2002 के गुजरात दंगों के बाद सबूतों में छेड़छाड़ कर निर्दोष व्यक्तियों को फंसाने और गुजरात को बदनाम करने का केस अहमदाबाद की सेशन कोर्ट में चलेगा। इस केस में आरोपी तीस्ता सीतलवाड़ की अर्जी पर मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट की अदालत ने मुकदमे को सुनवाई के लिए अहमदाबाद के सत्र न्यायालय भेज दिया है।
सीतलवाड़ ने कोर्ट बदलने का आग्रह किया था। इसमें मामले में सीतलवाड़ के अलावा राज्य के पूर्व पुलिस महानिदेशक आर बी श्रीकुमार और पूर्व आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट आरोपी हैं। अहदाबाद पुलिस की अपराध शाखा ने तीनों के खिलाफ प्राथमिकी पिछले साल सुप्रीम कोर्ट द्वारा गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी और अन्य को गुजरात दंगे से जुड़े मामलों में मिली एसआईटी की क्लीन चिट के खिलाफ दाखिल याचिका को खारिज किए जाने के बाद दर्ज की थी।
इसके बाद इस मामले की जांच के लिए विशेष जांच टीम (एसआईटी) बनाई गई थी। एसआईटी ने जांच के बाद पिछले साल 21 सितंबर को मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट की अदालत में आरोपपत्र दाखिल किया था।
अहमदाबाद पुलिस ने एफआईआर दर्ज करने के बाद सीतलवाड़ और श्रीकुमार को जून 2022 में गिरफ्तार किया गया था और वे इस समय जमानत पर हैं जबकि भट्ट हिरासत में मौत के एक मामले में गुजरात के बनासकांठा जिले की पालनपुर जेल में उम्रकैद की सजा काट रहे हैं। कानूनी प्रावधान के मुताबिक सभी मामले जिनमें उम्र कैद या सात साल से अधिक सजा होती है उनकी सुनवाई सत्र न्यायालय में होती है। सत्र अदालत में मामले की सुनवाई होगी। 27 फरवरी को तीस्ता समेत आरोपियों को फरवरी को सत्र न्यायालय में पेश किया जाएगा।
सीतलवाड़ पर आरोप?
विदेश से फंडिंग में धांधली का आरोप है विदेशी चंदे के मामले में गुजरात पुलिस, सीबीआई ने की जांच साल 2013 में तीस्ता सीतलवाड़ के खिलाफ शिकायत दर्ज हुई थी। तीस्ता के खिलाफ गुलबर्ग सोसाइटी के 12 लोगों ने शिकायत दर्ज कराई थी। इसमें उन्होंने म्यूजियम बनाने के लिए जुटाई गई राशि का गबन करने का आरोप लगाया है। गुलबर्ग सोसायटी में संग्रहालय बनाने के लिए विदेशी फंडिंग जुटाई गई थी, स्थानीय लोगों का आरोप है कि विदेशी फंडिंग उन तक नहीं पहुंची।
आरबी श्रीकुमार पर आरोप?
नानावती-शाह ने आयोग के समक्ष नौ हलफनामे दायर किए ज्यादातर हलफनामे जकिया जाफरी की शिकायत के आधार पर बने थे। हलफनामे में प्रस्तुत किसी भी विवरण को उन्होंने व्यक्तिगत रूप से प्राप्त नहीं किया। हलफनामे की जानकारी होददानी को रु तीसरे हलफनामे से श्रीकुमार राज्य सरकार उन पर आरोप-प्रत्यारोप शुरू हो गए श्रीकुमार ने एसआईटी को बताया कि उन्हें कई मौखिक आदेश मिले हैं श्रीकुमार ने दावा किया कि कई आदेश अवैध और भारत के संविधान की भावना के खिलाफ थे। श्रीकुमार ने 16-04-2002 से 19-09-2002 तक मौखिक निर्देश दर्ज करने के लिए रजिस्टर के साथ छेड़छाड़ की। श्रीकुमार को यह रजिस्टर तत्कालीन आईजीपी ओपी माथुर ने दिया था।
संजीव भट्ट पर आरोप?
27-02-2002 को सीएम आवास पर बैठक में शामिल होने का दावा किया, हालांकि संजीव भट्ट बैठक में शामिल नहीं थे। उन्होंने झूठा दावा किया न्यायमूर्ति नानावटी और न्यायमूर्ति मेहता आयोग को 20-12-2011 को फैक्स किया। एसआईटी के रिकॉर्ड ने साबित कर दिया कि यह फैक्स संदेश मनगढ़ंत था भट्ट ने दुर्भावना से जाली और छेड़छाड़ किया हुआ फैक्स बनाया कानून की गंभीर धाराओं के तहत विभिन्न व्यक्तियों को झूठा फंसाने का आरोप लगाया।
Compiled: up18 News