आगरा। स्थाई कुलपति के अभाव में डॉ भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय नारकीय स्थिति में है। कॉपियां बदलने से लेकर जाली मार्कशीट जारी करने का खेल हो रहा है और कुलाधिपति श्रीमती आनंदीबेन विश्वविद्यालय भ्रमण पर कल आ रहीं हैं।
कभी आगरा विश्वविद्यालय किसी पूजा स्थल से कम नहीं था, वहाँ जाना शिक्षा की देवी के दर्शन करने के समान था। आगरा विश्वविद्यालय प्रदेश के पुराने विश्वविद्यालयों में आता है। लगता है जानबूझकर अव्यवस्था फैलाने के लिये एक साल से अधिक का समय बीत जाने के बाद भी स्थाई कुलपति की नियुक्ति नहीं कि गयी है। प्रदेश में बहुत कुशल लोग मौज़ूद हैं और कुलाधिपति को कुलपति के चयन के लिये जल्दी निर्णय लेना चाहिए ।
आगरा सिविल सोसायटी ने विज्ञप्ति जारी कर कुलाधिपति से मांग की है कि स्थाई कुलपति की नियुक्ति तुरंत होनी चाहिए। फिलहाल अस्थाई कुलपति प्रो विनय पाठक सैटेलाइट तरीके से विश्विद्यालय चला रहे हैं। विश्वविद्यालय की कॉपियाँ बदले जाने के मामले में अभी तक ऊपर के लोगों पर एफआईआर दर्ज़ होना बाकी है। ऐसे में कुलपति वे अपने प्रतिनिधिक दायित्व से बच नहीं सकते। कॉपी बदलने, जाली मार्कशीट और जाली डिग्री के लिये कुलपति ज़िम्मेदार हैं। हम मानते हैं यह उनकी प्रशासनिक असफलता है।
सोसायटी ने अपनी दूसरी मांग में कहा कि विश्वविद्यालय कर्मचारियों की सामाजिक सुरक्षा, जीपीएफ पद्धति लागू ना करने और कटौती पर कम ब्याज देने के जुर्म में कुलपति पाठक, कुलसचिव और वित्त अधिकारी पर समुचित धाराओं में मुकदमे दर्ज़ हों। कर्मचारियों को उनका हक मिले और उनकी सामाजिक सुरक्षा से कोई खिलवाड़ ना हो।
इसके अलावा विश्वविद्यालय ने G.O. DATED MAY 5, 2009 और रिट संख्या 53419 OF 2011 के विरुद्ध जाकर शिक्षकों को प्रशासनिक पद दे रखे हैं जिसके चलते वो शिक्षण और रिसर्च का काम नहीं करते। शिक्षण तो बिल्कुल नहीं जिसके लिए उनकी नियुक्ति हुई है। शिक्षकों को प्रशासनिक पदों से तुरंत हटाने की मांग की है।
विश्वविद्यालय ने प्रोफेसर्स कॉलोनी में संस्कृति भवन और खंदारी में कई भवनों का निर्माण, आगरा विकास प्राधिकरण (ADA) से नक्शों को बिना पास कराये कराया गया है। बिना स्वीकृत मानचित्र के 400 करोड़ से अधिक का निर्माण कराया है। पूर्व कुलपति अरविंद दीक्षित और कार्यवाहक कुलपति विनय पाठक के विरुद्ध वित्तीय और प्रशासनिक अनियमितता के लिये समुचित धाराओं में मुकदमे दर्ज़ हों।
जिन शिक्षकों के विरुद्ध गंभीर धाराओं में जांच चल रही है उनके प्रोमोशन और पद निरस्त करने की भी मांग करते हैं। यह भी मांग करते हैं कि जांच में तेज़ी लाई जाये और दोषियों को सज़ा मिले।
अपनी सातवीं मांग में विश्वविद्यालय ने नई शिक्षा पॉलिसी लागू कर तो दी है पर महिला और पुरूषों के होस्टल ध्वस्त कर दिये हैं कमाई के लिये, इन होस्टलों का निर्माण तुरंत होना चाहिए।
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