दिल्ली हाईकोर्ट से राज्य के सीएम अरविंद केजरीवाल को तगड़ा झटका लगा है। कोर्ट ने केजरीवाल की याचिका को खारिज करते हुए कहा कि उनकी गिरफ्तारी नियम के मुताबिक हुई है। जज ने कहा कि ये याचिका जमानत के लिए नहीं है। कोर्ट ने कहा कि यह याचिका याचिकाकर्ता को इस आधार पर छोड़े जाने के लिए है कि याचिकाकर्ता की गिरफ्तारी सुप्रीम कोर्ट के फैसले के विरुद्ध है।
जस्टिस स्वर्ण कांता शर्मा ने केजरीवाल की याचिका पर अपना फैसला सुनाते हुए केजरीवाल के खिलाफ ईडी के आरोपों को दोहराया। कोर्ट ने कहा की ईडी ने जो तथ्य कोर्ट के सामने रखे हैं उससे लगता है कि कथित घोटाले में सीएम की संलिप्तता है।
अदालत ने कहा कि मैंने अपने फैसले में PMLA की धारा 50 के तहत दर्ज बयानों और सीआरपीसी के तहत 164 के दर्ज अप्रूवर के बयानों में अंतर बताया है। जस्टिस शर्मा पहले अंग्रेजी और फिर हिंदी में अपना फैसला पढ़ा।
अदालत ने कहा कि कानून पर किसी सरकार का और न ही किसी जांच एजेंसी का नियंत्रण होता है। इससे पहले याचिका में केजरीवाल की गिरफ्तारी और रिमांड को दी गई चुनौती के मामले में फैसला सुनाएगी, जिसमें मामले में उनकी गिरफ्तारी और रिमांड को चुनौती दी गई।
केजरीवाल ने गिरफ्तारी की टाइमिंग पर उठाया सवाल
बहस के दौरान आप के राष्ट्रीय संयोजक ने अपनी गिरफ्तारी की टाइमिंग पर सवाल उठाया था। केजरीवाल ने कोर्ट में दावा किया था कि बीजेपी उन्हें जेल में डालकर चुनाव को फिक्सड मैच की तरह खेलना चाहती है। दूसरी ओर ईडी ने AAP नेता के आरोपों पर कड़ी आपत्ति जताई है। ईडी ने दावा किया कि कथित अपराध में केजरीवाल व्यक्तिगत और परोक्ष रूप से शामिल हैं।
एएसजी एस वी राजू ने उदाहरण देते हुए कहा कि मान लीजिए कोई राजनीतिक व्यक्ति चुनाव से दो दिन पहले हत्या कर देता है। क्या उसे गिरफ्तार नहीं किया जाएगा? जस्टिस स्वर्ण कांता शर्मा ने 3 अप्रैल को दोनों पक्षों को सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। ईडी ने उन्हें 21 मार्च को गिरफ्तार किया था। वह लगभग 11 दिन तक रिमांड पर रहे। वर्तमान में 15 अप्रैल तक की न्यायिक हिरासत में हैं।
सीएम को हटाने की मांग वाली याचिका प्रचार पाने का तरीका: HC
आम आदमी पार्टी (आप) के पूर्व विधायक संदीप कुमार ने अरविंद केजरीवाल को मुख्यमंत्री पद से हटाने के लिए दिल्ली हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। याचिकाकर्ता को हाई कोर्ट ने फटकार लगाई।
कोर्ट ने कहा, अरविंद केजरीवाल को मुख्यमंत्री पद से हटाने की मांग करने वाली याचिका प्रचार पाने के लिए दायर की गई थी और याचिकाकर्ता भारी जुर्माना लगाए जाने का हकदार है।
जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद ने कुमार की याचिका को एक्टिंग चीफ जस्टिस मनमोहन की कोर्ट के पास भेजते हुए ये टिप्पणियां की। जस्टिस प्रसाद ने कहा कि यह सिर्फ प्रचार के लिए है। मामला अब 10 अप्रैल को डिविजन बेंच के सामने सुनवाई के लिए लगा है।
-एजेंसी
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