगता, जिससे उसका नाम पड़ता है इलेक्ट्रिक मैन। वहीं आम परिवार के साथ रहने वाले रॉय को करंट लगता है। बच्चे बड़े होने पर एक दूसरे से टकराते हैं तो भूलभुलैया और गड़बड़ी की झड़ी लग जाती है. यही फिल्म की कहानी है।
दोनों कैसे मिलते हैं और सच्चाई का खुलासा होता है ये ही फिल्म की कहानी है।
कहानी में बांधकर रखने का फैक्टर मिसिंग है. चीजों को बेवजह काफी खींचा गया है। भव्यता के चक्कर में बहुत सी चीजें नकली दिखती हैं। फिल्म के सेट भी असली होने का आभास नहीं देते हैं। ‘सर्कस’ की कहानी को जिस दौर में सेट किया गया है, वह भी ओरिजिनेलिटी के साथ नहीं आ पाता है। कुल मिलाकर फिल्म की राइटिंग और ट्रीटमेंट दोनों ही औसत साबित होते हैं। ढेर सारे कैरेक्टर्स के जरिये भी रोहित अपना पहले वाला मैजिक क्रिएट करने में असफल रहे हैं।
-एजेंसी