कितना सही है राष्ट्रगान पर विवाद खड़ा करना

महत्वपूर्ण सरकारी आयोजनों में राष्ट्रगान बजाने से नागरिकों में सामूहिक पहचान, एकता और देशभक्ति की भावना प्रबल होती है। यह क्षेत्रीय, भाषाई और सांस्कृतिक मतभेदों से परे साझा राष्ट्रीय मूल्यों और आकांक्षाओं की प्रतीकात्मक याद दिलाता है। राष्ट्रीय सम्मान अपमान निवारण अधिनियम, 1971 के तहत राष्ट्रगान का जानबूझकर अपमान या अवमानना करने पर 3 साल […]

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कॉर्पोरेट बस्तर के सेप्टिक टैंक में दफ्न ‘लोकतंत्र’

यदि पत्रकारिता लोकतंत्र की जननी है या पत्रकार लोकतंत्र के चौथे स्तंभ हैं, तो यकीन मानिए, 3 जनवरी की रात वह बस्तर के बीजापुर में एक राज्य-पोषित ठेकेदार के सेप्टिक टैंक में दफ्न मिली। लोकतंत्र की इस मौत पर अब आप शोक सभाएं कर सकते हैं, श्रद्धांजलि दे सकते हैं। जी हां, हम बात उस […]

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सुधार के बावजूद संकटों से घिरा भारतीय विमानन क्षेत्र

बार-बार होने वाली विमानन सुरक्षा घटनाओं की चुनौतियों में रनवे भ्रम सबसे पहले है। पायलटों को अक्सर टैक्सीवे और रनवे के बीच अंतर करने में चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, जिससे ग़लत सतहों पर टेकऑफ़ या लैंडिंग होती है। मोपा घटना (2024) और सुलूर एयर बेस घटना (1993) बार-बार होने वाले रनवे भ्रम को […]

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राष्ट्र सेवा में बाधक बनता सिविल सेवकों में बढ़ता तनाव

नौकरशाहों को विषाक्त कार्य वातावरण, मौखिक दुर्व्यवहार और लगातार मल्टीटास्किंग का सामना करना पड़ता है, जो मानसिक स्वास्थ्य को काफ़ी प्रभावित करता है। ज्यादातर आईएएस अधिकारी राहत कार्यों का प्रबंधन करने के लिए लंबे समय तक अनिद्रा और बर्नआउट का शिकार होते है। तेजी से विकसित हो रही हितधारक मांगें और सीमित प्रशिक्षण नौकरशाहों के […]

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नो डिटेंशन पॉलिसी: पास-फेल की बजाय जीवन कौशल की नीतियां बनाएं

नो डिटेंशन पॉलिसी के तहत कक्षा 1 से 8 तक के किसी भी छात्र को फेल नहीं किया जा सकता था। हालांकि अब इन छात्रों को फेल किया जा सकेगा। साथ ही फेल छात्रों को 2 महीने के भीतर फिर से परीक्षा का अवसर मिलेगा। अगर इसमें भी फेल होते हैं तो उन्हें अगली कक्षा […]

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लो, एक साल और बीता: सामाजिक उथल-पुथल के मुहाने पर खड़ा भारत

अक्सर कहा जाता है, ‘समय के साथ चीजें बदल जाती हैं’। और ठीक इस वाक्य के बाद कोई कह सकता है कि ‘चीजें बदलने के बाद भी नहीं बदलती हैं’। कुल जमा कर यही बातें वर्ष 2024 पर भी लागू हो जाती हैं। वर्ष 2024 में दुनिया का राजनैतिक-आर्थिक परिदृश्य बदलने के बावजूद कुल मिलाकर […]

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2025 में आख़िर कैसा रहेगा राजनीतिक मतभेदों का पारा?

2025 में भारत का राजनीतिक पटल गरमा गरम रहेगा। दिल्ली और बिहार विधानसभा चुनावों के साथ-साथ बीएमसी के चुनाव भी होंगे। कांग्रेस संगठनात्मक बदलावों पर ध्यान केंद्रित करेगी, जबकि भाजपा और संघ अपने 100 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में बड़े आयोजन करेंगे। प्रधानमंत्री मोदी 75 वर्ष के हो जाएंगे और भाजपा को नया राष्ट्रीय […]

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तेज़ी से “रंगीन” होती जा रही है आगरा में नाइटलाइफ़, मॉडर्न हो चुका है सेक्स मार्केट

हाल के वर्षों में आगरा में देह व्यापार में बहुत बदलाव देखने को मिले हैं। एक समय की रेड लाइट बस्तियों को कॉल गर्ल नेटवर्क्स ने उजाड़ दिया है। जैसे-जैसे आगरा विकसित होता जाएगा, वैसे-वैसे इसके देह व्यापार की गतिशीलता और व्यापकता बढ़ती जाएगी। आगरा शहर के बीचोंबीच माल का बाजार, कश्मीरी बाजार, सेव का […]

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फुटपाथों और सड़कों पर अतिक्रमण, चलना हुआ मुश्किल

आजकल हम देखते हैं कि बड़ी संख्या में स्ट्रीट वेंडर्स ने व्यस्त बाज़ार के पास नो-वेंडिंग ज़ोन में स्टॉल लगा रखे हैं। इनके लिए नो-वेंडिंग ज़ोन की स्थापना सुचारू यातायात प्रवाह सुनिश्चित करने और सार्वजनिक व्यवस्था बनाए रखने के लिए की जा सकती है। हालाँकि, इनमें से कई विक्रेता अपने परिवार, जिसमें बुज़ुर्ग माता-पिता और […]

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एक और साल विदा होने को है, आगरा के अधूरे वादेः एक शहर की अधूरी आकांक्षाएँ

जब आगरा ने चुनावों की एक लंबी श्रृंखला के बाद भाजपा को दस विधायक, तीन सांसद, एक महापौर और एक जिला बोर्ड अध्यक्ष दिए, तो लोगों को लगा कि “दुःख भरे दिन बीते रे भैया,” अब शहर का गोल्डन युग शुरू होगा, क्योंकि माना गया कि निर्वाचित प्रतिनिधियों को जमीनी हकीकत का करीबी एहसास है, […]

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