बांग्लादेश में मंगलवार को आठ विकासशील देशों के कारोबारियों और अधिकारियों की बैठक हुई है. इस बैठक में कहा गया कि ख़ाली होते विदेशी मुद्रा भंडार, बढ़ते ऊर्जा संकट और सप्लाई चेन बाधित होने के कारण और मदद की ज़रूरत है.
बांग्लादेश की न्यूज़ वेबसाइट डेली स्टार की रिपोर्ट के अनुसार वहाँ की सरकार ने अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष यानी आईएमएफ़ से 4.5 अरब डॉलर के क़र्ज़ की मांग की है ताकि ख़ाली होते विदेशी मुद्रा भंडार को स्थिर रखा जा सके.
मिस्र, ईरान, मलेशिया, नाइजीरिया, पाकिस्तान, तुर्की और बांग्लादेश के प्रतिनिधियों ने डी-8 के बैनर तले मंगलवार को वैकल्पिक वित्तीय कारोबार को लेकर बात की. इसमें एक-दूसरे की मुद्रा में लेन-देन पर भी विचार किया गया ताकि विदेशी मुद्रा भंडार के दबाव से मुक्त हुआ जा सके.
बांग्लादेश के विदेश मंत्री एके अब्दुल मोमेन ने कहा कि डी-8 देशों की अर्थव्यवस्था पाँच ट्रिलियन डॉलर की है. उन्होंने कहा कि डी-8 देश मुक्त व्यापार समझौता और आपसी कारोबार बढ़ाने के लेकर काम कर रहे हैं.
आयोजकों का कहना है कि इस बैठक में शामिल सदस्य देश ऊर्जा सुरक्षा को लेकर ईरान और नाइजीरिया के साथ दुनिया के अन्य शीर्ष के तेल उत्पादक देशों से बात कर रहे हैं.
डॉलर की कमी
डी-8 चेंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के अध्यक्ष शेख़ फज़्ल फ़हीम ने कहा, ”कोविड महामारी और अन्य प्रमुख वैश्विक आर्थिक हालात के कारण सभी सदस्य देश विदेशी मुद्रा भंडार में कमी और अपनी कमज़ोर होती मुद्रा की समस्या से जूझ रहे हैं. सप्लाई चेन बाधित है, महंगाई बढ़ रही है और ऊर्जा के साथ खाद्य सुरक्षा भी संकट में है. इसे लेकर हमें एहतियाती क़दम उठाने की ज़रूरत है.”
बांग्लादेश की आबादी 16 करोड़ है और यह दुनिया की 41वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है. बांग्लादेश ने डीज़ल से चलने वाले पावर प्लांट को बंद कर दिया है ताकि तेल के आयात बिल को कम किया जा सके. इसके अलावा बांग्लादेश के केंद्रीय बैंक ने डॉलर कम होने के कारण लग्ज़री सामानों के आयात में भी कमी लाने का फ़ैसला किया है.
बांग्लादेश की न्यूज़ वेबसाइट द डेली स्टार की रिपोर्ट के अनुसार वित्त मंत्री एएचएम मुस्तफ़ा कमाल ने आईएमएफ़ के पास 4.5 अरब डॉलर के क़र्ज़ के लिए औपचारिक आवेदन किया है.
डेली स्टार की रिपोर्ट के अनुसार बांग्लादेश के वित्त मंत्री जलवायु परिवर्तन के कारण हो रहे बदलावों का सामना करने के साथ भुगतान संतुलन के लिए मदद मांगी है. आईएमएफ़ के पास जाने के बाद यह स्पष्ट हो गया है कि बांग्लादेश भी उन देशों की सूची में आ गया है, जो आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं.
बढ़ता आयात कम होता निर्यात
इस महीने की शुरुआत में आईएमएफ़ पाकिस्तान को चार अरब डॉलर का क़र्ज़ देने पर सहमत हुआ था. इसके अलावा तंज़ानिया को 1.05 अरब डॉलर, घाना को 1.5 अरब डॉलर का क़र्ज़ देने पर राज़ी हुआ है
बांग्लादेश के केंद्रीय बैंक के डेटा के अनुसार पिछले साल जुलाई और इस साल मई के बीच आयात 81.5 अरब डॉलर का हुआ है और एक साल पहले की तुलना में इसमें 39 फ़ीसदी का उछाल आया है.
इसका नतीज़ा यह हुआ कि दूसरे देशों में बांग्लादेश के सामान बेचने से मिला पैसा और दूसरे देशों से बांग्लादेश ने जो सामान ख़रीदा उसमें ख़र्च हुए पैसे का अंतर बड़ा हो गया है. इसी को चालू खाता घाटा कहा जाता है. वित्तीय वर्ष 2021-22 के पहले 11 महीने में बांग्लादेश का चालू खाता घाटा छह गुना से ज़्यादा बढ़कर 17.2 अरब डॉलर हो गया है.
विदेशों में काम करने वाले बांग्लादेशियों से आने वाली कमाई में कमी और कम होते निर्यात के कारण यहाँ का विदेशी मुद्रा भंडार ख़ाली हो रहा है. इसी वक़्त पिछले साल बांग्लादेश का विदेशी मुद्रा भंडार 45 अरब डॉलर था, जो अब 20 जुलाई तक 39 अरब डॉलर हो गया है. डेली स्टार के मुताबिक़ यह 5.4 महीने के आयात बिल से ज़्यादा नहीं है.
-एजेंसी
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