भारत आ तो रहे हैं बिलावल भुट्टो, लेकिन पाकिस्तान को जयशंकर से जलील होने का डर

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SCO के विदेश मंत्रियों की दो दिवसीय बैठक आज से गोवा के एक आलीशान ‘बीच रिसॉर्ट’ में शुरू हो रही है। वैसे मुख्य चर्चा कल होगी लेकिन आज विदेश मंत्री जयशंकर चीन और रूस के अपने समकक्षों के साथ द्विपक्षीय चर्चा करेंगे जबकि भारत बिलावल की यात्रा को तवज्जो नहीं दे रहा। खबर है कि विदेश मंत्री जयशंकर और बिलावल भुट्टो के बीच कोई द्विपक्षीय चर्चा प्रस्तावित नहीं है। बिलावल का भारत दौरा ऐसे समय में हो रहा है जब कुछ दिन पहले ही पुंछ में सेना के एक ट्रक को निशाना बनाकर आतंकियों ने हमला किया था। इस हमले में पांच सैनिक शहीद हो गए थे।

इससे पहले हिना रब्बानी खार 2011 में भारत आई थीं, तब एसएम कृष्णा विदेश मंत्री थे। उसके बाद पहली बार पाकिस्तान के किसी विदेश मंत्री का दौरा हो रहा है। खार इस समय विदेश राज्य मंत्री हैं। दिसंबर 2016 में पाकिस्तान के विदेश मामलों के सलाहकार सरताज अजीज के बाद पाकिस्तान से पहला उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल भारत आ रहा है।

जैसे UN जाते हैं… बिलावल के भारत दौरे पर बोलीं हिना

एक भारतीय चैनल को दिए इंटरव्यू में हिना रब्बानी खार ने कहा कि बिलावल का दौरा कोई भारत टूर नहीं है। यह SCO visit है। पाकिस्तान की माली हालत को देखते हुए बिलावल के दौरे को रिश्ते सुधारने की मजबूरी की तरह देखा जा रहा है। हालांकि हिना ने कहा कि हम द्विपक्षीय मामले की बात ही नहीं कर रहे हैं। किसी भी तरह से इसे द्विपक्षीय दौरे की तरह नहीं देखा जाना चाहिए। यह उसी तरह से है जैसे कोई UNGA (संयुक्त राष्ट्र महासभा) के लिए जाता है।

हिना जब भारत आई थीं तब दोनों देशों के बीच संबंध बेहतर हो रहे थे लेकिन आज स्थिति बिल्कुल अलग है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या बिलावल के भारत आने से संबंधों पर कोई असर पड़ेगा?

अमेरिका में पाकिस्तान के पूर्व राजदूत हुसैन हक्कानी ने BBC से कहा कि बिलावल भुट्टो का यह दौरा भारत और पाकिस्तान के बीच संबंधों में गर्माहट का कोई संकेत नहीं दे रहा है। हां, कुछ एक्सपर्ट कह रहे हैं कि यह शांति को आगे बढ़ाने की एक पहल जरूर हो सकती है। वैसे भी पाकिस्तान की स्थिति ठीक नहीं है। वह हर तरफ से चुनौतियों से घिरा है।

फरवरी 2019 में पुलवामा आतंकी हमले के बाद से भारत और पाकिस्तान के संबंध काफी खराब हो गए। इसके बाद भारतीय फौज ने बालाकोट एयर स्ट्राइक कर करारा जवाब दिया। भारत और पाकिस्तान के संबंध फिर सुधर नहीं पाए।

2014 में पूर्व पीएम नवाज शरीफ भारत के पीएम नरेंद्र मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में आए थे, उसके बाद किसी पाकिस्तानी नेता का यह पहला दौरा है। अगस्त 2019 में जम्मू-कश्मीर में आर्टिकल 370 समाप्त किए जाने के बाद दोनों देशों के संबंध सुधरने की जगह और खराब होते गए।

SCO की स्थापना 2001 में शंघाई में हुई थी। इस ग्रुप में चीन, भारत, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, रूस, पाकिस्तान, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान शामिल हैं। भारत और पाकिस्तान साल 2017 में SCO के स्थायी सदस्य बने थे।

Compiled: up18 News