चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने गुरुवार को इजरायल-फिलिस्तीन संघर्ष को खत्म करने के लिए उसी सिद्धांत की वकालत की है, जिसके बारे में भारत पिछले कई सालों से कहता आया है। जिनपिंग ने भी दोनों देशों के बीच झगड़े को खत्म करने के लिए द्विराष्ट्र समाधान पर जोर दिया है।
जिनपिंग ने मिस्र के प्रधानमंत्री से बात करने के बाद इसका समाधान का समर्थन किया है। मिस्र के पीएम मुस्तफा मदबौली से जिनपिंग ने कहा है कि उनकी सर्वोच्च प्राथमिकता लड़ाई को रोकना है। कुछ समय पहले चीन की मीडिया ने भी इसी तरह की बातें कही थीं।
लड़ाई रोकना सर्वोच्च प्राथमिकता
जिनपिंग ने मुस्ताफ मदबौली से कहा कि ‘मेरी सर्वोच्च प्राथमिकता जितनी जल्दी हो सके लड़ाई को रोकना, संघर्ष को फैलने से रोकना, या यहां तक कि नियंत्रण से बाहर होने और गंभीर मानवीय संकट पैदा करने से रोकना है।’ मैदबौली ने बीजिंग में जिनपिंग से मुलाकात की है। वह यहां पर दो दिनों तक चलने वाले बेल्ट एंड रोड फोरम में हिस्सा लेने के लिए पहुंचे हैं। यह सम्मेलन बुधवार को खत्म हो गया।
चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता की तरफ से बयान में कहा गया, ‘राष्ट्रपति जिनपिंग ने बार-बार होने वाले फिलिस्तीनी-इजरायली संघर्ष से बाहर निकलने का मूल तरीका सुझाया है। उनके मुताबिक दो-राष्ट्र समाधान को लागू करना, फिलिस्तीन का एक स्वतंत्र देश के रूप में स्थापित होने के साथ ही फिलिस्तीन और इजरायल के बीच शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व को हासिल करना है।’
मिस्र की भी जमकर तारीफ
जिनपिंग ने खराब स्थिति के बीच मिस्र की महत्वपूर्ण भूमिका की सराहना की। उन्होंने कहा कि वह मानवीय गलियारा खोलने के मिस्र के प्रयास का समर्थन करते हैं। जिनपिंग ने कहा कि ‘फिलिस्तीनी के व्यापक, न्यायसंगत और स्थायी समाधान के लिए चीन, मिस्र और बाकी अरब देशों के साथ मिलकर काम करेगा।’
सात अक्टूबर को हमास के हमले के बाद से ही स्थितियां और विकट हो गई हैं। हमास ने ऑपरेशन अल-अक्सा फ्लड के साथ ही इजरायल पर रॉकेट से हमला कर दिया था। यह अचानक हुआ हमला था जिसमें 1400 से ज्यादा इजरालियों की मौत हो गई थी। हमले में रॉकेट लॉन्च और भूमि, समुद्र और हवा से इजरायल में हमला बोला गया था।
क्या है भारत का रुख
हमास के हमले के बाद इजरायली सेना ने गाजा पट्टी में हमास के ठिकानों के खिलाफ ऑपरेशन स्वोर्ड्स ऑफ आयरन शुरू किया। जिनपिंग, भारत के उस प्रस्ताव का समर्थन करते हुए नजर आ रहे हैं जिसकी झलक दिसंबर 2022 में मिली थी। उस समय संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थायी प्रतिनिधि रुचिरा कंबोज ने कहा था कि इजरायल और फिलिस्तीन के बीच स्थायी शांति की गारंटी के लिए द्विराष्ट्र समाधान का कोई विकल्प नहीं है। यहां तक कि उन्होंने दोनों के बीच सीधी बातचीत की आवश्यकता को भी दोहराया।
Compiled: up18 News