अमेरिकी खुफिया एजेंसी CIA के प्रमुख बिल बर्न्स ने श्रीलंका की मौजूदा आर्थिक स्थिति के लिए कर्ज जाल में फंसाने की चीनी कूटनीति को जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने कहा है कि श्रीलंका चीन के दांव को समझ नहीं पाया और उसके जाल में फंस गया।
वॉशिंगटन स्थित एस्पेन सिक्योरिटी फोरम को संबोधित करते हुए CIA प्रमुख बर्न्स ने कहा, श्रीलंका की आर्थिक तबाही का बड़ा कारण चीन का कर्ज के रूप में बड़ा निवेश है। श्रीलंका की इस गलती को अन्य देशों को चेतावनी के रूप में लेना चाहिए। इससे सबक लेना चाहिए।
रानिल के राष्ट्रपति बनते ही जनता फिर सड़कों पर
आर्थिक और सियासी संकट के बीच श्रीलंका की पार्लियामेंट ने 20 जुलाई को पूर्व प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे को नया राष्ट्रपति चुना। बावजूद इसके सड़कों पर अब भी विरोध प्रदर्शन जारी है.
प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि राजपक्षे परिवार ने अपने मोहरे के रूप में विक्रमसिंघे को गद्दी पर बैठाया है। इससे हालात नहीं बदलने वाले हैं। उन्होंने कहा कि अपनी गद्दी को बचाने के लिए राजपक्षे कुनबे ने विक्रमसिंघे के साथ डील की है। ये लोगों के साथ धोखा है।
नहीं सुधर रहे देश के हालात
गॉल फेस कोलंबो के प्रोफेसर एमजी थाराका का कहना है कि पिछले तीन महीनों के दौरान सरकार में शामिल नेताओं ने हालात सुधारने के लिए कई बातें की ओर दावे किए, लेकिन जमीनी हालात सुधरे नहीं हैं। अब लोगों का राजपक्षे परिवार और उनके द्वारा बैठाए गए किसी भी नेता पर कोई भरोसा नहीं है। प्रदर्शनकारियों का मानना है कि रानिल विक्रमसिंघे को श्रीलंका के राष्ट्रपति पद पर बैठकर राजपक्षे परिवार खुद को आरोपों से बचाना चाहता है।
दो माह बाद पहली बार दिखे पूर्व PM महिंदा
सदन में नए राष्ट्रपति के लिए वोटिंग के दौरान बुधवार को दो महीने के बाद पहली बार पूर्व प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे नजर आए। महिंदा इतने समय तक किसी गुप्त ठिकाने पर थे। पूर्व राष्ट्रपति गोटबाया के सिंगापुर भागने के कयास लगाए जा रहे थे कि महिंदा भी श्रीलंका से भाग सकते हैं। राजपक्षे कुनबे के चमल और नमल भी वोटिंग के लिए संसद में पहुंचे।
-एजेंसी