‘तबला प्लेयर नहीं कुछ अच्छा बनो’,…पिता की सलाह और कड़े संघर्ष से डीवाई चंद्रचूड़ बने सीजेआई

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नई दिल्ली। देश के मुख्य न्यायाधीश धनंजय यशवंत चंद्रचूड़ का जन्म 11 नवंबर 1959 को उनके पिता वाईवी चंद्रचूड़ भारत के 16वें मुख्य न्यायाधीश के घर हुआ था। उनकी मां प्रभा चंद्रचूड़ ऑल इंडिया रेडियो की गायिका थीं। सीजेआई चंद्रचूड़ ने 1982 में दिल्ली विश्वविद्यालय के विधि संकाय से कानून में स्नातक की डिग्री प्राप्त करने से पहले, 1979 में दिल्ली के सेंट स्टीफंस कॉलेज से अर्थशास्त्र और गणित में डिग्री के साथ स्नातक की उपाधि प्राप्त की।

उन्होंने ‘ इनलैक्स ‘ छात्रवृत्ति प्राप्त करने के बाद 1983 में हार्वर्ड विश्वविद्यालय से एलएलएम की शिक्षा प्राप्त की। कॉन्फ्लिक्ट ऑफ लॉज़ पाठ्यक्रम में सर्वोच्च अंक हासिल करने के लिए जोसेफ एच. बीले पुरस्कार प्राप्त किया। न्यायिक विज्ञान में डॉक्टरेट की पढ़ाई पूरी करने के लिए वह 1986 तक हार्वर्ड में रहे। अपनी पढ़ाई पूरी करने पर, उन्होंने बार काउंसिल ऑफ महाराष्ट्र में एक वकील के रूप में दाखिला लिया।

सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ (CJI DY Chandrachud) की मां प्रभा और उनके पिता व देश के पूर्व चीफ जस्टिस वाईवी चंद्रचूड़ दोनों शास्त्रीय संगीत में पारंगत थे। जस्टिस चंद्रचूड़ बताते हैं कि मेरे पिता ने गंधर्व महाविद्यालय से संगीत की शिक्षा ली थी, जबकि मां जयपुर घराने की मशहूर शास्त्रीय गायक किशोरी अमोनकर की शिष्या थीं। इसका खुलासा CJI चंद्रचूड़ ‘द वीक’ को दिये एक इंटरव्यू में किया था। कहा था कि मेरे माता-पिता एक दूसरे को शादी से पहले से जानते थे, लेकिन उनकी अरेंज मैरिज ही हुई। दोनों साल 1943 में शादी के बंधन में बंधे। मेरे माता-पिता ने मुझे भी बचपन में संगीत सीखने को प्रेरित किया और मैंने सीखा भी था।

जस्टिस चंद्रचूड़ बताते हैं कि बचपन में मैंने तबला और हारमोनियम बजाना सीखा। तबला तो बहुत अच्छा बजाता था, लेकिन एक वक्त ऐसा आया जब मेरे पिता मां से कहा कि अगर यह तबला प्लेयर बना तो यह अच्छी बात नहीं होगी। सामाजिक दबाव की वजह से दूसरे पेरेंट्स की तरह मेरे पिता भी चाहते थे कि मैं डॉक्टर, वकील, इंजीनियर जैसा कुछ बनूं। इस तरह मेरा तबला बजाना छूट गया।

चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया धनंजय यशवंत चंद्रचूड़ ने बताया कि मेरी मां की गुरु किशोरी अमोनकर सप्ताह में एक दिन मां को सिखाने आया करती थीं। मैं पर्दे के पीछे बैठकर अपनी मां को रियाज करते देखा करता था। कई बार शनिवार को मां के साथ उनके गुरु के घर भी जाता था और वहां छोटे बच्चों के साथ खेला करता था, लेकिन ज्यादातर वक्त दोनों को रियाज करते ही देखता था। संगीत में इतना डूब जाता कि रो पड़ता था।

जस्टिस चंद्रचूड़ ने बताया कि कई बार तो मेरी मां सोचती थीं कि आखिर ऐसा क्या हो गया? जो मेरा बेटा संगीत सुनते-सुनते रोने लगा, लेकिन मुझे लगता है कि उन्हें कभी वजह समझ में नहीं आई। सीजेआई बताते हैं कि वह कॉलेज के दिनों में डीजे थे और ऑल इंडिया रेडियो के लिए काम किया करते थे। सीजेआई ने बताया कि मैं कॉलेज में पढ़ रहा था तभी किसी ने बताया कि AIR के लिए ऑडिशन हो रहा है। इसके बाद मैंने ऑडिशन दिया और सेलेक्ट भी हो गया। बाद में आकाशवाणी पर हिंदी-अंग्रेजी का प्रोग्राम पेश किया करता था। सुबह 5 बजे एआईआर पहुंच जाता और वहां से रिकॉर्डिंग के बाद कॉलेज जाता। फिर कॉलेज से छूटने के बाद वापस आकाशवाणी में अपने प्रोग्राम की रिकॉर्डिंग के बाद घर लौटता था।

सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ को आज भी किताबें पढ़ना और संगीत सुनना बहुत पसंद है। बताते हैं कि मैं किसी भी समय एक से ज्यादा किताबें पढ़ रहा होता हूं। बताया कि बेडरूम में सिरहाने किताबों का ढेर लगा रहता है। इतिहास और अर्थशास्त्र की किताबें पढ़ना ज्यादा पसंद है। इन दोनों उर्दू शायरी को फॉलो कर रहा हूं और उर्दू शेरो-शायरी की किताबें पढ़ रहा हूं। हालांकि मुझे उर्दू ज्यादा समझ नहीं आती है, लेकिन पढ़ने में आनंद आता है।

देश के मुख्य न्यायाधीश धनंजय यशवंत चंद्रचूड़ ने ऐसे तय किया सफर

भारत के सर्वोच्च न्यायालय के वर्तमान न्यायाधीश
13 मई 2016 – 7 नवंबर 2022

इलाहाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश
31 अक्टूबर 2013 – 12 मई 2016

बम्बई उच्च न्यायालय के स्थायी न्यायाधीश
29 मार्च 2000 – 30 अक्टूबर 2013

वरिष्ठ अधिवक्ता, बॉम्बे उच्च न्यायालय
जून 1998 – 29 मार्च 2000

भारत संघ के अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल
1998 – 28 मार्च 2000

शिक्षा

न्यायिक विज्ञान में डॉक्टरेट की पढ़ाई : हार्वर्ड विश्वविद्यालय

एलएलएम :  हार्वर्ड विश्वविद्यालय

एलएलबी : दिल्ली विश्वविद्यालय

अर्थशास्त्र और गणित में ऑनर्स : सेंट स्टीफंस कॉलेज, दिल्ली

-एजेंसी