बीकेटीसी ने कहा, केदारनाथ मंदिर के गर्भगृह में सोने की परत को बदलने का दावा एक साजिश

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बीकेटीसी ने सोने को लेकर क्या किया था दावा

बीकेटीसी ने स्पष्ट किया है कि बद्रीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति अधिनियम-1939 में निर्धारित प्रावधानों के अनुसार दानदाताओं से चंदा स्वीकार किया गया है और केदारनाथ मंदिर के गर्भगृह को सोने की परत चढ़ाने की राज्य सरकार से अनुमति ली गई है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के विशेषज्ञों की देखरेख में सोना चढ़ाया गया था। बीकेटीसी ने यह भी स्पष्ट किया है कि गर्भगृह को गोल्ड प्लेटेड बनाने का काम स्वयं दानकर्ता ने किया है। दानकर्ता द्वारा अपने स्तर पर जौहरियों से ताम्रपत्र तैयार कराया गया और फिर उन पर सोना चढ़ाया गया। दानकर्ता ने अपने जौहरियों के माध्यम से ये थाल मंदिर में लगवाए।

बद्रीनाथ मंदिर के गर्भगृह को भी उसी दानवीर ने 2005 में सोने से जड़वाया था

सोना खरीदने से लेकर दीवारों पर लगवाने तक का सारा काम दानकर्ता का ही होता था। इसमें मंदिर समिति की कोई सीधी भूमिका नहीं थी। बीकेटीसी के बयान में कहा गया है कि इसका मतलब है कि सारा काम डोनर द्वारा किया गया था।

बयान के अनुसार काम पूरा होने के बाद दाता द्वारा अपने सुनार के माध्यम से गर्भगृह में स्थापित सोने और तांबे की प्लेटों के आधिकारिक बिल और वाउचर बीकेटीसी को दिए गए थे। इसे बीकेटीसी द्वारा नियमानुसार स्टॉक बुक में दर्ज किया गया है। बयान में कहा गया है कि डोनर या किसी फर्म द्वारा डोनेशन के तौर पर किए गए इस काम के लिए बीकेटीसी के सामने कोई शर्त नहीं रखी गई और न ही डोनर ने बीकेटीसी से इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 80जी के तहत सर्टिफिकेट मांगा।

बद्रीनाथ मंदिर के गर्भगृह को भी उसी दानवीर ने 2005 में सोने से जड़वाया था। लेकिन वर्तमान में सोची समझी साजिश के तहत द्वेषपूर्ण आरोप लगाए जा रहे हैं। सर्वविदित है कि देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की प्रेरणा और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के मार्गदर्शन में सुव्यवस्थित यात्रा संचालन के कारण यात्रियों की संख्या में भारी वृद्धि हुई है।

Compiled: up18 News


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