CAIT ने लिखा केंद्र सरकार को पत्र, किसानों के साथ हो रही वार्ता में व्‍यापार संगठन भी किए जाएं शामिल

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खंडेलवाल का कहना है कि किसानों के वर्तमान आंदोलन से व्यापार जगत को अनेक परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। किसानों के साथ वार्ता में व्यापारियों, ट्रांसपोर्टर, उपभोक्ता सहित किसानी से संबंधित अन्य क्षेत्रों के प्रमुख संगठनों को भी शामिल किया जाए। वजह, किसान संगठनों के साथ किसी भी वार्ता अथवा समझौते का असर इन सभी वर्गों पर पड़ता है। यदि किसान घाटे की खेती कर रहा है, तो उसकी खेती को लाभ में बदलने की जिम्मेदारी सामूहिक रूप से सभी की है। सभी को मिलकर यह काम करना चाहिए। केवल केंद्र सरकार पर ठीकरा फोड़ने की राजनीति से किसानों का कोई हित नहीं होने वाला है।

कैट के महामंत्री ने इस पत्र की प्रति केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा एवं नित्यानंद राय को भी भेजी है। ये दोनों मंत्री, पीयूष गोयल के साथ किसानों से वार्ता कर रहे हैं। कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष बीसी भरतिया एवं राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने यह भी सुझाव दिया है कि वर्तमान में जो कथित आंदोलन चल रहा है, वह प्रकट रूप में केवल पंजाब के किसानों का है। देश के अन्य विभिन्न राज्यों में भी पंजाब से अधिक खेती होती है। इस दृष्टि से किसानों की समस्या के स्थायी समाधान के लिए देश के सभी 5-6 प्रमुख, लेकिन प्रामाणिक किसान संगठनों को भी बातचीत में शामिल किया जाए। इससे बार-बार किसानों द्वारा आंदोलन करने की प्रवृति पर रोक लगेगी। किसानों की समस्या का एक ही बार में स्थायी समाधान हो सकेगा। किसानों द्वारा बार-बार आंदोलन करने से व्यापार बुरी तरह प्रभावित होता है। वहीं जन सामान्य की भी अनेक परेशानियों का सामना करना पड़ता है।

जिस प्रकार से कथित आंदोलनकारी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को मारने की खुले आम धमकी दे रहे हैं और जिस असभ्य भाषा का प्रयोग कर रहे हैं, वो बेहद ही निंदनीय है। यह किसी भी हालत में स्वीकार नहीं है। सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को इस मामले में तुरंत स्वतः संज्ञान लेना चाहिए। ऐसे सभी व्यक्तियों के खिलाफ अविलंब कड़ी कार्रवाई की जाए। देश के प्रधानमंत्री को सरेआम धमकी देना और उनके लिए बेहद असभ्य भाषा का प्रयोग करना कतई स्वीकार नहीं है।

खंडेलवाल ने कांग्रेस पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी और पंजाब के सीएम भगवंत मान से मांग की है, क्योंकि वे एमएसपी देने की जोरदार वकालत कर रहे हैं, तो सबसे पहले कांग्रेस कर्नाटक में और आप सरकार, पंजाब के किसानों को राज्य सरकार की ओर से एमएसपी की गारंटी दे। यह उनके अधिकार क्षेत्र में आता है और जिसके लिए उन्हें केंद्र सरकार से स्वीकृति लेने की कोई जरूरत नहीं है। ममता बनर्जी सहित एमएसपी का समर्थन कर रहे मुख्यमंत्रियों को पहले अपने राज्य के किसानों को उनकी फसलों के लिए एमएसपी की गारंटी देनी चाहिए।

-एजेंसी


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