मथुरा में विश्राम घाट पर भाई-बहनों ने मनाया यम द्वितीया का पर्व

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मान्यता है कि यम द्वितीया यमराज और उनकी बहन यमुना का पृथ्वी पर प्रथम मिलन का पर्व है। मथुरा के ऐतिहासिक विश्रामघाट पर यमुना धर्मराज का प्राचीन मंदिर है। स्नान के बाद भाई-बहन मंदिर में दर्शन करते हैं। यमुना जी को वस्त्र, श्रृंगार सामग्री और धर्मराज को काला वस्त्र अर्पित करते हैं। सुबह तड़के से ही धर्मराज मंदिर के बाहर श्रद्धालुओं की कतार लगी हैं।

ये है धार्मिक मान्यता

धार्मिक मान्यता है कि सूर्य पुत्री यमुना के निमंत्रण पर भाई यमराज उनसे मिलने के लिए कार्तिक शुक्ल पक्ष द्वितीया के दिन यहां आते हैं। यमराज को आया देखकर यमुना की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। यमुना ने स्नान के बाद पूजन करके, स्वादिष्ट व्यंजन परोसकर यमराज को भोजन कराया।

यमुना द्वारा किए गए इस आतिथ्य से यमराज ने प्रसन्न होकर बहन को वर मांगने का आग्रह किया। फिर यमुना ने कहा हे भद्र, मेरी तरह जो बहन इस दिन अपने भाई को आदर  सत्कार करके टीका करे, यहां बहन के साथ स्नान करे, उसे तुम्हारा भय न रहे। मृत्यु के पश्चात उसे यमलोक में नहीं जाना पड़ेगा।

यमराज ने तथास्तु कहकर यमुना को अमूल्य वस्त्राभूषण देकर यमलोक की ओर प्रस्थान किया। तभी से इस दिन से ये पर्व मनाने की परंपरा चली आ रही है। इस कारण यम द्वितीया के दिन यमुना में स्नान करने और यमुना व यमराज की पूजा करने का विशेष महत्व है।

सुरक्षा के रहे खास इंतजाम

यम द्वितीया पर यमुना घाटों पर पर्याप्त इंतजाम किए गए हैं। विश्राम घाट तथा उसके आसपास के सभी घाटों पर बल्लियां बांध दी गई हैं। यमुना में 25 फीट तक श्रद्धालुओं के स्नान सुनिश्चित करने के लिए बल्लियां लगाई गई हैं। यहां पीएसी के गोताखोरों की तैनाती की गई। महिलाओं को कपड़े बदलने के लिए दोनों ओर आठ चेंजिंग रूम भी बनाए गए। विश्राम घाट पर खोयापाया केंद्र एक दिन पहले  ही सक्रिय हो गया है। गोताखोर के अलावा नावों की व्यवस्था की गई है।

Compiled: up18 News